महिला डॉक्टरों को नाइट शिफ्ट के लिए नहीं रोक सकते, SC को क्यों कहनी पडी़ ये बात

आरजी कर अस्पताल केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में महिला डॉक्टरों की नाइट शिफ्ट के मुद्दे पर ममता सरकार को पीठ ने लताड़ लगाई

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-17 08:46 GMT

Women Doctor Night Shift:  मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज पश्चिम बंगाल सरकार की अधिसूचना की आलोचना की जिसमें कहा गया था कि राज्य द्वारा संचालित अस्पताल महिला डॉक्टरों को रात्रि पाली आवंटित करने से बचेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें सुरक्षा प्रदान करना राज्य का कर्तव्य है। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय डॉक्टर के बलात्कार-हत्या के मद्देनजर जारी की गई अधिसूचना में संशोधन करने के लिए बंगाल सरकार को निर्देश देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा आप कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं?

आप प्रतिबंध क्यों लगा रहे
महिला डॉक्टरों पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है? वे रियायत नहीं चाहतीं महिलाएं एक ही पाली में काम करने के लिए तैयार हैं। ममता बनर्जी सरकार के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मिस्टर सिब्बल आपको इस पर गौर करना होगा। इसका जवाब यह है कि आपको सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए। पश्चिम बंगाल को अधिसूचना को सही करना चाहिए। आपका कर्तव्य सुरक्षा प्रदान करना है। आप यह नहीं कह सकते कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं। पायलट, सेना आदि सभी रात में काम करते हैं। अदालत ने कहा कि महिला डॉक्टरों के रात में काम न करने की स्थिति उनके करियर को प्रभावित करेगी। इसके बाद श्री सिब्बल ने जवाब दिया कि संबंधित धारा को हटा दिया जाएगा।

आरजी कर अस्पताल में बलात्कार-हत्या की घटना पर पूरे देश में विरोध के बीच सीएम ममता बनर्जी के प्रमुख सलाहकार अलपन बंद्योपाध्याय ने महिला डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नई पहल की जानकारी दी। बंद्योपाध्याय ने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में महिलाओं के अनुकूल सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाएगा। मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में स्थानीय पुलिस द्वारा नियमित रात्रि गश्त की व्यवस्था की जाएगी।उन्होंने कहा कि शिफ्ट इस तरह से व्यवस्थित की जाएगी कि रात की ड्यूटी के मामले में महिला डॉक्टर जोड़े में काम कर सकें। उन्होंने कहा कि निजी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों को भी इन दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है।

कपिल सिब्बल ने  कहा कि कोलकाता बलात्कार-हत्या मामले में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करने के कारण उनकी महिला सहकर्मियों को धमकियाँ मिल रही हैं और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से इस संवेदनशील मामले में कार्यवाही का सीधा प्रसारण न करने का अनुरोध किया। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुनवाई का सीधा प्रसारण जनहित में है। उन्होंने सिब्बल को आश्वस्त दिया कि यदि वकीलों को धमकियां मिलती हैं तो वे इसमें हस्तक्षेप करेंगे। सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से कहा कि जो कुछ हो रहा है, उसे लेकर मैं बहुत चिंतित हूं। जब किसी मामले का इस तरह सीधा प्रसारण किया जाता है जिसका भावनात्मक प्रभाव होता है।  हम यहां अभियुक्त के लिए नहीं हैं, हम राज्य के लिए पेश होते हैं और जैसे ही न्यायालय कोई टिप्पणी करता है, हमारी प्रतिष्ठा रातों-रात नष्ट हो जाती है। मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि हम सीधा प्रसारण बंद नहीं करेंगे यह जनहित में है, यह एक खुली अदालत है।"

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