पश्चिम बंगाल में इतने हावी क्यों हैं नकली दवा माफिया?

पश्चिम बंगाल में बाजार में 15% दवाएं नकली हैं। छापे पड़े तो में अंतर्राज्यीय गिरोहों की भूमिका उजागर हो गई। तब पता चला कि सिस्टम में क्या-क्या खामियां हैं।;

Update: 2025-04-06 01:29 GMT
बंगाल में हाल ही में मिलावटी दवाएं एक निजी नर्सिंग होम तक भी पहुंच गईं। (प्रतीकात्मक चित्र: iStock)

बढ़ती दवा कीमतों के साथ-साथ एक और गंभीर समस्या, नकली दवाओं का चलन, जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है, खासकर पश्चिम बंगाल में। बंगाल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन (BCDA) के एक अनुमान के अनुसार, बाजार में उपलब्ध करीब 15 प्रतिशत दवाएं नकली या अवैध हैं।

इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि राज्य और केंद्र सरकारों के अधीन दवा नियंत्रण प्राधिकरणों के पास इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन और मानवबल नहीं हैं।

अंतर्राज्यीय गिरोहों की भूमिका

हाल ही में नकली और घटिया दवाओं की जब्ती के बाद हुई जांच में अंतर्राज्यीय गिरोहों की संलिप्तता सामने आने के बाद मामला और अधिक गंभीर हो गया है। राज्य के दवा नियंत्रण अधिकारियों का मानना है कि यह आपराधिक नेटवर्क महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा तक फैला हुआ है। सरकार को इस खतरे की गंभीरता का अंदाज़ा तब हुआ जब हाल ही में नकली दवाएं एक निजी नर्सिंग होम तक पहुंच गईं।

नकली एल्ब्युमिन इंजेक्शन की जब्ती

पिछले सप्ताह कोलकाता के उल्टाडांगा इलाके के एक नर्सिंग होम में राज्य और केंद्र की संयुक्त दवा नियंत्रण एजेंसियों ने "घटिया गुणवत्ता" के पांच एल्ब्युमिन इंजेक्शन जब्त किए। अस्पताल प्रशासन को इस बात की जानकारी नहीं थी कि रक्त की कमी (हाइपोवोलेमिया) के इलाज में उपयोग की जाने वाली एल्ब्युमिन की शीशियां नकली थीं।

छापे और जब्ती

आपूर्ति श्रृंखला की जांच के बाद करीब ₹34 लाख मूल्य की नकली एल्ब्युमिन सहित अन्य दवाएं एक गोदाम से जब्त की गईं, जो मुंबई के एक वितरक से खरीदी गई थीं। दिसंबर 2024 से अब तक, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO), ईस्ट ज़ोन और डायरेक्टोरेट ऑफ ड्रग्स कंट्रोल (DDC), पश्चिम बंगाल ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई छापे मारकर लगभग ₹7 करोड़ की नकली दवाएं जब्त की हैं।

फर्जी QR कोड और नकली निर्माण इकाइयाँ

फरवरी में हावड़ा के आमता स्थित 'मन्ना एजेंसी' से ₹17 लाख की नकली दवाएं जब्त की गईं। एजेंसी के मालिक बाबू मन्ना ने पूछताछ में बताया कि पटना के एक व्यक्ति 'मिश्राजी' ने स्वयं को एक प्रसिद्ध दवा कंपनी का प्रतिनिधि बताकर संपर्क किया और हरियाणा की एक अवैध निर्माण इकाई से दवाएं मंगवाने का प्रलोभन दिया। उस यूनिट ने प्रसिद्ध कंपनी के फर्जी QR कोड नकली उत्पादों पर छापे थे। केंद्र सरकार ने 2022 में टॉप 300 दवा फार्मूलेशनों पर QR या बार कोड अनिवार्य किया था, लेकिन अवैध निर्माता अब इस प्रणाली में भी सेंध लगा रहे हैं।

कैश ट्रेल ओडिशा तक

'मन्ना एजेंसी' ने छापे से पहले ₹1.5 करोड़ से अधिक की नकली दवाएं बाजार में पहुंचा दी थीं। भुगतान बिहार के बैंक खातों में किया गया, लेकिन धनराशि ओडिशा के एटीएम से निकाली गई।

राज्यों से सहयोग का आग्रह

पश्चिम बंगाल सरकार ने बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और ओडिशा सरकारों से जांच में सहयोग मांगा है। जांचकर्ताओं का कहना है कि अधिकतर नकली दवाएं ट्रेन और बसों के माध्यम से राज्य में लाई जाती हैं।

जनस्वास्थ्य और वैध व्यापार को खतरा

कोलकाता के चिकित्सक डॉ. पिनाकी मुखर्जी के अनुसार, “यह अवैध व्यापार गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा करता है क्योंकि नकली दवाएं असरहीन या हानिकारक हो सकती हैं।” ऑल इंडिया केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (AICDF) के महासचिव जॉयदीप सरकार ने बताया कि इससे वैध व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित होता है।

COVID-19 के बाद 47% की वृद्धि

BCDA के अनुसार, COVID-19 महामारी के बाद नकली दवाओं के प्रसार में 47% की वृद्धि हुई है। इसका एक प्रमुख कारण GST नियम है, जिसने देश भर में दवाओं का वितरण आसान बना दिया।

नियामक निकायों की कमी और अव्यवस्था

CDSCO और DDC जैसी नियामक संस्थाओं में गंभीर मानव संसाधन की कमी है। DDC में 50 से अधिक निरीक्षकों के पद खाली हैं और 2018 से कोई भर्ती नहीं हुई है। चार वर्षों से निदेशालय में पूर्णकालिक निदेशक भी नहीं है। अधिकतर जिलों में इनके पास अपने कार्यालय तक नहीं हैं।

राज्य की एकमात्र परीक्षण प्रयोगशाला भी संकट में

राज्य की एकमात्र ड्रग कंट्रोल और रिसर्च लैब (SDCRL) में 47 स्वीकृत पदों में से केवल 12 तकनीशियन कार्यरत हैं। इस कारण भेजे गए नमूनों में से केवल 30% ही हर माह परीक्षण हो पाते हैं।

CDSCO के पास पांच राज्यों के लिए केवल चार निरीक्षक

CDSCO का पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय जो पश्चिम बंगाल, सिक्किम, झारखंड, बिहार, ओडिशा और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की देखरेख करता है, वहां भी हालात गंभीर हैं। 3 अप्रैल 2025 की स्थिति में इसके पास केवल चार निरीक्षक हैं।

दवाओं की कीमत वृद्धि के खिलाफ विरोध

इस बीच, तृणमूल कांग्रेस ने 4 और 5 अप्रैल को राज्य के प्रत्येक ब्लॉक और वार्ड में केंद्र सरकार द्वारा 248 आवश्यक दवाओं की कीमत बढ़ाने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस निर्णय को गरीबों और मध्यम वर्ग की स्वास्थ्य सेवा पर गंभीर प्रभाव डालने वाला बताया और कीमत वृद्धि को वापस लेने की मांग की।

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