उद्धव-राज में सुलह की अटकलें फिर तेज, राज बोले, ठाकरे ब्रांड मिटाया नहीं जा सकता

राज ठाकरे ने 2024 में बीजेपी को बिना शर्त समर्थन दिया था, लेकिन सालभर बाद ही उनके सुर बदलते दिख रहे हैं। उद्धव के साथ सुलह की अटकलों के बीच राज ने बीजेपी पर सीधा निशाना साधा;

Update: 2025-05-25 12:18 GMT
MNS के प्रमुख राज ठाकरे सालभर बाद ही बीजेपी के खिलाफ बोलने लगे हैं

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा है कि राजनीति में पवार और ठाकरे ब्रांड को खत्म करने की कोशिशें हुई हैं, लेकिन ये ब्रांड इतनी आसानी से मिटाए नहीं जा सकते। पुणे में एक मराठी न्यूज पोर्टल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने महाराष्ट्र और देश की राजनीति में इन दोनों उपनामों की प्रासंगिकता पर चर्चा की।

राज ठाकरे ने कहा, "जहां तक ठाकरे ब्रांड की बात है, मेरे दादा प्रभोधनकार ठाकरे ने सबसे पहले महाराष्ट्र पर गहरा प्रभाव डाला। उनके बाद बाला साहेब ठाकरे, फिर मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे ने संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। इसके बाद उद्धव और मैंने भी अपनी छाप छोड़ी।"

उन्होंने कहा कि निस्संदेह इन ब्रांडों को खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन वे इतनी आसानी से मिटने वाले नहीं हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भले ही नेतृत्व में बदलाव हो जाए, लेकिन ये ब्रांड कायम रहेंगे।

राज ठाकरे की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब यह अटकलें लग रही हैं कि वह लगभग दो दशकों बाद अपने चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ सुलह कर सकते हैं।

कैसे टूटी दो पार्टियां

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में २०२२ में और शरद पवार द्वारा स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में 2023 में विभाजन हुआ। उसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में काफी बदलाव हुआ है।

शिवसेना का एक बड़ा हिस्सा उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ है जबकि एनसीपी का भी यही हश्र हुआ जब अजित पवार अधिकांश विधायकों को लेकर सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में शामिल हो गए।

महा विकास आघाड़ी (एमवीए) को, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार गुट) शामिल हैं, 2024 के विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा। इस गठबंधन को राज्य की 288 सीटों में से केवल 46 सीटें ही मिलीं, जबकि एमएनएस खाता भी नहीं खोल पाई।

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