राजनीति ना हो लेकिन प्रशासन की गलती तो है, हाथरस भगदड़ पर राहुल के नरम सुर

हाथरस भगदड़ में पीड़ित परिवारों से राहुल गांधी ने मुलाकात की. उन्होंने कहा कि प्रशासन की गलती का खामियाज सत्संगियों को उठाना पड़ा.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-07-05 05:01 GMT

Rahul Gandhi on Hathras Stampede: आप को याद होगा कि हाथरस गैंगरेप केस में राहुल गांधी ने कितनी तल्ख टिप्पणी की थी. शुक्रवार को वो एक बार फिर हाथरस में थे सिर्फ जगह और मामले में थोड़ा फर्क है. हाथरस के रतिभानपुर में भगदड़ में 100 से अधिक पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए वो पहुंचे. पीड़ितों के परिवार के गम को साझा भी किया. दुख दर्द बांटे और उसके बाद बयान भी दिया. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सियासत नहीं होनी चाहिए लेकिन इस बात को तो मानना ही होगा कि प्रशासन से गलती हुई है. यहीं कुछ सवाल भी हैं कि आखिर उनके टोन में नरमी क्यों हैं. बता दें एक लाख का इनामी मुख्य सेवादार अभी भी फरार है वहीं प्रवचन करने वाला बाबा नारायण साकार हरि के बारे में पता नहीं है.

सरकार दिल खोलकर पैसा दे
हाथरस से पहले अलीगढ़ के ग्रीन पार्क में राहुल गांधी ने पीड़ित परिवारों से अपील की. भगदड़ में हाथरस के 20 और अलीगढ़ के 10 लोग थे. राहुल गांधी वे कहा कि इस घटना को वो राजनीति के चश्मे से नहीं देख रहे हैं. प्रशासनिक लापरवाही हुई है और उसके बारे में पता लगाना चाहिए. उन्होंने कि भगदड़ में सभी प्रभावित लोगों का नाता गरीब परिवारों से है लिहाजा मुआवजा सही मिलना चाहिए.यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से अपील है कि दिल खोलकर मुआवजा दें. अगर सरकार एक साल पैसे देगी तो उससे फायदा नहीं होने वाला है.


क्या कहते हैं जानकार
यूपी की सियासत पर नजर रखने वाले कहते हैं कि राहुल गांधी निशाना साध तो रहे हैं लेकिन तेवर में नरमी के पीछे वजह कुछ और ही है. सभी राजनीतिक दलों को वोट की लहलहाती फसल चाहिए. नारायण साकार हरि का नाता जिस समाज से है उसे राहुल गांधी या दूसरे नेता नाराज नहीं कर सकते. नारायण साकार हरि का मूल नाम सूरजपाल सिंह हैं जिनका नाता जाटव समाज से है. इनका प्रभाव हाथरस, एटा, कासगंज, आगरा मथुरा समते पश्चिमी यूपी के कई जिलों में इसके अलावा बड़ी संख्या में इनके अनुयायी हरियाणा और राजस्थान में हैं. कोई भी सियासी दल हो सीधे सीधे इस तरह के बाबाओं से उलझना नहीं चाहता है क्योंकि खतरा वोटबैंक के सरकने का होता है. हाल ही में कुछ तस्वीरें अखिलेश यादव की आई थीं जो नारायण साकार हरि के सत्संग से जुड़ी हुई थी. जब उन तस्वीरों के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यूपी सरकार लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है हालांकि वो अपनी तस्वीरों और बाबा पर सीधे तौर पर बोलने से बचते नजर आए.

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