कस्टोडियल टॉर्चर पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, कुपवाड़ा मामले में CBI जांच के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने CBI को SIT गठित कर एक महीने के भीतर आरोपी अधिकारीयों की गिरफ़्तारी करने और इसी अवधि में जाँच करने के निर्देश दिए हैं.;

Update: 2025-07-21 08:58 GMT

Supreme Court Strict On Custodial Torture : जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में हिरासत में प्रताड़ना के गंभीर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए न सिर्फ इस मामले की जांच सीबीआई से कराये जाने के निर्देश दिए बल्कि पीड़ित पक्ष को 50 लाख रूपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया। इतना ही नहीं सर्वोच्च अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को इस घटना की जांच का जिम्मा सौंपते हुए स्पष्ट निर्देश दिया कि आरोपित अधिकारियों को एक महीने के भीतर गिरफ्तार किया जाए और जांच भी इसी अवधि में पूरी की जाए।

यह मामला फरवरी 2023 का है, जब कुपवाड़ा के संयुक्त पूछताछ केंद्र (JIC) में पुलिस कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को अवैध रूप से हिरासत में रखे जाने और अमानवीय बर्ताव का आरोप लगा था। चौहान ने दावा किया कि उन्हें कई दिनों तक गैरकानूनी ढंग से बंदी बनाकर रखा गया और उनके साथ इस कदर अत्याचार हुआ कि उनके निजी अंगों को भी नुकसान पहुंचाया गया।


सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को आदेश दिया कि चौहान को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए ₹50 लाख का मुआवजा दिया जाए। साथ ही CBI को निर्देशित किया गया कि वह विशेष जांच दल (SIT) बनाकर घटना की पूरी पड़ताल करे।


हाई कोर्ट का आदेश रद्द
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के उस आदेश को भी पलट दिया, जिसमें चौहान के खिलाफ आईपीसी की धारा 309 (आत्महत्या के प्रयास) के तहत दर्ज मामला खत्म करने से इनकार कर दिया गया था। जस्टिस मेहता ने कहा कि ऐसे हालात में चौहान के खिलाफ मुकदमा चलाना न्याय का अपमान होगा।


संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का संदेश
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला केवल व्यक्तिगत प्रताड़ना का नहीं, बल्कि व्यवस्था में छिपी खामियों का भी है, जिनकी जांच जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देश में हिरासत में हिंसा के खिलाफ सख्त कानूनी रुख और मौलिक अधिकारों की रक्षा के संदेश के रूप में देखा जा रहा है।


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