TTD में 54 करोड़ रुपये का सिल्क शॉल घोटाला, ठेकेदार पर शिकंजा

आंध्र प्रदेश के तिरुमाला मंदिर में दस सालों तक पॉलिएस्टर शॉल सप्लाई कर ठेकेदार ने 54 करोड़ का गबन किया, मामला अब ACB जांच में।

Update: 2025-12-10 14:41 GMT

Shawl Scam In TTD : आंध्र प्रदेश के तिरुमाला मंदिर को संचालित करने वाले ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) में एक और बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। आरोप है कि वर्ष 2015 से 2025 तक सिल्क के शाल के नाम पर 100 प्रतिशत पॉलिएस्टर शाल की सप्लाई की गयी। इस घोटाले का अनुमानित मूल्य 54 करोड़ रुपये आँका गया है। लड्डू घोटाले के बाद इस शाल घोटाले के चलते ट्रस्ट की साख और आर्थिक स्थिति को बड़ा झटका लगा है।


पॉलिएस्टर शॉल की आपूर्ति

आंतरिक विजिलेंस जांच में पता चला कि एक ठेकेदार लगातार 100% पॉलिएस्टर शॉल सप्लाई कर रहा था, जबकि टेंडर में असली मलबेरी सिल्क का उल्लेख था।

दस साल तक चलता रहा धोखा

जांच में सामने आया कि यह धोखाधड़ी लगभग दस सालों तक होती रही। इसके कारण ट्रस्ट को अनुमानित 54 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

महंगे बिल, सस्ते शॉल

टीटीडी के चेयरमैन बीआर नायडू ने कहा कि एक शॉल जिसकी कीमत 350 रुपये थी, उसे 1,300 रुपये में बिल किया गया। कुल आपूर्ति से ठेकेदार ने 50 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ उठाया। हमने ACB जांच की मांग की है।

वैज्ञानिक जांच में खुलासा

शॉल के सैंपल दो लैब में जांच के लिए भेजे गए, जिनमें से एक केंद्रीय सिल्क बोर्ड की लैब थी। दोनों रिपोर्ट में पॉलिएस्टर पाया गया। अनिवार्य सिल्क होलोग्राम भी गायब था।

एक ही फर्म मुख्य आरोपी

जांच में सामने आया है कि एक फर्म और उसकी सहयोगी कंपनियां इस अवधि के दौरान अधिकांश शॉल सप्लाई के लिए जिम्मेदार थीं। आगे की जाँच में और भी अहम तथ्य सामने आयेंगे। 

त्वरित कार्रवाई: ACB जांच

विजिलेंस रिपोर्ट आने के बाद TTD ट्रस्ट बोर्ड ने फर्म के सभी मौजूदा टेंडर रद्द कर दिए और पूरे मामले को राज्य एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) के पास भेजा।

TTD की पिछली विवादपूर्ण घटनाएं

यह घोटाला TTD में पिछले समय के विवादों की श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें पवित्र लड्डू प्रसाद में कथित मिलावट और परकमणी (हुंडी पैसे गिनने) चोरी मामले शामिल हैं।

प्रशासन पर दबाव और सवाल

बार-बार सामने आने वाले घोटाले ट्रस्ट प्रबंधन और निगरानी तंत्र पर दबाव डाल रहे हैं। इससे मंदिर की खरीद प्रक्रिया और विक्रेता चयन की विश्वसनीयता पर लंबे समय तक सवाल खड़े हो रहे हैं।


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