राज्य का दर्जा हमारा हक़, चुनाव से नहीं डरते- उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देना जनता का हक़ है। अगर इसके लिए विधानसभा भंग कर नए चुनाव कराने पड़ें, तो उन्हें ऐतराज नहीं।;

Update: 2025-06-24 15:39 GMT
पिछले साल अक्टूबर में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य का दर्जा जम्मू-कश्मीर के लोगों का अधिकार है। फाइल फोटो

गुलमर्ग में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद विधानसभा भंग कर नए चुनाव कराए जाते हैं, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, मैंने एक अख़बार में पढ़ा कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा लेकिन विधानसभा चुनाव फिर से कराए जाएंगे। कर लीजिए, किसने रोका है?

उमर अब्दुल्ला, जिन्हें पिछले साल अक्टूबर में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी। राज्य का दर्जा जम्मू-कश्मीर की जनता का हक़ है, न कि किसी विधायक या सरकार का।उन्होंने दावा किया कि यह पूरी खबर एक खास मकसद से अखबार में छपवाई गई है। मैं जानता हूं ये खबर कहां से आई है। मैं जानता हूं किसने यह खबर अखबार में खबर प्रकाशित करने में भूमिका निभाई। इसका मकसद सिर्फ विधायकों को डराना है। लेकिन हम विधायक इस बहाली में कोई बाधा नहीं बनेंगे।

उमर ने कहा कि अगर राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए विधानसभा को भंग करना पड़े, तो सरकार ऐसा कर सकती है। जिस दिन राज्य बहाल होता है, हम अगले ही दिन राज्यपाल से मिलकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश करेंगे। हमें डराने की कोशिश मत कीजिए।  राज्य का दर्जा हमारा संवैधानिक अधिकार है और हमें इसे वापस दीजिए। अखबारों में मनगढ़ंत कहानियां छपवाना बंद करें, इससे कोई असर नहीं होगा।

इस बयान के ज़रिए उमर अब्दुल्ला ने न केवल विधानसभा भंग करने की अटकलों को चुनौती दी है, बल्कि केंद्र सरकार से स्पष्ट रूप से जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा लौटाने की मांग भी दोहराई है।

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