अब ट्रस्ट के नियंत्रण में होगा मथुरा का बांके बिहारी मंदिर, यूपी विधानसभा में ट्रस्ट के गठन लिए पेश विधेयक मंज़ूर
मथुरा के श्री बांके बिहारी मंदिर में मंदिर प्रबन्धन और चढ़ावे तक में न्यास की भूमिका होगी।साथ ही पुजारियों के वेतन और मंदिर की संपत्ति के बारे में भी फ़ैसला करने का अधिकार न्यास के पास होगा।यूपी विधानसभा ने बुधवार को न्यास के गठन के लिए पेश विधेयक को मंज़ूरी दे दी।;
मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में अब प्रबन्धन और चढ़ावे तक का कंट्रोल ट्रस्ट के हाथ में होगा।श्री बाँके बिहारी जी मंदिर न्यास विधेयक को यूपी विधानसभा ने ध्वनि मत से पारित कर दिया।इसके बाद अब मंदिर के प्रशासन से लेकर प्रबंधन तक 18 सदस्यीय ट्रस्ट के हाथ में होगा।वित्तीय प्रबंधन में भी बदलाव होगा।हालाँकि विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि मंदिर की परंपराएं यथावत रहें।
चढ़ावे और दान पर होगा ट्रस्ट का नियंत्रण
यूपी विधानसभा ने मॉनसून सत्र के तीसरे दिन श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक को मंज़ूरी दे दी।इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि मंदिर के चढ़ावे और दान पर इस ट्रस्ट का ही नियंत्रण होगा।
साथ ही मंदिर की सभी चल-अचल संपत्तियां भी ट्रस्ट के नियंत्रण में रहेंगी।इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां होंगी। साथ ही मंदिर परिसर और प्रसीमा के भीतर देवताओं के लिए दी गई भेंट/उपहार, किसी भी पूजा-सेवा-कर्मकांड-समारोह-धार्मिक अनुष्ठान के समर्थन में दी गई संपत्ति,नकद या वस्तु रूपी अर्पण और मंदिर परिसर के उपयोग के लिए डाक/तार से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक तक शामिल हैं।
विधेयक में इस बात का स्पष्ट उल्लेख हुआ कि मंदिर की सभी संपत्तियों पर ट्रस्ट का नियंत्रण होगा।संपत्तियों में आभूषण, अनुदान, योगदान, हुंडी संग्रह सहित श्री बांके बिहारी जी मंदिर की सभी चल एवं अचल संपत्तियां सम्मिलित मानी जाएंगी।सरकार ने कहा कि न्यास का गठन स्वामी हरिदास की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है और इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि स्वामी हरिदास के समय से चली आ रही रीति-रिवाज, त्योहार, समारोह और अनुष्ठान बिना किसी हस्तक्षेप या परिवर्तन के जारी रहें।
दर्शन का समय और पुजारियों का वेतन न्यास तय करेगा
बाँके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय भी न्यास तय करेगा। साथ ही पुजारियों की नियुक्ति करने का अधिकार भी 18 सदस्यीय न्यास के पास होगा। पुजारियों के वेतन, भत्ते/प्रतिकर निर्धारित करने का अधिकार भी न्यास के पास होगा।साथ ही भक्तों और आगंतुकों की सुरक्षा तथा मंदिर के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी न्यास पर होगी।न्यास को ₹20 लाख तक की चल/अचल संपत्ति स्वयं खरीदने का अधिकार होगा।इससे अधिक के लिए सरकार की स्वीकृति आवश्यक होगी.
ऐसा होगा 18 सदस्यीय होगा न्यास का स्वरूप
न्यास में 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य होंगे।मनोनीत सदस्यों में से तीन सदस्य परंपराओं/संप्रदायों/पीठों से होंगे जिसमें साधु-संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य, स्वामी सम्मिलित हो सकते है।सनातन धर्म की किसी भी शाखा/संप्रदाय से 3 सदस्य (प्रतिष्ठित व्यक्ति/शिक्षाविद/विद्धान/उद्यमी/वृत्तिक/समाजसेवी) होंगे।ट्रस्ट में गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य होंगे।
स्वामी हरिदास जी के वंशज होंगे एक राज-भोग सेवादारों और दूसरा शयन-भोग सेवादारों का प्रतिनिधि सभी मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे।सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा।पदेन सदस्य में मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के सीईओ, बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ और राज्य सरकार का नामित प्रतिनिधि शामिल होंगे।यदि कोई पदेन सदस्य सनातन धर्म को नहीं मानने वाला/गैर-हिंदू हुआ तो उसकी जगह उससे कनिष्ठ अधिकारी को नामित किया जाएगा.
दर्शनार्थियों को मिलेंगी सुविधाएं
श्री बांके न्यास गठन के बाद श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधाएं देने के लिए विशेष कदम उठाए जाएँगे।प्रसाद वितरण, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग,एम बनाया जाएगा तो पेयजल की व्यवस्था और दूसरी सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी।मंदिर में कई सुविधाएं देने के लिए योजना बनायी गई है।इसमें प्रबंधन कियोस्क, गौशालाएं, अन्नक्षेत्र, रसोईघर, होटल, सराय, प्रदर्शनी कक्ष, भोजनालय और प्रतीक्षालय जैसी व्यवस्थाएं विकसित की जाएंगी।