EXCLUSIVE: यूपी बिजली विभाग में अजब खेल, अधिकारी का एक्सटेंशन प्रस्ताव ख़ारिज,दोबारा भेजा

यूपी के बिजली विभाग में निदेशक(वित्त) निधि कुमार नारंग के एक्सटेंशन की माँग को कार्मिक विभाग ने ‘औचित्यहीन’ कहते हुए लौटा दिया था।पर यूपी पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष गोयल ने उस फ़ैसले को नज़रअंदाज़ करते हुए दोबारा एक्सटेंशन की माँग कर दी है।पत्र में कहा गया है कि निधि कुमार नारंग का रहना प्राइवेटाइजेशन के लिए ज़रूरी है।;

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-08-02 12:51 GMT
उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था को लेकर लोगों को ढेरों शिकायत हैं, मगर अधिकारी एक निदेशक के सेवा विस्तार के लिए जी-जान से जुटे हैं।

यूपी में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच घमासान जहां खुलकर सामने आ रहा है वहीं अधिकारियों की अजीबो गरीब कार्यशैली चर्चा का विषय है।ताजा मामला ऊर्जा विभाग का है, जहां एक तरफ कर्मचारी निजीकरण का विरोध कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर एक अधिकारी को प्राइवेटाइजेशन के लिए अपरिहार्य बताए हुए दोबारा सेवा विस्तार का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया है.

उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था को लेकर लोगों को ढेरों शिकायत हैं, मगर अधिकारी एक निदेशक के सेवा विस्तार के लिए जी-जान से जुटे हैं।एक ही अधिकारी का दो बार सेवा विस्तार मांग कर कुर्सी खाली नहीं होने दी जा रही। मुख्यमंत्री के अधीन कार्मिक विभाग के फ़ैसले को चुनौती दी गई है। निदेशक वित्त को विभाग के लिए ‘अपरिहार्य’ बताते हुए ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष आशीष गोयल ने उनके एक्सटेंशन की दोबारा माँग कर दी है जबकि उनकी एक्सटेंशन की फाइल पहले लौटायी जा चुकी है।राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध किया है।

यूपी का बिजली विभाग फ़िलहाल लोगों को अपनी कार्यशैली से ‘करंट’ दे रहा है। मंत्री और अफसरों में घमासान के बीच एक चिट्ठी ने विभाग के आला अधिकारी की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल उठा दिया है। यूपीसीएल यानि उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड्( UPCL ) के अध्यक्ष आशीष गोयल का एक पत्र सामने आया है जिसमें विभाग के निदेशक, वित्त को प्राइवेटाइजेशन के लिए ‘अपरिहार्य’ बताया गया है।इसलिए उसी अधिकारी का पद पर रहना ज़रूरी है ऐसा कहते हुए निदेशक, वित्त निधि कुमार नारंग के सेवा विस्तार की माँग की गई है।ख़ास बात यह है कि निधि कुमार नारंग टेंडर मूल्यांकन कमेटी के चेयरमैन भी हैं।ऐसे में उनके सेवा विस्तार के लिए दोबारा पत्र भेजना कई सवाल खड़े करता है।

सेवा विस्तार की फाइल को औचित्यहीन बता चुका है कार्मिक विभाग

मामला सिर्फ़ यहीं तक नहीं है।दरअसल इस पत्र से कार्मिक विभाग के फ़ैसले को सीधे चुनौती दी गई है।निधि कुमार नारंग के एक्सटेंशन की माँग को कार्मिक विभाग ने ‘औचित्यहीन’ कहते हुए लौटा दिया था।पर यूपी पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष गोयल ने उस फ़ैसले को नज़रअंदाज़ करते हुए दोबारा एक्सटेंशन की माँग कर दी है।सबसे पहले 14 जुलाई को यूपीसीएल के निदेशक( वित्त) निधि कुमार नारंग को एक्सटेंशन देने के लिए पत्र लिखा गया था।लेकिन 30 जुलाई को ऊर्जा विभाग को इस पत्र के जवाब में जो पत्र मिला उसके अनुसार शासन स्तर के यह पाया गया कि निधि कुमार नारंग को सेवा विस्तार देने का कोई औचित्य नहीं है इसलिए निधि कुमार नारंग का सेवा विस्तार संभव नहीं है।

ख़ास बात यह है कि एक ही अधिकारी निधि कुमार नारंग के दोबारा एक्सटेंशन की माँग करते हुए जो पत्र लिखा गया उसमें इस बात का उल्लेख भी किया गया है।उसके बावजूद फिर से अधिकारी का सेवा विस्तार मांगा गया है।निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग को पहले ही तीन महीने का सेवा विस्तार मिल चुका है।सेवा विस्तार को यह अवधि 17 अगस्त को खत्म हो रही है।ऐसे में 18 अगस्त को यूपीसीएल के निदेशक वित्त का पद खाली हो जाएगा।

निजी बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचाने की तैयारी- विद्युत उपभोक्ता परिषद

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने द फ़ेडरल देश को बताया ‘यूपी के बिजली विभाग में पिछले 25 साल में किसी भी निदेशक का कार्यकाल उपभोक्ता सेवा के नाम पर नहीं बढ़ाया गया है।अब बिजली के निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाले निदेशक( वित्त) और टेंडर मूल्यांकन कमेटी के चेयरमैन बढ़ाने की तैयारी है। यह सस्ती दरों पर बिजली कंपनियों को बेचने की तैयारी है।हम इसका विरोध करेंगे।अगर ऐसा हुआ तो 2027 सरकार के कार्यकाल को घटाने या बढ़ाने का फ़ैसला हम भी करेंगे।’

हालांकि इस बीच इसी पद पर शासन ने पुरुषोत्तम अग्रवाल की नियुक्ति कर दी है।पर पत्र में लिखा है कि उन्होंने पद ग्रहण करने में असमर्थता जतायी है।बिजली विभाग में सैंकड़ों संविदा कर्मियों को हटाया जा चुका है।अचानक लिए गए फ़ैसले का प्रतिकूल असर बिजली व्यवस्था और रिपेयरिंग जैसे काम पर पड़ा है।पर एक अधिकारी अपनी कुर्सी किसी भी क़ीमत पर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।

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