क्या शिंदे खेमा कर रहा है सियासत, बीजेपी के साथ लेकिन दबाव भी

महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे गुट कह रहा है कि महायुति ही उनका ठिकाना है। नैतिक आधार पर भी सीएम पद के लिए बीजेपी का दावा बनता है, ऐसे में सवाल कि फिर अड़चन क्यों।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-30 05:45 GMT

Eknath Shinde News: सियासत में अगर त्याग ही उच्चतम आदर्श होता तो महाराष्ट्र में सरकार अब तक बन जानी चाहिए थी। लेकिन स्थिति साफ नहीं है। 23 नवंबर को नतीजों के आने के बाद महायुति को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ। महायुति में बीजेपी नंबर वन, शिवसेना शिंदे गुट नंबर दो और एनसीपी अजित पवार तीसरे पायदान पर हैं। अगर संख्या बल के हिसाब से देखें तो सामान्य सा जवाब यही होगा कि मौका बीजेपी को मिलना चाहिए। पहले इस विषय पर सहमति नहीं बन रही थी। शिवसेना शिंदे गुट के नेता तरह तरह से अपनी बात रख रहे थे। लेकिन अब सीएम पद की जिद छोड़ चुके हैं। लेकिन मामला पूरी तरह सुलझा नहीं है।

सब कुछ ठीक का दावा
दिल्ली में महायुति की बैठक के बाद मुंबई में 29 नवंबर को बैठक होनी थी। लेकिन एकनाथ शिंदे( Eknath Shinde) सतारा स्थित अपने गांव चले गए और बैठक टल गई। अब यदि यह सामान्य लोगों की बैठक होती तो उतनी चर्चा भी नहीं होती। लेकिन यह बैठक सामान्य लोगों की नहीं थी। दूसरी बात ये कि बैठक को पूर्व निर्णय के मुताबिक लिया गया था। लिहाजा शिंदे का अपने गांव चले जाना कई सवाल खड़े कर गया। अब इस विषय शिंदे के करीबी संजय सिरसाट ने कुछ बड़ी बात कही है। 

शिवसेना नेता संजय शिरसाट (Sanjay Shirsat) ने जोर देकर कहा कि पार्टी को नई महाराष्ट्र सरकार में महत्वपूर्ण गृह विभाग मिलना चाहिए। इसके साथ ही दावा किया कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को दरकिनार करने की कोशिश की जा रही है। शिरसाट ने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि शिंदे की सकारात्मक छवि और उनके द्वारा शुरू की गई योजनाओं को देखते हुए, अगर उन्हें सीएम के तौर पर ढाई साल और मिलते तो वे और अधिक योगदान देते।

डिप्टी सीएम का गृहमंत्रालय से कनेक्शन

औरंगाबाद पश्चिम विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक ने कहा कि गृह विभाग पार्टी (Shivsena Shinde) के पास होना चाहिए। यह विभाग आमतौर पर उपमुख्यमंत्री के पास होता है। अगर मुख्यमंत्री गृह विभाग का नेतृत्व करते हैं तो यह सही नहीं होगा। निवर्तमान सरकार में देवेंद्र फडणवीस के पास गृह विभाग है। महायुति में दरार शिरसाट की टिप्पणी महायुति के सहयोगियों - भाजपा (BJP), शिवसेना और एनसीपी - के बीच दरार की ओर इशारा करती है, जिन्होंने हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 288 विधानसभा सीटों में से 230 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया।भाजपा ने 132 सीटें जीतीं, उसके बाद उसके सहयोगी शिवसेना (57) और एनसीपी (41) रहे।अब कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा है कि वह अगले मुख्यमंत्री के नाम के लिए भाजपा नेतृत्व के फैसले का "पूरी तरह से समर्थन" करेंगे और इसमें कोई बाधा नहीं बनेंगे।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, सतारा में अपने पैतृक गांव डेरे गए शिंदे नाराज हैं। पार्टी ने सरकार गठन के बारे में विचार-विमर्श में गृह विभाग की मांग की है।उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी संख्या के आधार पर मुख्यमंत्री पद मांग रही है और इससे शिवसेना नाराज है। शिरसाट ने कहा, "शिंदे को महायुति सरकार का चेहरा बनाकर भाजपा को निश्चित रूप से लाभ हुआ है। भाजपा या एनसीपी मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों(Maratha Resrvation Issue) को शांत करने में शामिल नहीं थी। शिंदे ने ही इसे अपने ऊपर लिया। उन्होंने मराठा आरक्षण भी दिया, इसलिए उनके लिए समर्थन कई गुना बढ़ गया। 

अजित पवार पर आरोप

शिरसाट नेआरोप लगाया कि एनसीपी प्रमुख अजित पवार (Ajit Pawar)ने महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना का विरोध किया था, लेकिन सरकार ने इस योजना को आगे बढ़ाया और इसका असर चुनावों में देखा गया। शिवसेना नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर शिंदे की 'आम आदमी' वाली छवि लोगों को ज़्यादा स्वीकार्य थी और उनके लिए 'गद्दार' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किए जाने के बावजूद उन्होंने राज्य चुनावों के बाद खुद को मज़बूती से स्थापित किया है।उन्होंने कहा, "इससे पूरे महायुति को फ़ायदा हुआ है। उन्होंने सबसे ज़्यादा रैलियाँ निकालीं। इसे देखते हुए, अगर उन्हें ढाई साल मिलते, तो वे राज्य के लिए ज़्यादा योगदान देते।"

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