राहुल गाँधी ने की जेपीसी गठन की मांग, पीएम मोदी और अमित शाह पर लगाये शेयर मार्किट घोटाले का आरोप

राहुल गाँधी ने आरोप लगाया है कि चुनाव परिणाम आने से दो दिन पूर्व ही सोची समझी साजिश के तहत ऐसे बयान दिए जिससे शेयर बाजार में सक्रीय पांच करोड़ परिवारों को 30 लाख करोड़ रूपये का नुक्सान हुआ है.

Update: 2024-06-06 13:43 GMT

Rahul Gandhi allegations update: राहुल गाँधी ने मोदी 3.0 सरकार के गठन से पहले ही प्रधान मंत्री मोदी पर गंभीर आरोप लगाते हुए जेपीसी की मांग की है. राहुल गाँधी ने आरोप लगाया है कि चुनाव परिणाम आने से दो दिन पूर्व ही सोची समझी साजिश के तहत ऐसे बयान दिए जिससे शेयर बाजार में सक्रीय पांच करोड़ परिवारों को 30 लाख करोड़ रूपये का नुक्सान हुआ है. राहुल गाँधी ने मांग की है कि इसकी जाँच के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी(जेपीसी) का गठन किया जाए.


राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस कर ये आरोप लगाये कि बीजेपी को ये मालूम था कि उनकी सीटें 220 से अधिक सीटें नहीं आ रही हैं. उनके इंटरनल सर्वे के अलावा आईबी की रिपोर्ट भी यही थी. लेकिन इसके बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री ने रिटेल इंवेस्टर्स को नतीजे आने से पहले शेयर खरीदने की सलाह दी. इस काम में मीडिया ने भी झूठे एग्जिट पोल दिखा कर जनता को बरगलाया. जिसकी वजह से 3 जून को शेयर मार्केट ऑल टाइम हाई रिकॉर्ड पर पहुंच गया. लेकिन अगले ही दिन 4 जून को नतीजे आने के साथ ही इसमें भारी गिरावट आई और रिटेल इंवेस्टर्स का 30 लाख करोड़ रुपये डूब गए. इस पूरी प्रक्रिया में कुछ लोगों ने मोटा मुनाफा कमाया, लेकिन वो लोग कौन हैं? इसका पता लगाया जाना चाहिए. इसके लिए पूरी क्रोनोलॉजी समझने की जरुरत.

राहुल की बताई क्रोनोलॉजी

राहुल गाँधी ने कहा कि 13 मई को अमित शाह ने कहा था कि 4 जून से पहले शेयर खरीद लीजिए.

9 मई को पीएम मोदी ने कहा कि स्टॉक मार्केट 4 जून को रिकॉर्ड ब्रेक कर देगा.

सबसे बड़ी बात ये कि ये सब बातें अडाणी के दो चैनल को दिए इंटरव्यू में बोली जाती हैं.

- 1 जून को अंतिम चरण की वोटिंग के दिन मीडिया एगिज्ट पोल जारी करता हाउ और बीजेपी को 400 पार करा देता है.

- 3 जून को स्टॉक मार्केट सभी रिकॉर्ड तोड़ देता है और ऑल टाइम हाई पर पहुंच जाता है.

- 4 जून को स्टॉक मार्केट में सबसे बड़ी गिरावट आती है. निवेशक खासकर छोटे निवेशकों को 30 लाख करोड़ रुपये का लॉस होता है.

इसलिए इस मामले की जाँच के लिए जेपीसी का गठन किया जाए.

जेपीसी क्या है

जेपीसी यानी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी जाँच के लिए संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में प्रस्ताव पास होता है और उसी के मुताबिक दोनों सदनों के सदस्यों की एक कमेटी बनाई जाती है. इस कमेटी के पास कई अधिकार होते हैं, ताकि कमिटी मामले से जुड़े किसी से भी दस्तावेज को हासिल कर सकती है. 

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