इस तरह झारखंड में बिखरा 'गुरुजी' का परिवार, दोनों बहुओं के तेवर तल्ख
झारखंड की राजनीति में शिबू सोरेन परिवार का सिक्का कैसे चलता है. हर एक शख्स को पता है, लेकिन इस समय यह परिवार आपसी जंग से जूझ रहा है.
Kalpna Soren Vs Sita Soren Politics: सियासत का अपना रंग है, सिर्फ सत्ता हासिल करना, सत्ता को बचाए रखना. रास्ते में अगर अपना आए तो उसकी बलि देने से परहेज ना करना. आप सोच रहे होंगे कि किस संदर्भ में यह लाइन लिखी गई है. दरअसल बात हम झारखंड के एक ऐसे परिवार की करेंगे जिसके बारे में कहा जाता है कि झारखंड राज्य के गठन में उसकी बड़ी भूमिका थी. यह बात सच के करीब भी है. लेकिन एक सच यह भीहै कि उस परिवार की बहुओं के तेवर तल्ख हैं और गुरुजी के नाम से मशहूर शिबू सोरेन के पास कुछ ज्यादा विकल्प भी नहीं हैं.
सोरेन परिवार की बहुओं में अदावत
यह कहानी शिबू सोरेन के दो बहुओं सीता सोरेन और कल्पना सोरेन की है, सीता सोरेन के पति दुर्गा सोरेने का काफी पहले निधन हो चुका है और हेमंत सोरेन भ्रष्टाचार के केस में जेल में हैं और उनकी पत्नी झारखंड की सीएम बनते बनते रह गईं. बता दें कि सीता सोरेन, बीजेपी के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से किस्मत आजमां रही हैं तो दूसरी तरफ कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा से. सवाल यह है कि दोनों बहुओं में तल्खी क्यों बढ़ी.
मामला यहां से हुआ खराब
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी जब ईडी ने की तो सवाल यह था कि झारखंड की कमान कौन संभालेगा. मामला करीब करीब तय हो चुका था कि हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को कमान सौंप देंगे. लेकिन सीता सोरेन ने अड़ंगा लगा दिया और झारखंड की कमान सोरेन परिवार के बाहर चंपई सोरेन के हाथ में चली गई. वैसे तो सीता सोरेन गाहे बेगाहे कहती रही हैं कि उन्हें उनका हक नहीं मिला.वो अपने पति दुर्गा सोरेन का जिक्र करते हुए कहती हैं कि झारखंड राज्य की लड़ाई में उनके पति की भूमिका किसी भी मायने में कम नहीं थी. लेकिन उनका सम्मान नहीं हुआ. इन सबके बीच हाल में क्या कुछ हुआ कि तल्खी बढ़ गई.
एक साथ एक जगह लेकिन नहीं मिली नजर
दरअसल हाल ही में कल्पना सोरेन और सीता सोरेन के चचिया ससुर का निधन हुआ. श्रद्धांजलि देने के लिए पूरा परिवार पैतृक गांव नेमरा पहुंचा था. हेमंत सोरेन को श्राद्ध कर्म में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे. खास बात यह थी कि हेमंत सोरेन के लुक की भी चर्चा होती रही, दाढ़ी में वो अपने पिता की तरह नजर आ रहे थे.माहौल दुख का था. दोनों बहुएं उस जगह पर मौजूद थीं. लेकिन दोनों के बीच किसी तरह की बात नहीं हुई. हेमंत सोरेन ने अपनी भाभी से एक शब्द बात भी नहीं की. जानकार कहते हैं कि हेमंत सोरेन को लगता है कि उनकी भाभी की वजह से ही उनकी पत्नी सीएम नहीं बन सकीं. अब जबकि यह बात पुरानी हो चुकी है तो सीता सोरेन की दुमका से चुनाव लड़ना हेमंत सोरेन को रास नहीं आ रहा.
सीता सोरेन को था यह गम
दुमका की राजनीति पर नजर रखने वाले कहते हैं कि सीता सोरेन के खिलाफ झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से नलिन सोरेन चुनावी मैदान में हैं. हालांकि इनका नाता सोरेन परिवार से नहीं है, लेकिन जिस तरह से वो सीता सोरेन के खिलाफ बयान दे रहे है वो उन्हें रास नहीं आ रहा. सीता सोरेन का मानना है कि चुनावी लड़ाई तो विचार की है लेकिन उसकी आड़ में उन्हें बुरा भला कहा जा रहा है. झारखंड की सियासत पर नजर रखने वाले कहते भी हैं कि शिबू सोरेन के कंधे के साथ कंधा मिलाकर दुर्गा सोरेन ने लड़ाई लड़ी थी. उनके निधन के बाद उन्हें लगा की वो राजनीतिक वारिस बनेंगी. लेकिन गुरुजी ने बहू की जगह बेटे को चुना और उसके बाद से ही संबंधों में तल्खी आ गई.