बंगाल हिंसा के बीच बोलीं ममता- बांग्लादेशी हमारे दरवाजे पर आएंगे तो हम देंगे शरण, जानें BJP ने क्या कहा?
बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर चल रही हिंसा के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अगर वहां के असहाय लोग बंगाल का दरवाजा खटखटाएंगे तो हम उन्हें शरण जरूर देंगे.
West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee: बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर चल रही हिंसा के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अगर वहां के असहाय लोग बंगाल का दरवाजा खटखटाएंगे तो हम उन्हें शरण जरूर देंगे. उनके राज्य के दरवाजे बांग्लादेश से आए संकटग्रस्त लोगों के लिए खुले हैं, जो पश्चिम बंगाल में शरण लेना चाहते हैं. हालांकि, उनके इस बयान पर भाजपा ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर बांग्लादेश से आ रहे अवैध प्रवासियों के प्रति उदासीन होने का आरोप लगाया है. बीजेपी का दावा है कि इसकी वजह से पश्चिम बंगाल की जनसांख्यिकी तस्वीर बदल रही है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को भारत-बांग्लादेश संबंधों में बाधा डालने के बार-बार लगाए जा रहे आरोपों के बीच सीमा पार के लोगों को खुश करने का प्रयास किया. बांग्लादेश में चल रहे संकट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ममता ने कहा कि उनके राज्य के दरवाजे बांग्लादेश से आए संकटग्रस्त लोगों के लिए खुले हैं, जो पश्चिम बंगाल में शरण लेना चाहते हैं. बता दें कि वह कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस की वार्षिक 21 जुलाई शहीद दिवस रैली में बोल रही थीं.
नाज़ुक मुद्दा
कोलकाता में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे बांग्लादेश के आंतरिक मामलों पर नहीं बोलना चाहिए. भारत सरकार को इस मुद्दे पर जो भी कहना है, वह कहेंगे. लेकिन मैं यह कह सकती हूं कि अगर असहाय लोग हमारे दरवाजे खटखटाते हैं तो हम निश्चित रूप से उन्हें आश्रय प्रदान करेंगे. अपने रुख को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र भी मानवीय संकट के समय शरणार्थियों के पड़ोसी देश में शरण लेने के अधिकार को मान्यता देता है. उनका यह बयान न केवल भाजपा नीत केंद्र सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है, बल्कि बांग्लादेश में शेख हसीना नीत अवामी लीग सरकार की भी नस छू सकता है.
प्रवासियों पर भाजपा का रुख
भाजपा ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों की निरंतर हो रही आमद के प्रति उदासीन होने का आरोप लगाया है. उसका दावा है कि इस घटना के कारण पश्चिम बंगाल की जनसांख्यिकी तस्वीर बदल रही है. केंद्र की भाजपा सरकार भी रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रति बहुत सहानुभूतिपूर्ण नहीं है, जो अपने देश म्यांमार में उत्पीड़न से बचकर भारत में शरण लिए हुए हैं. इसलिए, इसमें कोई शक नहीं है कि केंद्र सरकार बांग्लादेशी शरणार्थियों को शरण देने के ममता के आह्वान का स्वागत नहीं करेगी.
नापाक योजना: भाजपा
भाजपा ने ममता की पेशकश की आलोचना करते हुए इसे चुनाव जीतने के लिए पड़ोसी देश से अवैध प्रवासियों को झारखंड में बसाने की इंडिया ब्लॉक की बुरी योजना करार दिया. पश्चिम बंगाल के लिए भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने भी किसी अन्य देश से आने वाले किसी भी व्यक्ति को आश्रय देने के उनके अधिकार पर सवाल उठाया और कहा कि आव्रजन (इमिग्रेशन) और नागरिकता पूरी तरह से केंद्र के अधिकार क्षेत्र में है और राज्यों को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि ममता बनर्जी को भारत में किसी का भी स्वागत करने का अधिकार किसने दिया? आव्रजन और नागरिकता पूरी तरह से केंद्र के अधिकार क्षेत्र में है. राज्यों को इसमें कोई अधिकार नहीं है. यह अवैध बांग्लादेशियों को बंगाल से झारखंड में बसाने की इंडी गठबंधन की नापाक योजना का हिस्सा है, ताकि वे चुनाव जीत सकें.
प्रदर्शनकारियों तक पहुंचना
ममता के इस दावे का यह मतलब था कि वह प्रदर्शनकारी बांग्लादेशी नागरिकों को शरण देंगी, जिन्हें किसी भी सरकारी कार्रवाई की स्थिति में अपने देश से भागना पड़ेगा. राजनीतिक टिप्पणीकार और बांग्लादेश पर नजर रखने वाले मोहम्मद सदुद्दीन ने कहा कि वह स्पष्ट रूप से बांग्लादेश के लोगों तक, या अधिक सटीक रूप से कहें तो प्रदर्शनकारियों तक सीधे पहुंचने की कोशिश कर रही हैं. उनका यह कदम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. क्योंकि बांग्लादेश में सत्तारूढ़ वर्ग द्वारा उन्हें अक्सर भारत-बांग्लादेश संबंधों को और बेहतर बनाने में बाधा के रूप में चित्रित किया जाता है.
शुभचिंतक
शेख हसीना सरकार को अक्सर भारत के साथ तीस्ता जल बंटवारे पर समझौता न कर पाने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है. क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार के विरोध के कारण यह समझौता नहीं हो पाया है. इसलिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के बीच संबंधों में ठंडापन आ गया है, जिनके बीच पहले बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंध थे. शरण की पेशकश के साथ ममता ने बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे उन्हें अपने शुभचिंतकों में से एक मान सकते हैं. उन्होंने पिछले हफ़्ते पड़ोसी देश में कोटा विरोधी हिंसा में मारे गए लोगों के प्रति भी सहानुभूति जताई है. उन्होंने कहा था कि जिन लोगों का खून बहा है, उनके प्रति हमारी सहानुभूति है. हमें उनके लिए दुख है.
भारतीयों के लिए संदेश
ममता ने कहा कि उनकी सरकार बांग्लादेश में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए हर संभव मदद करेगी. उन्होंने राज्य के लोगों से किसी भी उकसावे में न आने का आह्वान भी किया.