महाकुंभ में स्नान करने लायक नहीं संगम का पानी, CPCB की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा!
CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान विभिन्न स्थानों पर नदी के पानी में फेकल कोलिफॉर्म का स्तर स्नान के लायक नहीं है.;
CPCB Report: यूपी के प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ आखिरी दौर में है. हालांकि, अभी तक 54 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके हैं. इसी बीच सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. बोर्ड ने यह रिपोर्ट राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) में दाखिल की है. इसमें बताया गया है कि दोनों नदियों का पानी स्नान करने लायक नहीं है.
CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान विभिन्न स्थानों पर नदी के पानी में फेकल कोलिफॉर्म (मल-कोलिफॉर्म) का स्तर स्नान के मानकों के लायक नहीं हैं. यह रिपोर्ट इसलिए भी अहम मानी जा रही है कि क्योंकि करोड़ों की तादाद में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए आ रहे हैं. मेला प्रशासन के अनुसार, 13 जनवरी से अब तक माघ कुंभ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 54.31 करोड़ से अधिक हो चुकी है. सोमवार शाम 8 बजे तक 1.35 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाई.
मानकों के लायक नहीं पानी
वहीं, CPCB मानकों के अनुसार, 100 मिलीलीटर पानी में फेकल कोलिफॉर्म की 2,500 यूनिट्स तक की सीमा तय की गई है. फेकल कोलिफॉर्म पानी में सीवेज प्रदूषण का सूचक है. सीपीसीपी ने जो रिपोर्ट जारी की है उसमें कुल 6 पैमानों पर गंगा और यमुना नदी के पानी को जांचा गया है. इसमें पीएच, फीकल कोलीफॉर्म, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्वड ऑक्सीजन शामिल है. इन छह पैमानों पर जितनी भी जगहों से सैंपल लिए गए हैं, उनमें ज्यादातर में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है. वहीं, 5 पैमानों पर पानी की गुणवत्ता मानक के अनुरूप है.
फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा अधिक
हैरान करने वाली यह है कि संगम के आसपास स्थिति ज्यादा खराब है. संगम से लिए गए सैंपल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया एक मिलीलीटर पानी में 100 की बजाय 2000 निकला है. विशेषज्ञों के मुताबिक, जिस पानी में मानक से ज्यादा फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया होगा, वह किसी इस्तेमाल के लायक नहीं रहेगा. यह पानी अगर शरीर में गया तो बीमारियां पैदा करेगा. अगर ऐसे पानी से नहाया जाता है तो त्वचा रोग होने की आशंका बने रहती है.
660 MLD साफ किया पानी
महाकुंभ के दौरान गंगा को साफ नाए रखने का जिम्मा प्रयागराज नगर निगम और उत्तर प्रदेश जल निगम काम के पास है. नगर निगम के मुताबिक, जियो-ट्यूब तकनीक का इस्तेमाल कर 23 अनटैप्ड नालों के अपशिष्ट जल को शोधित किया जा रहा है. 1 से 4 फरवरी तक 3 हजार 660 MLD साफ किया पानी गंगा में छोड़ा गया है.
3 फरवरी की एक रिपोर्ट में, CPCB ने NGT की पीठ को माघ कुंभ मेला के दौरान प्रयागराज में नदी के पानी की गुणवत्ता की खराब स्थिति के बारे में सूचित किया था. रिपोर्ट में कुछ अनुपालन न करने या उल्लंघनों का उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में यह बताया गया कि सभी निगरानी स्थानों पर नदी के पानी की गुणवत्ता फेकल कोलिफॉर्म (FC) के संदर्भ में स्नान के लिए निर्धारित प्राथमिक पानी की गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी. CPCB ने अपनी रिपोर्ट में कहा क प्रयागराज में माघ कुंभ मेला के दौरान नदी में एक बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं, जिसमें शुभ स्नान दिवस भी शामिल होते हैं. जो आखिरकार फेकल कोलिफॉर्म का स्तर बढ़ा देते हैं.
बता दें कि अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल वाली NGT की पीठ प्रयागराज में गंगा और यमुना में सीवेज निकासी पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.
NGT की पीठ ने यह भी नोट किया कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने पहले की दिशा के अनुसार व्यापक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की. न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि बोर्ड ने केवल कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक कवर पत्र प्रस्तुत किया था. जनवरी 28, 2025 को यूपीपीसीबी के केंद्रीय प्रयोगशाला प्रभारी द्वारा भेजे गए कवर पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों की समीक्षा करने पर यह स्पष्ट हुआ कि विभिन्न स्थानों पर फेकल और कुल कोलिफॉर्म के उच्च स्तर पाए गए हैं. न्यायाधिकरण ने उत्तर प्रदेश राज्य के अधिवक्ता को रिपोर्ट की जांच करने और एक प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया है. वहीं, यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव और गंगा नदी की जल गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार राज्य प्राधिकरण को 19 फरवरी को निर्धारित अगली सुनवाई में वर्चुअल मोड में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है.