बिहार मतदाता सूची पर विवाद: राजद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बिहार में मतदाता सूची में संशोधन के चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस साल के अंत में बिहार में चुनाव होने हैं।;

Update: 2025-07-06 15:23 GMT

Bihar Elections : बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण (रिवीजन) को लेकर चुनाव आयोग के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। राजद का आरोप है कि आयोग की यह कवायद मतदाताओं को उनके मताधिकार से वंचित कर सकती है।

राजद के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने पार्टी की ओर से याचिका दायर की है। इस मामले में राजद का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल करेंगे, जिन्होंने सोमवार को जल्द सुनवाई का अनुरोध किया है।

क्या है मामला?

दरअसल, 24 जून को चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची का "विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR)" करने का निर्देश दिया था। आयोग का कहना है कि शहरीकरण, प्रवासन, युवाओं के मतदाता बनने और मृत्यु की सही जानकारी न मिलने जैसे कारणों से यह अभ्यास जरूरी है, ताकि केवल पात्र नागरिक ही मतदान कर सकें। आयोग ने यह भी साफ किया है कि वह संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का पूरी तरह पालन करेगा।

विपक्षी दलों का विरोध

हालांकि, चुनाव आयोग के इस आदेश का कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि एसआईआर का मकसद युवाओं को मतदान से रोकना है, जिससे भाजपा को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि यह आदेश 1 जुलाई, 1987 से 2 दिसंबर, 2004 के बीच पैदा हुए लाखों मतदाताओं को मतदान से वंचित कर सकता है। उनकी पार्टी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसे "शैतानी चाल" बताया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि इस कवायद से करीब आठ करोड़ लोग प्रभावित होंगे और बिहार के मतदाता भाजपा को सबक सिखाएंगे। 'इंडिया' गठबंधन ने भी 9 जुलाई को राज्य में इस मुद्दे को उठाने का फैसला किया है।

राजद की तरफ से पहले ये सवाल उठाया गया था कि यह कवायद केवल बिहार में ही क्यों की जा रही है, जबकि 2003 में यह पूरे देश में हुई थी।


नागरिक समाज भी हुआ मुखर

पीयूसीएल, एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और योगेंद्र यादव जैसे कार्यकर्ताओं सहित कई नागरिक समाज संगठनों ने भी एसआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।


भाजपा का बचाव

वहीं, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने इस कवायद का बचाव किया है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि वे "चुनावों में निश्चित हार से पहले बहाना" ढूंढ रहे हैं।


चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग ने रविवार को बताया कि बिहार में इस कवायद का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। आयोग ने उन दावों को खारिज कर दिया जिनमें कहा जा रहा था कि प्रक्रिया में हेरफेर की जा रही है। आयोग ने दोहराया कि एसआईआर 24 जून, 2025 के निर्देशों के अनुसार ही आयोजित किया जा रहा है और निर्देशों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आयोग ने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया में घर-घर जाकर सर्वे करना, लाइव तस्वीरें लेना और मतदाताओं को फॉर्म भरने में मदद करना शामिल है।

मतदाताओं को 25 जुलाई तक अपने दस्तावेज जमा करने का समय दिया गया है, और मतदाता सूची का अंतिम मसौदा 1 अगस्त को जारी किया जाएगा


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