'जो न कर सके बालासाहेब, वो फडणवीस ने किया'– राज ठाकरे का बड़ा बयान

Marathi vs Hindi dispute: राज–उद्धव ठाकरे के बीच की यह पुनर्मिलन रैली सिर्फ भाषाई एकता तक सीमित नहीं है. यह मराठी अस्मिता, विरोध की एकता और सत्ता को भी चुनौती देने वाला जनाधारित आंदोलन है.;

Update: 2025-07-05 08:02 GMT

Maharashtra politics: मुंबई के वर्ली में आज इतिहास रच गया, जब करीब दो दशक बाद ठाकरे बंधु — राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक ही मंच पर एकजुट नजर आए. कभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का चेहरा रहे दोनों नेता अब एक साझा मुद्दे 'मराठी अस्मिता' के लिए साथ खड़े हैं. इस ऐतिहासिक रैली में न केवल हिंदी थोपे जाने के फैसले की आलोचना हुई, बल्कि मराठी गौरव की आवाज पूरे महाराष्ट्र में गूंज उठी. राज ठाकरे ने चौंकाने वाली शैली में यह तक कह दिया कि जो काम न बालासाहेब कर पाए, न हजारों समर्थक, वो मुख्यमंत्री फडणवीस ने कर दिखाया। यानी कि ठाकरे परिवार को फिर से एक कर दिया.

मराठी में अपने संबोधन में राज ठाकरे ने कहा कि उद्धव और मैं 20 साल बाद एक साथ आ रहे हैं. जो बालासाहेब ठाकरे नहीं कर पाए, वो हजारों लोग न कर सके, देवेंद्र फडणवीस ने वह कर दिखाया. ह बाल ठाकरे के व्यक्तित्व और राज के बीच हुए विभाजन को पीछे छोड़कर मराठी एकता को दर्शाता है.

भाषा पर आम सहमति

उद्धव ठाकरे ने कहा कि भाषा के सवाल पर, राज, मैं और यहां सब लोग एकजुट हैं. उन्होंने मराठी अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि हां, हमें गुंडा कहा जाता है; लेकिन अगर न्याय पाने के लिए गुंडागिरी करनी पड़ेगी तो हम करेंगे. उद्धव ने कहा कि उन्होंने हिंदी की तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्यता की घोषणा वापस करवाने में सड़कों की ताकत का सहारा लिया.

राज ठाकरे ने हिंदी को थोपे जाने पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि बच्चों पर हिंदी क्यों थोप दी जा रही है? हिंदी भाषी राज्य पीछे हैं, लोग यहां आने लगे. हिंदी ने उन्हें क्यों आगे नहीं बढ़ाया? उन्होंने चेताया कि अगर इस पहल को चुपचाप स्वीकार किया गया होता तो अगला कदम मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की कोशिश हो सकती थी.

राजनीति से ऊपर मराठी प्रतिष्ठा

रैली के आयोजक और शिवसेना (UBT) नेता आनंद दुबे ने कहा कि आज एक सुनहरा पल है, जब दोनों ठाकरे, जो मराठी राजनीति के स्थापित ब्रांड हैं, राजनीति की बजाय महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा के लिए एक साथ आए हैं. 

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