हिमालय की रक्षा में आगे आई RSS, चार धाम हाईवे प्रोजेक्ट पर उठे सवाल
RSS और उसके वरिष्ठ नेताओं ने हिमालय संरक्षण और सतत विकास को राष्ट्रीय मिशन का हिस्सा बनाया है। चार धाम प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाओं के बीच यह कदम पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाने के लिए अहम माना जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और पर्यटन व डैम जैसी अनियंत्रित विकास गतिविधियों के कारण हिमालय पहले से ही गंभीर पारिस्थितिक संकट में है, अब पर्यावरण संरक्षण का मजबूत समर्थक पा चुका है – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और उसके विस्तारित परिवार के रूप में। यह कदम उस समय आया है, जब विवादास्पद चार धाम हाईवे प्रोजेक्ट पर कई सवाल उठ रहे हैं। साल 2025 के उत्तरार्ध में RSS के वरिष्ठ नेता हिमालयी पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए सक्रिय हुए, जो देश के लिए जीवनधारा की तरह महत्वपूर्ण मानी जाती है। RSS ने पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित “पर्यावरण विभाग” स्थापित किया है, जो जल प्रबंधन, वृक्षारोपण अभियान और प्लास्टिक उपयोग घटाने जैसी पहलों पर काम कर रहा है।
मुरली मनोहर जोशी का समर्थन
पूर्व केंद्रीय मंत्री और RSS के आजीवन सदस्य मुरली मनोहर जोशी ने गंगोत्री नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण के लिए 6,000 से अधिक देवदार वृक्षों की कटाई के विरोध में आयोजित 'रक्षा सूत्र कार्यक्रम' का समर्थन किया। जोशी के अनुसार, हिमालय की सुरक्षा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना देश की सीमाओं की। जोशी ने कहा कि अगर भागीरथी नदी गायब हो गई तो हमारी संस्कृति का मापदंड भी मिट जाएगा। उन्होंने भगवद गीता का हवाला देते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने खुद को पर्वतों में हिमालय और नदियों में भागीरथी के रूप में बताया है, इसलिए हिमालय की रक्षा अनिवार्य है। जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में देवदार वृक्षों की सुरक्षा के लिए 100 लोगों के हस्ताक्षरित याचिका भी जमा की है।
चार धाम प्रोजेक्ट पर पर्यावरणीय चिंताएं
चार धाम हाईवे प्रोजेक्ट लगभग 900 किमी लंबी सड़क है, जिसके लिए हिमालय में बड़े पैमाने पर पहाड़ों को काटा गया। इससे वनों की कटाई और मलबे का जमाव हुआ, जो खेतों में बहकर पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है। परियोजना से भूस्खलन, वन्यजीव आवास की हानि और स्थानीय आजीविका पर गंभीर असर पड़ा है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में है, क्योंकि उच्च ऊंचाई पर कई लोग बीमारियों और हृदय/सांस की समस्याओं के कारण मर रहे हैं। अनियंत्रित निर्माण के कारण जमीन धंसाव और भूस्खलन बढ़े हैं, जिससे तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों की जान खतरे में पड़ती है।
RSS और कृष्ण गोपाल की पहल
RSS के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल ने विकास और पारिस्थितिकी संतुलन पर जोर देते हुए सतत विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। गोपाल ने चार धाम मार्ग पर सड़क चौड़ीकरण के बजाय आपदा-प्रतिरोधी और सतत विकास मॉडल अपनाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हिमालय की सुरक्षा के बिना पूरे देश और मानवता को गंभीर संकट का सामना करना पड़ेगा। गोपाल ने प्राकृतिक संसाधनों की अत्यधिक खपत और जैविक खेती की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि मिट्टी की सेहत और देश के लिए स्वस्थ उत्पादन सुनिश्चित हो सके।
RSS के पर्यावरणीय दृष्टिकोण
RSS का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारी भी है। छोटे-छोटे प्रयास मिलकर प्रकृति को बचाने में मदद कर सकते हैं। RSS के वरिष्ठ विचारक KN गोविंदाचार्य ने भी “ईको-सेंट्रिक विकास” का समर्थन करते हुए हिमालयी पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए न्यायिक और सरकारी हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने कहा कि अनियंत्रित विकास और जलवायु परिवर्तन के कारण केदारनाथ त्रासदी और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ जैसी आपदाओं की आवृत्ति बढ़ी है।
गोविंदाचार्य ने 'प्रकृति केंद्रित विकास मंच' की स्थापना की है, जो संसाधनों का उपयोग केवल वास्तविक जरूरतों के लिए करने और अनियंत्रित खपत से बचने पर जोर देता है। उन्होंने गंगा नदी की सुरक्षा और स्वदेशी जागरण मंच के माध्यम से स्थायी उत्पादन और खपत पर काम किया है।