पुरी में आस्था पर भारी पड़ी अव्यवस्था, रथयात्रा के दौरान तीन की जान गई
पुरी में रथ यात्रा के दौरान भगदड़ से 3 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, कई घायल हुए। प्रशासन की लापरवाही और भीड़ नियंत्रण की नाकामी उजागर हुई।;
Puri Rathyatra 2025: ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान रविवार सुबह भारी भगदड़ मच गई। इस दुखद हादसे में तीन श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए। भगदड़ श्रीगुंडिचा मंदिर के सामने उस वक्त हुई, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को पारंपरिक 'पहंडी जुलूस' में गुंडिचा मंदिर के गर्भगृह की ओर ले जाया जा रहा था।
हादसा तड़के 4 से 5 बजे के बीच हुआ, जब हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर के सराधाबली क्षेत्र में एकत्र हो गए थे। सभी भक्त रथ की रस्सी खींचने और भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच संतुलन बिगड़ गया और भारी धक्का-मुक्की के बीच भगदड़ मच गई। कई श्रद्धालु ज़मीन पर गिर पड़े और कुछ लोग रथ और भीड़ के बीच दब गए।
भीषण गर्मी और थकावट का भी असर
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, शनिवार को भी रथ यात्रा के दौरान अपार भीड़ उमड़ी थी। भीषण गर्मी और अत्यधिक भीड़ के कारण लगभग 750 श्रद्धालुओं को चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता पड़ी। इनमें से 230 को IDH (इंफेक्शियस डिजीज हॉस्पिटल) और 520 से अधिक को जिला मुख्यालय अस्पताल (DHH) में भर्ती कराया गया। एक गंभीर रूप से बीमार भक्त को बेहतर इलाज के लिए SCB मेडिकल कॉलेज, कटक रेफर किया गया है।
अधिकांश श्रद्धालुओं को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, लेकिन यह स्थिति बताती है कि भीड़ प्रबंधन के लिए पर्याप्त इंतज़ाम नहीं किए गए थे।
शुक्रवार को भी टला था कार्यक्रम
इससे पहले शुक्रवार शाम को भी रथ यात्रा के दौरान भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के पास हजारों भक्तों की मौजूदगी के कारण भगदड़ की आशंका बनी रही। पुलिस को करीब दो घंटे तक भीड़ को नियंत्रित करने में संघर्ष करना पड़ा, जिसके बाद कार्यक्रम को शनिवार तक के लिए टाल दिया गया था।
फिर भी, रविवार को वही त्रासदी दोहराई गई। यह प्रशासन की विफलता की ओर इशारा करता है, क्योंकि रथ यात्रा जैसे विशाल आयोजन में हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, और ऐसी स्थिति की पहले से आशंका बनी रहती है।
प्रशासन और पुलिस व्यवस्था पर सवाल
यह हादसा न सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए दुखद है, बल्कि प्रशासन के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है। पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने में विफल रही और स्थानीय अधिकारियों की तैयारियाँ भी नाकाफी साबित हुईं। श्रद्धालुओं की जान की कीमत पर इस प्रकार की लापरवाही भविष्य में और गंभीर संकट ला सकती है।
पुरी की रथ यात्रा एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव है, जो आस्था और परंपरा का प्रतीक है। लेकिन यदि इससे जुड़ी व्यवस्थाओं में सुधार नहीं किया गया, तो ऐसी दुर्घटनाएँ बार-बार दोहराई जा सकती हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह भीड़ नियंत्रण, चिकित्सा सहायता और सुरक्षा प्रबंधन में तकनीकी और मानवीय सुधार लाए, ताकि श्रद्धालु न केवल आस्था, बल्कि सुरक्षा के साथ भी इस उत्सव में भाग ले सकें।