STF को सरेआम ठोको फोर्स क्यों कह रहे हैं अखिलेश, सिर्फ सियासत या हकीकत भी

यूपी के सुल्तानपुर सर्राफ लूट कांड में एक और अपराधी एनकाउंटर में मारा जा चुका है. नाम अनूज प्रताप सिंह है। इस कांड में जब मंगेश यादव मारा गया था तो सियासत गरमा गई थी।;

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-23 06:43 GMT
STF को सरेआम ठोको फोर्स क्यों कह रहे हैं अखिलेश, सिर्फ सियासत या हकीकत भी
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यूपी की राजधानी लखनऊ से करीब 135 किमी दूर सुल्तानपुर जिला है। 28 अगस्त को ठठेरी बाजार के ओम आर्नामेंट में करीब 14 नकाबपोश बदमाश घुसते हैं, दो करोड़ के सोने चांदी को लूटने के बाद फरार हो जाते हैं। जाहिर सी बात है कि घटना बड़ी लिहाजा पुलिस पर दबाव भी अधिक। इस मामले की राजफाश के लिए एसटीएफ की टीम लगाई जाती है। एसटीएफ की कार्रवाई में कुल 6 एनकाउंटर होते हैं जिसमें दो पूरा और चार आधा। यानी कि दो बदमाशों की मौत हो चुकी है, चार के हाथ या पैर में चोट आई है। लेकिन सियासत तब शुरू हुई जब बदमाशों में से एक मंगेश यादव मारा गया। मंगेश यादव के मारे जाने पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने तो एसटीएफ का नाम ही सरेआम ठोको फोर्स सीधे तौर पर कहा। इसके साथ ही अपनी जुबां से स्पेशल ठाकुर फोर्स का भी नाम लिया। हालांकि इसके लिए लोगों का जिक्र किया। इसके साथ स्पेशल टास्क फोर्स का हिंदी में अनुवाद विशेष कार्य बल के तौर पर कर कुछ बलशाली कृपापात्र लोगों का व्यक्तिगत बल बता डाला।

क्या है पूरी वारदात

  • 28 अगस्त को सुल्तापुर के ठठेरी बाजार में लूट
  • 14 बदमाशों ने डकैती डाली
  • 11 बदमाश में कुछ का एनकाउंटर और कुछ गिरफ्तार
  • तीन बदमाश अभी भी फरार
  • 29 अगस्त को मुख्य आरोपी विपिन सिंह सरेंडर करता है।
  • 5 सितंबर को मंगेश यादव का एनकाउंटर सुल्तानपुर में होता है
  • 11 सितंबर को एनकाउंटर के बाद चार बदमाश विवेक सिंह, विनय शुक्ला, अरविंद यादव और दुर्गेश सिंह की गिरफ्तारी
  • 20 सितंबर को अजय यादव से मुठभेड़, पैर में गोली लगती है
  • 23 सितंबर को आरोपी अनूज प्रताप सिंह का उन्नाव में एनकाउंटर, बदमाश की मौत हो चुकी है। 

अखिलेश यादव का खास ट्वीट

‘सरेआम ठोको फोर्स’ में तैनात लोगों का आँकड़ा बता रहा है कि ये तथाकथित ‘विशेष कार्य बल’ (विकाब) कुछ बलशाली कृपा-प्राप्त लोगों का ‘व्यक्तिगत बल’ बनकर रह गया है।जो जनसंख्या में 10% हैं, उनको 90% तैनाती और जो जनसंख्या में 90% हैं, उनको 10% तैनाती। इसका मतलब, इस बल के इस्तेमाल किये जाने का कोई खास मक़सद है, जिसके कारण ऐसी तैनाती हुई है। ‘विकाब’ के बारे में यूं भी कहा जा सकता है : बलशालियों द्वारा, बलशालियों के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लेकिन निर्बलों के ख़िलाफ़।

देखिएगा कि इस आँकड़े के सामने आते ही, कैसे अपना मुँह बचाने के लिए शासन-प्रशासन के स्तर पर कॉस्मैटिक उपचार होगा और कुछ उपेक्षित लोगों को दिखावटी पोस्टिंग दी तो जाएगी लेकिन ‘विशेष प्रयोजन की पूर्ति’ के समय, कोई भी बहाना बनाया जाएगा पर साथ नहीं ले जाया जाएगा। ‘विकाब’ वाले विकास कैसे कर सकते हैं? उप्र के लिए ‘विकाब’ विकार है।

बीजेपी का भी पलटवार

इस पूरे कांड में जब एसटीएफ ने मंंगेश यादव का एनकाउंटर किया को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अगर मुठभेड़ से ही अपराध होता तो इस तरह की वारदात नहीं होनी चाहिए थी। लेकिन क्या हो रहा है। राज्य की सरकार अपराधियों की जाति देखकर कार्रवाई कर रही है। लेकिन बीजेपी के लोग पूछ रहे हैं कि अखिलेश जी को जाति क्यों दिखाई देती है। जिस जाति के दबदबे बात वो एसटीएफ के लिये करते हैं उसी समाज का बदमाश मारा गया है। दरअसल जिन लोगों की आदत ही जात पात देखकर काम करने की रही हो वो इसी तरह की बात करते हैं। सच तो ये है कि योगी राज में कानून के साथ जो मजाक या खिलवाड़ करेगा उसका हश्र ऐसा ही होगा। सिर्फ चुनाव में कुछ सीट या मत पाने के लिए इस तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। 

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