‘अगर गोगोई की पत्नी के हैं ISI से संबंध तो RAW और IB चुप क्यों?’ क्या सरमा को कुर्सी खोने का डर!
कांग्रेस नेताओं ने असम चुनाव से पहले सरमा की टाइमिंग पर सवाल उठाए और कहा कि वह एलिजाबेथ के खिलाफ आरोप लगाकर रॉ और आईबी की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं.;
बीजेपी ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की पत्नी एलिजाबेथ कॉल्बर के ISI से संबंध होने का आरोप लगाया है. भगवा पार्टी के इस आरोप के बाद असम में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है. राजनेता और विश्लेषक इसे राजनीतिक प्रतिशोध की एक कड़ी मान रहे हैं, जो आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं को कमजोर करने के मकसद से की जा रही है. हालांकि, गोगोई ने खुद कहा कि असम में बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार किसी भी जांच को स्वतंत्र रूप से कर सकती है. लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह कदम इस डर से उठाया है कि वह 2026 के राज्य चुनावों के बाद अपनी कुर्सी खो देंगे.
FIR दर्ज
असम कैबिनेट ने 16 फरवरी को राज्य पुलिस को कॉल्बर और एक पाकिस्तानी अधिकारी के बीच कथित संबंधों की जांच करने का निर्देश दिया. इसके अनुसार, असम पुलिस ने पाकिस्तानी नागरिक अली तौकीर शेख और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की (CID PS केस नंबर 5/2025) और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और UAPA एक्ट के तहत आरोप लगाए. सरमा के अनुसार, कॉल्बर शेख द्वारा स्थापित एक संगठन का अभिन्न हिस्सा थीं. जो जलवायु परिवर्तन नीति के क्षेत्र में काम करता है.
सरमा का बयान
कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरमा ने राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीय मामलों में विदेशी हस्तक्षेप के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए यह निर्णय लिया. सरमा ने कहा कि हाल की रिपोर्टों और सोशल मीडिया गतिविधियों में शेख द्वारा असम में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के प्रयासों के बारे में टिप्पणियां सामने आई हैं. सरमा ने कहा कि अली शेख का भारत के आंतरिक और संसदीय मामलों पर बयान देने का इतिहास है. जो उनकी नीयत को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है. वह पाकिस्तानी सरकार से मजबूत संबंध रखते हैं और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा बनाए गए सलाहकार पदों और समितियों में कार्य कर चुके हैं. उनका असम के राजनीतिक संवाद में शामिल होना, पाकिस्तान के क्षेत्रीय अस्थिरता के प्रयासों को देखते हुए चिंता का विषय है.
ISI हॉटस्पॉट
सरमा के अनुसार, शेख की सोशल मीडिया गतिविधियों की गहरी जांच में यह पता चला कि उनका संबंध एलिजाबेथ कॉल्बर से था. जो एक ब्रिटिश नागरिक और गोगोई की पत्नी हैं. सरमा ने कहा कि शेख न केवल पाकिस्तानी सरकार से जुड़े हैं, बल्कि Lead Pakistan नामक संगठन के संस्थापक हैं. जो जलवायु परिवर्तन नीति के क्षेत्र में काम करता है. कॉल्बर इस संगठन का एक अभिन्न हिस्सा थीं. असम के ISI-समर्थित गतिविधियों के हॉटस्पॉट होने को देखते हुए सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता है.
RAW और IB चुप
पूर्व असम डीजीपी हरेकृष्ण देका ने कॉल्बर पर लगाए गए आरोपों को 2026 के चुनावों से पहले की “राजनीतिक प्रेरित witch-hunt” बताया. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर इन आरोपों में कोई सच्चाई होती तो भारतीय खुफिया एजेंसियां, जिनमें RAW और IB भी शामिल हैं, इतने सालों तक चुप क्यों रहीं? देका ने कहा कि अगर एक प्रमुख विपक्षी नेता की पत्नी का पाकिस्तान से जुड़े किसी एजेंसी से संबंध था तो क्या हमारी खुफिया एजेंसियों ने इस पर जांच नहीं की होती? अगर इतने सालों तक एक गंभीर सुरक्षा खतरे को अनदेखा किया गया तो यह उनकी बड़ी नाकामी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भारतीय राजनेता की पत्नी का ऐसी लिंक बनाए रखना, बिना राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के ध्यान में आए, यह बहुत असंभव है.
संदिग्ध समय
देका ने इन आरोपों के समय को लेकर भी संदेह जताया. उन्होंने कहा कि असम विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं और अचानक यह प्रचार इस समय सामने आ रहा है, ताकि जनमत को प्रभावित किया जा सके. यह पूरा घटनाक्रम भारत की खुफिया एजेंसियों को कमजोर रोशनी में दिखाता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि या तो उन्होंने गंभीर खतरे को नजरअंदाज किया या ये आरोप निराधार हैं.
कांग्रेस का आरोप
पूर्व पुलिस अधिकारी के बयान कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप की बढ़ती बहस का हिस्सा बन गए हैं, जिसमें यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या कॉल्बर के खिलाफ आरोप राजनीति से प्रेरित हैं या इनमें कोई सच्चाई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद रिपुन बोरा ने सरमा पर चुनावों से पहले गोगोई के खिलाफ राजनीतिक कीचड़ उछालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरमा के आरोप कॉल्बर के खिलाफ पार्टी की साफ छवि को धूमिल करने की कोशिश थे और उन्होंने अपनी राजनीतिक सीमा का उल्लंघन किया है. बोरा ने कहा कि इन आरोपों को लगाकर मुख्यमंत्री RAW और अन्य खुफिया एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं. उनके बयान संघीय गृह और विदेश मंत्रालयों के मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप के समान हैं.
MEA क्यों नहीं?
बोरा ने आगे कहा कि अगर यह आरोप वैध होते तो यह विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय या RAW और IB जैसे खुफिया एजेंसियों द्वारा किए जाते, न कि राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा. उन्होंने सवाल उठाया कि यह हैरान करने वाली बात है कि सरमा, जो अब स्पष्ट रूप से साक्ष्य दिखा रहे हैं, पिछले दस सालों से चुप क्यों थे. अगर उनके आरोपों में कोई सच्चाई थी तो उन्होंने 2014 या 2015 में यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया? अब, 2026 चुनावों से ठीक पहले?
राजनीतिक असुरक्षा
कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि सरमा के अचानक आरोप राजनीतिक असुरक्षा से उत्पन्न हो सकते हैं. चूंकि वह पिछले चुनावों में जोरहाट में गोगोई को रोकने में विफल रहे थे, उन्हें 2026 में फिर से हारने का डर है. यह प्रचार गोगोई और कांग्रेस को बदनाम करने का एक desperate प्रयास है.
2024 में हार?
रमेश ने जोड़ा कि यह कीचड़ उछालने की राजनीति इसलिए हो रही है. क्योंकि गोगोई ने जून 2024 में जोरहाट लोकसभा सीट जीत ली. जबकि मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री जोरहाट में कैंप लगाकर उनके खिलाफ प्रचार कर रहे थे. यह इसलिए भी है क्योंकि गोगोई ने असम के मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार और काले कृत्यों को सामने लाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री – जैसे उनके सर्वोच्च नेता (नरेंद्र मोदी) दिल्ली में – मानहानि, विकृति और मोड़ के माहिर हैं. वह असम की जनता का ध्यान अपनी विफलताओं और झूठे दावों से हटा रहे हैं. लेकिन लगभग 12 महीने में, असम की जनता उन्हें ‘पूर्व मुख्यमंत्री’ बना देगी और उनकी पार्टी को विपक्ष में बिठाएगी.