PMK ने DMK पर किया हमला, NEP पर रुख बदलने को लेकर साधा निशाना
पीएमके नेता ने कहा कि डीएमके पहले ही किसी भी कीमत पर केंद्रीय पैसे को सुरक्षित करने की नीति पर सहमत हो चुकी है.;
पत्तली मक्कल काची (PMK) के नेता अनुपमानी रामदोस ने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) पर प्रधानमंत्री श्री योजना को लेकर विरोधाभासी रुख अपनाने के लिए तीखी आलोचना की. यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और इसके तीन-भाषा फार्मूला से जुड़ी एक अहम पहल है. वहीं, तमिलनाडु में बीजेपी की सहयोगी दल PMK ने इस मुद्दे पर DMK की स्थिति को संदेहास्पद बताया.
रामदोस ने उस पत्र का जिक्र किया, जो तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्य सचिव शिव दास मीना ने 15 मार्च 2024 को केंद्रीय मंत्रालय के सचिव संजय कुमार को भेजा था. यह पत्र हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा सार्वजनिक किया गया था, जिसको लेकर DMK ने कड़ी आपत्ति जताई है.
PMK का आरोप
अनुपमानी ने इस पत्र को लेकर कहा कि उसमें तमिलनाडु सरकार की प्रधानमंत्री श्री स्कूलों की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने की इच्छा व्यक्त की गई थी, जो राज्य द्वारा इस योजना को स्वीकृति देने का संकेत था. रामदोस ने DMK की वर्तमान स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि DMK, जो अब कहता है कि वह कभी तीन-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेगा, पिछले साल पीएम श्री स्कूलों को अपनाने के लिए तैयार था. यह एक अविवादित तथ्य है. उन्होंने यह भी कहा कि पत्र में स्पष्ट रूप से 2023-24 के लिए केंद्रीय फंडिंग की मांग की गई थी और यह योजना थी कि 2024-25 शैक्षिक वर्ष से पहले MoU को अंतिम रूप दिया जाए.इरादा स्पष्ट था: किसी भी कीमत पर केंद्रीय फंड प्राप्त करना.
चुप्पी साधने का आरोप
रामदोस ने आरोप लगाया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 16 मार्च 2024 को तमिलनाडु की पीएम श्री योजना में भागीदारी की घोषणा के बाद भी DMK चुप्पी साधे रहा. उन्होंने कहा कि विरोध करने के बजाय राज्य ने फंडिंग प्राप्त करने का प्रयास जारी रखा, जिससे उसकी असली प्राथमिकताएं सामने आईं. DMK के नाटक उसकी द्वैतीयता को ढक नहीं सकते.
तमिल को अनिवार्य भाषा बनाओ
रामदोस ने यह भी मांग की कि तमिलनाडु सरकार तमिल को राज्य के सभी स्कूलों में "अनिवार्य शिक्षा का माध्यम और अनिवार्य विषय" बनाए. उन्होंने कहा कि DMK का NEP और तीन-भाषा नीति पर दिखावा करना अस्वीकार्य है. यदि पार्टी सचमुच तमिलनाडु के हितों के बारे में चिंतित है तो उसे इस दिखावे को रोकना होगा और हमारी भाषा और शिक्षा प्रणाली की रक्षा करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे.
राज्य शिक्षा नीति पर सवाल
रामदोस ने यह भी सवाल उठाया कि DMK अपनी वचनबद्ध राज्य शिक्षा नीति को क्यों नहीं जारी कर सका और इसके कार्यान्वयन के लिए अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए, खासकर जब सरकार का कार्यकाल समाप्ति के करीब है. रामदोस ने पूछा कि जब सरकार सार्वजनिक रूप से NEP का विरोध करती है तो वह चुपचाप इसके तत्वों को तमिलनाडु के विश्वविद्यालयों में लागू कर रही है. क्या वे इसे नकार सकते हैं? उन्होंने राज्य की शैक्षिक प्रणाली में तमिल को प्राथमिकता देने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की.