अब आरपार की लड़ाई ! केशव मौर्य बार बार क्यों कह रहे सरकार से बड़ा संगठन

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बार बार क्यों कह रहे हैं कि सरकार से बड़ा संगठन है. बता दें कि 16 जुलाई की रात राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से बातचीत भी हुई थी,

By :  Lalit Rai
Update: 2024-07-17 05:56 GMT

Keshav Prasad Maurya News: आम चुनाव 2024 के नतीजों में बीजेपी को क्या हार मिली कि अब कलह खुल कर सामने आ रहे हैं. अभी हाल ही में लखनऊ में समीक्षा बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कार्यकर्ताओं की तरफ मुखातिब होते हुए कहा कि जो आपका दर्द है वही मेरा दर्द. यही नहीं संगठन को सरकार से बड़ा बताया. इसके साथ ही 10 सीटों पर उपचुनाव से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ एक बैठक करने वाले हैं उससे ठीक पहले केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर सरकार से संगठन बड़ा का राग अलापा है.ऐसे में विपक्षी दलों को भी बैठे बिठाए मजा लेने का मौका मिल गया है.

केशव प्रसाद मौर्य का ट्वीट


अखिलेश यादव ने लिए मजे

उन्होंने कहा कि भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में, उप्र में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है।तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम भाजपा दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है, इसीलिए भाजपा अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है।जनता के बारे में सोचनेवाला भाजपा में कोई नहीं है। 

केशव प्रसाद की नाराजगी की वजह
अब यहां सवाल है कि केशव प्रसाद मौर्य इस तरह की बात क्यों कर रहे हैं तो इसके लिए 2017 के दौर में चलना होगा. 2017 में विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को करारी हार मिली थी. बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में थी. लेकिन सीएम कौन होगा उसे लेकर सस्पेंस था. सीएम की रेस में कई नाम चल रहे थे जिनमें केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी शामिल था. हालांकि बीजेपी की गुणा गणित में योगी आदित्य नाथ फिट बैठे और यूपी की गद्दी पर वो काबिज हो गए. जानकार कहते हैं कि बीजेपी को सत्तासीन कराने में केशव प्रसाद मौर्य की भूमिका अहम थी. उन्होंने अपने नाम और पहचान के दम पर ओबीसी समाज को बीजेपी के साथ जोड़ने में कामयाब हुए. लेकिन जब सीएम की कुर्सी उनके हाथ से निकल गई तो स्वाभाविक तौर पर निराशा होनी थी. 2017 से 2022 के दौरान भी सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके बीच खटपट बनी रही. 2019 के समय तो केशव प्रसाद मौर्य मे बगावती तेवर भी अख्तियार कर लिए हालांकि केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद मामला ऊपरी तौर पर शांत हो गया.
धीरे धीरे साल 2022 आया. यूपी एक बार फिर चुनाव के लिए तैयार था. विधानसभा के नतीजे जब सामने आए तो सरकार बीजेपी की ही बनी लेकिन सीट संख्या में कमी आई, इस दफा एक बदलाव हुआ कि यूपी को दो डिप्टी सीएम मिल गए. लेकिन अंदरखाने योगी आदित्य नाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच अनबन बनी रही. अब जब 2024 के लोकसभा के नतीजे सामने आ चुके हैं और बीजेपी की सीट संख्या में कमी आई है तो विश्लेषण के बहाने सही राजनीतिक तौर हिसाब किताब बराबर किया जा रहा है. यूपी में बीजेपी के कई नेताओं ने अपना दुखड़ा रोया है कि कहने के लिए हम सरकार में हकीकत में थाने स्तर पर उनकी कोई कद्र नहीं है.सियासत के माहिर खिलाड़ी केशव प्रसाद मौर्य को कार्यकर्ताओं के दुख में खुद के लिए उम्मीद नजर आ रही है. 
Tags:    

Similar News