703 हादसे सबक जीरो, सिगाची हादसे ने खोली सुरक्षा की पोल
तेलंगाना के सिगाची फॉर्मा इंडस्ट्री के पीड़ितों के लिए मुआवजे और कार्रवाई का ऐलान किया गया है। लेकिन इस हादसे ने कई सवालों को जन्म दिया है।;
Pharma Fire Accidents in Telangana: तेलंगाना के पाशमाईलारम स्थित सिगाची फार्मा फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट और आग ने न सिर्फ कई जानें लीं, बल्कि राज्य के फार्मास्युटिकल उद्योगों में व्याप्त सुरक्षा लापरवाही को भी उजागर कर दिया है। इस हादसे में 45 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हैं। लेकिन यह महज एक अकेली घटना नहीं है। पिछले पांच वर्षों में राज्य की 703 फैक्ट्रियों में आग और विस्फोट की घटनाएं हो चुकी हैं।
निरीक्षण के नाम पर औपचारिकता
तेलंगाना फैक्ट्री निदेशालय (Directorate of Factories) द्वारा की गई आकस्मिक जांच में यह सामने आया है कि अधिकांश फार्मा और केमिकल फैक्ट्रियाँ आग से सुरक्षा के बुनियादी उपाय तक नहीं करतीं। कई इकाइयाँ पुराने और जर्जर उपकरणों के साथ उत्पादन जारी रखती हैं, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। फैक्ट्रीज़ ऐक्ट 1948 और तेलंगाना फैक्ट्री रूल्स 1950 के तहत सुरक्षा उपाय अनिवार्य हैं, लेकिन अधिकांश कंपनियां इन्हें अनदेखा करती हैं।
खतरनाक रसायनों का उपयोग और चेतावनी रंग कोड
फार्मा उद्योगों में भारी मात्रा में रासायनिक यौगिकों का उपयोग होता है, जो विस्फोटक और विषैले हो सकते हैं। इस आधार पर फैक्ट्रियों को ग्रीन, येलो और रेड कैटेगरी में वर्गीकृत किया जाता है, लेकिन तेलंगाना सरकार ने इस वर्गीकरण को सार्वजनिक डोमेन में डालने से परहेज़ किया है। इसके विपरीत मध्यप्रदेश और ओडिशा जैसे राज्य यह जानकारी जनता को उपलब्ध कराते हैं।
सिगाची फैक्ट्री में क्या हुआ?
सिगाची इंडस्ट्रीज की इस यूनिट में माइक्रोक्रिस्टलाइन सेल्युलोज (MCC) तैयार किया जाता है। यह अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ है, लेकिन वहां काम कर रहे मज़दूरों को न तो सेफ्टी सूट दिए गए थे और न ही उचित सुरक्षा उपकरण। कई श्रमिकों का आरोप है कि बुनियादी सुरक्षा उपाय नहीं होने के कारण इतनी बड़ी संख्या में जानें गईं।
सुरक्षा सम्मेलन के पांच दिन बाद हादसा!
आश्चर्य की बात है कि 25 जून को ही हैदराबाद में पिलर्स ऑफ प्रोटेक्शन नामक सम्मेलन हुआ था, जिसमें अधिकारियों ने फार्मा इंडस्ट्री की सुरक्षा पर ज़ोर दिया था। सिर्फ पांच दिन बाद ही यह विनाशकारी हादसा हुआ, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ज़मीनी हकीकत और घोषणाओं में भारी अंतर है।
प्रशासनिक रवैया
फैक्ट्री विभाग द्वारा तय समय पर जांच की जगह अधिकांश मामलों में केवल हादसे के बाद नोटिस जारी किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, पिछले वर्षों में संगारेड्डी, नलगोंडा, मेडक, मलकाजगिरी, पेद्दापल्ली और अन्य ज़िलों में कई कारखानों में आग और विस्फोट हुए, लेकिन अधिकांश मामलों में केवल मेमो या नोटिस जारी कर अधिकारी अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त हो गए।
फार्मा हब लेकिन सुरक्षा जीरो
हैदराबाद को फार्मा हब कहा जाता है, लेकिन यहाँ की सैकड़ों फैक्ट्रियाँ सुरक्षा नियमों की धज्जियाँ उड़ाती हैं। केवल लाभ कमाने की होड़ में कंपनियाँ मज़दूरों की जान जोखिम में डाल रही हैं। फार्मा विशेषज्ञों का कहना है कि खतरनाक रसायनों के उपयोग के बिना सुरक्षा उपायों को अपनाना आत्मघाती है।
सिगाची फैक्ट्री विस्फोट केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सिस्टम की असफलता का प्रतीक है। जब तक सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती, और निरीक्षण, प्रशिक्षण व पारदर्शिता को अनिवार्य नहीं बनाया जाता, तेलंगाना में ऐसे हादसे बार-बार दोहराए जाएंगे। सरकारी विभागों की निष्क्रियता, फैक्ट्री मालिकों की लापरवाही और मज़दूरों की उपेक्षा तीनों मिलकर इस विनाशकारी चक्र को चला रहे हैं।अब समय आ गया है कि तेलंगाना की फार्मा इंडस्ट्री में सुरक्षा को सिर्फ सर्टिफिकेट नहीं, व्यवहारिक संस्कृति बनाया जाए।
(मूल तौर पर यह हमारे सहयोगी द फेडरल तेलंगाना में प्रकाशित हुआ था)