इंजीनियरिंग का चमत्कार क्यों है उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक?

प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर को देश से जोड़ने वाले 272 किमी लंबे यूएसबीआरएल प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया, जिसमें चिनाब और अंजी जैसे ऐतिहासिक पुल शामिल हैं।;

Update: 2025-06-06 08:23 GMT

6 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में बहुप्रतीक्षित उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का उद्घाटन किया। इस 272 किलोमीटर लंबे रेलवे कॉरिडोर के शुरू होते ही अब कश्मीर घाटी पूरे भारत से सीधी रेल सेवा के जरिए जुड़ गई है। यह न सिर्फ एक बुनियादी ढांचे की उपलब्धि है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सामरिक दृष्टिकोण से भी एक ऐतिहासिक क्षण है।

चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल

इस परियोजना का सबसे बड़ा आकर्षण चिनाब रेलवे ब्रिज है, जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज माना जा रहा है। यह पुल चिनाब नदी से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो कि एफिल टॉवर से 35 मीटर और दिल्ली की कुतुब मीनार से लगभग पांच गुना ऊंचा है। यह पुल जम्मू के रियासी ज़िले में बना है और इसे 1,486 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है।


यह संरचना 260 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज़ हवाओं को सहन करने में सक्षम है और इसे सिस्मिक ज़ोन 5 के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो इसकी मजबूती और सामरिक अहमियत को दर्शाता है। यह पुल दिल्ली और श्रीनगर के बीच रेल संपर्क को तेज़ करेगा और वंदे भारत एक्सप्रेस के जरिए यात्रा का समय 13 घंटे से भी कम कर देगा।

अंजी पुल: भारत का पहला केबल-स्टे रेल पुल

चिनाब ब्रिज के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने भारत का पहला केबल-स्टे रेलवे पुल अंजी पुल  का भी उद्घाटन किया। यह पुल अंजी नदी की घाटी को पार करता है और कटरा-बनिहाल सेक्शन को जोड़ता है। यह पुल 473 मीटर लंबा और 331 मीटर ऊंचा है तथा 48 स्टील केबल्स से समर्थित है।

सुरंगों की कहानी

USBRL परियोजना में कुल 36 सुरंगें हैं जो 119 किलोमीटर में फैली हैं। इसमें देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट टनल T-50 (12.77 किमी) शामिल है, जिसे बेहद कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में बनाया गया है। इसके अलावा T-80 (11.2 किमी) सुरंग को "USBRL की रीढ़" कहा गया है, जो बर्फ और ऊंचाई की बाधाओं को पार करती है।

प्रमुख सुरंगों में T-34, T-33, T-23, T-1 और T-25 शामिल हैं, जिन्हें भूस्खलन, पानी के रिसाव और कमजोर चट्टानों जैसी मुश्किलों से जूझते हुए तैयार किया गया।

आर्थिक और सामरिक लाभ

USBRL परियोजना पर अब तक 43,780 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इससे श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर निर्भरता कम होगी और पूरे साल माल, दवाएं और अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। कश्मीरी सेब, केसर, हैंडीक्राफ्ट और ड्राय फ्रूट्स अब देश के प्रमुख बाजारों तक जल्दी और सुलभ रूप से पहुंच सकेंगे। पर्यटन को भी इससे बड़ा बढ़ावा मिलेगा।

वैश्विक सहयोग और तकनीकी विशेषज्ञता

इस परियोजना में VSL इंडिया, Afcons Infrastructure, DRDO, IISc बेंगलुरु, IIT दिल्ली और जर्मन व फिनलैंड की कंपनियों ने मिलकर काम किया है। इसका डिज़ाइन और सुरक्षा मानक विश्व स्तरीय हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा सिर्फ एक उद्घाटन नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है, जो कश्मीर को विकास, सुरक्षा और एकता की नई राह पर ले जाएगी। USBRL न सिर्फ एक रेल लाइन है, बल्कि एक पुल है दिलों को जोड़ने वाला, सीमाओं को पाटने वाला।

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