उन्नाव रेप केस: हाई कोर्ट ने सेंगर को दी जमानत, पीड़िता का दर्द और गुस्सा
Kuldeep Sengar: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 5 अगस्त से सुनवाई शुरू हुई। 16 दिसंबर 2019 को जिला जज ने कुलदीप को आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
'दिल्ली में निर्भया को मार दिया गया, हाथरस में पीड़िता को मार दिया गया। मैं बच गई, इसलिए मुझे जिंदा रहते हुए सजा दी जा रही है। ये लोग मेरे परिवार और गवाहों को भी मार देंगे।' यह शब्द उन्नाव रेप केस की पीड़िता के हैं। इस मामले में दोषी भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने सेंगर की जेल की सजा को अपील पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया। हालांकि, सेंगर अभी जेल से बाहर नहीं आएंगे, क्योंकि पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में उनकी सजा अभी जारी है। इस केस में जमानत याचिका लगी है, जिसका फैसला 28 दिसंबर को सुनाया जाएगा। इसमें भी अगर जमानत मिल गई तो सेंगर जेल से बाहर आ जाएंगे।
हाई कोर्ट ने जमानत पर लगाई शर्तें
सेंगर जमानत अवधि में दिल्ली नहीं छोड़ सकते। पीड़िता के 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं जाएंगे। पासपोर्ट जमा करना होगा। हर सोमवार थाने में रिपोर्ट करना होगी। किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर जमानत रद्द हो जाएगी। कोर्ट का फैसला सुनते ही पीड़िता कोर्ट के बाहर रोने लगी। वह बहुत दुखी हैं और कहती हैं कि ये लोग बहुत पावरफुल हैं। कोर्ट ने 5 किलोमीटर की दूरी तय करने को कहा है, लेकिन उनके लोग तो पहुंच ही जाएंगे। असली खतरा वही हैं। मेरे परिवार और गवाहों की सुरक्षा अब खतरे में है।
पीड़िता का गुस्सा और सवाल
पीड़िता कहती हैं कि मामला क्यों तीन महीने तक लटका हुआ था। उनका कहना है कि जिन मामलों में बहस खत्म हो जाती है, वहां फैसले 2–3 दिन या एक हफ्ते में आ जाते हैं। लेकिन मेरे मामले में 3 महीने रोक दिया गया, ताकि पूरा सेटलमेंट किया जा सके। भाजपा का नेता है, इसलिए सजा सस्पेंड हो गई। पीड़िता ने यह भी कहा कि कुलदीप का भाई उनके पिता की हत्या का आरोपी है, लेकिन दोनों अभी बाहर हैं। जबकि उनके चाचा, जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया, 7 साल से जेल में हैं। चाचा की पत्नी को भी एक्सीडेंट में मौत हो गई थी।
कुलदीप सेंगर की राजनीतिक पृष्ठभूमि
कुलदीप सेंगर उन्नाव के बड़े नेता हैं। 2002 में बसपा के टिकट से उन्नाव सदर सीट से चुनाव जीता। 2007 में सपा, 2017 में भाजपा से विधायक बने। विवाद और रौब के चलते बसपा ने उन्हें पार्टी से निकाला। 2012 में भगवंतनगर से विधायक बने। 2017 में भाजपा से जीत हासिल की।
रेप की घटना और शुरुआती संघर्ष
पीड़िता ने बताया कि 4 जून, 2017 को वह कुलदीप के घर नौकरी मांगने गई थीं। वहां उनके साथ रेप हुआ और विरोध करने पर उन्हें गायब करवा दिया गया। पुलिस ने उन्हें 10 दिन बाद परिवार के पास सौंपा। उसी दिन उन्होंने कुलदीप और उसके भाई के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने सुनवाई नहीं की। उन्नाव में पीड़िता और उनकी मां कई बार पुलिस और कोर्ट गईं, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। पीड़िता के पिता को पहले गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया।
पिता की हत्या और CBI केस
पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम में 14 चोटों की बात सामने आई। इसके बाद मामला CBI को ट्रांसफर किया गया। CBI ने कुलदीप को रेप का आरोपी बनाया और अगले ही दिन गिरफ्तार किया।
सड़क हादसा और परिवार की मौत
28 जुलाई 2019 को पीड़िता को गवाही के लिए ले जाते समय सड़क हादसा हुआ। ट्रक ने गाड़ी से टक्कर मारी। पीड़िता की मौसी और चाची की मौके पर मौत हो गई। पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हुए। ट्रक की नंबर प्लेट पर कालिख लगाई हुई थी। इस घटना की गूंज पूरे देश में सुनाई दी और सुप्रीम कोर्ट ने मामला दिल्ली में शिफ्ट कर दिया। पीड़िता को तुरंत CRPF की सुरक्षा दी गई और दिल्ली में रहने के लिए घर उपलब्ध कराया गया।
हाई कोर्ट का फैसला और पीड़िता की चिंता
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 5 अगस्त से सुनवाई शुरू हुई। 16 दिसंबर 2019 को जिला जज ने कुलदीप को आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये का जुर्माना दिया। अब दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की सजा सस्पेंड कर दी है, लेकिन पीड़िता डरी हुई हैं। उन्हें चिंता है कि अपने परिवार और गवाहों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी।