ट्रंप ने स्टील एल्युमिनियम पर बढ़ाया टैरिफ, US में महंगी होगी गाड़ियां, बढ़ेगा कंस्ट्रक्शन मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट

ट्रंप के इस फैसले का असर भारत से अमेरिका किए जाने वाले मेटल एक्सपोर्ट्स पर पड़ेगा. लेकिन ट्रंप के फैसले का बड़ा खामियाजा अमेरिकी नागरिकों को उठाना होगा.;

Update: 2025-05-31 07:14 GMT
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में स्टील और एल्युमिनियम के इंपोर्ट पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया है (फाइल फोटो)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर टैरिफ वॉर को तेज करते हुए अमेरिका में स्टील और एल्युमिनियम के इंपोर्ट पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया है. ट्रंप ने सेक्शन 232 के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए ये टैरिफ लगाने का फैसला किया है जो कि 4 जून से लागू होगा.

ट्रंप के फैसले से मुश्किल में अमेरिकी नागरिक

ट्रंप के इस फैसले का असर भारत से अमेरिका किए जाने वाले मेटल एक्सपोर्ट्स पर पड़ेगा. लेकिन ट्रंप के फैसले का बड़ा खामियाजा अमेरिकी नागरिकों को उठाना होगा. क्योंकि अमेरिकी ऑटो कंपनियों के लिए गाड़ियों की मैन्युफैक्चरिंग महंगी हो जाएगी. कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में भी जोरदार इजाफा देखने को मिलेगा. जीटीआरआई (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, ट्रंप के स्टील और एल्युमिनियम पर हाई टैरिफ लगाने के फैसले अमेरिका में स्टील कीमतों में 1180 डॉलर प्रति टन कीमतों में उछाल आने की संभावना है. उन्होंने बताया, अमेरिका में स्टील पहले से ही महंगा है. वहां स्टील की कीमत करीब 984 डॉलर प्रति टन है, जबकि यूरोप में यह 690 डॉलर और चीन में 392 डॉलर प्रति टन है. अब टैरिफ बढ़ने से इसकी कीमत 1180 डॉलर तक जा सकती है. उन्होंने बताया कि ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है और नौकरियाँ भी खतरे में पड़ सकती है.

भारत कंपनियों के मुनाफे पर असर

आपको बता दें भारत सालाना अमेरिका को 4.56 बिलियन डॉलर का स्टील, एल्युमिनियम और उससे जुड़े मेटल प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट्स करता है. जबकि भारत अमेरिका से सालाना 2.05 बिलियन डॉलर का स्टील, एल्युमिनियम प्रोडक्ट्स आयात करता है. भारतीय कंपनियों के लिए इन प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट करना महंगा हो जाएगा जिससे उनके मुनाफे पर असर पड़ेगा. इससे पहले साल 2018 में ट्रंप ने एक कानून का इस्तेमाल करते हुए स्टील पर 25% और एल्युमिनियम पर 10% टैरिफ लगाया था। फरवरी 2025 में उन्होंने एल्युमिनियम पर यह टैरिफ बढ़ाकर 25% कर दिया था. भारत ने पहले ही WTO को बताया था कि अगर अमेरिका टैरिफ नहीं हटाता, तो वह अमेरिकी सामान पर जवाबी शुल्क लगाएगा. अब जब टैरिफ दोगुना हो गए हैं, देखना होगा कि भारत कब और कैसे जवाब देता है.

ट्रम्प की टैरिफ नीति

धारा 301 (ट्रेड एक्ट 1974) कानून अमेरिका को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी देश के खिलाफ टैरिफ लगा सके, अगर वह अनुचित व्यापार कर रहा हो. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल चीन के खिलाफ किया गया है. धारा 232 (ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट 1962) इस कानून के तहत अगर किसी आयात से देश की सुरक्षा को खतरा हो, तो उस पर टैरिफ लगाया जा सकता है. इस कानून के जरिए स्टील, एल्युमिनियम और कारों के आयात पर शुल्क लगाया गया है. IEEPA (इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पॉवर्स एक्ट) राष्ट्रपति को आपातकालीन हालात में टैरिफ लगाने की ताकत देता है. ट्रम्प ने इसी कानून के तहत "लिबरेशन डे टैरिफ" लगाए. 28 मई 2025 को अमेरिकी अदालत ने कहा कि IEEPA के तहत लगाए गए ये "लिबरेशन डे" टैरिफ गैरकानूनी हैं, क्योंकि व्यापार घाटा कोई "असाधारण खतरा" नहीं होता है. हालांकि, अदालत ने धारा 232 के टैरिफ को गलत नहीं बताया, इसलिए ट्रम्प इस कानून का इस्तेमाल करते हुए टैरिफ बढ़ा सकते हैं.

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वाला कदम!

जीटीआरआई के मुताबिक, स्टील और एल्युमिनियम बनाने में प्रदूषण फैलाता है और ये दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बन छोड़ने वाले उद्योग हैं. ट्रम्प ने इन उद्योगों को बिना किसीशर्त के संरक्षण दिया है. इससे साफ होता है कि अमेरिका फिलहाल पर्यावरण की जगह अपने उद्योगों को प्राथमिकता दे रहा है. जबकि बाकी देश ग्रीन स्टील और साफ-सुथरे तकनीकों में निवेश कर रहे हैं, अमेरिका का यह कदम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक कोशिशों को कमजोर कर सकता है.

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