पश्चिम बंगाल में टीचर्स की नौकरी जाने से परीक्षा ड्यूटी पर संकट

पश्चिम बंगाल में सैकड़ों स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी हो गई है। कक्षाएं ठप हो गई हैं। सीनियर छात्रों को परीक्षा ड्यूटी पर लगाया गया है।;

Update: 2025-04-15 09:29 GMT
शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सबसे ज्यादा असर पश्चिम बंगाल में स्कूली परीक्षाओं में देखा जा रहा है

3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल में 2016 की शिक्षक नियुक्तियों को अवैध ठहराने के फैसले ने राज्यभर के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। फैसले के बाद, स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा नियुक्त 17,206 शिक्षकों समेत कुल 25,752 कर्मचारियों की नौकरियाँ रद्द कर दी गईं। कोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया को “भ्रष्ट और धोखाधड़ी से दूषित” बताया।

"अब कक्षा 12 को पढ़ाने वाला कोई नहीं बचा"

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिण 24 परगना के मग्राहाट स्थित धमुआ बालिका विद्यालय में 1,300 छात्रायें हैं। लेकिन स्कूल में 12वीं कक्षा के लिए अब कोई शिक्षक नहीं बचा।  स्कूल की प्रधानाध्यापिका की चिंता ये है कि 99 छात्राएं बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करेंगी।

कोर्ट के फैसले के बाद उनके स्कूल के तीन शिक्षक ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं, जो मुख्य रूप से अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदाय से आने वाली छात्राओं को पढ़ाते थे।

अधूरी टीमें, बढ़ता दबाव

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धमुआ बालिका विद्यालय में अब 19 में से 3 पद खाली हो चुके हैं। प्रधानाध्यापिका का कहना है कि वे न तो बर्खास्त शिक्षकों को वापस बुला सकती हैं, और न ही पार्ट-टाइम शिक्षक नियुक्त करने के लिए धन है। ऊपर से राज्य की 18 कल्याणकारी योजनाओं की ज़िम्मेदारी भी शिक्षकों पर ही है।

विज्ञान शिक्षक गए, भूगोल पढ़ा रहे बंगाली शिक्षक

कृष्णचंद्रपुर हाई स्कूल, मथुरापुर में आठ विज्ञान शिक्षकों की नियुक्तियाँ रद्द हो गई हैं। अब 5,607 छात्रों के लिए केवल 48 शिक्षक बचे हैं। अब यहां विज्ञान विभाग पूरी तरह बंद है।

मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि राजारामपुर हाई स्कूल, मुर्शिदाबाद में 3,300 छात्रों के लिए केवल 12 शिक्षक बचे हैं। प्रधानाध्यापक ने सीनियर छात्रों से परीक्षाओं की निगरानी करवानी शुरू कर दी है।

यही नही, पूर्व बर्धमान के सेलीमाबाद हाई स्कूल में जो शिक्षक बंगाली पढ़ाते हैं, अब कक्षा 12 को भूगोल पढ़ा रहे हैं।

13 अप्रैल को कोलकाता के सुजाता सदन में ‘एडवांस्ड सोसाइटी फॉर हेडमास्टर्स एंड हेडमिस्ट्रेसेस’ (ASFHM) की बैठक हुई। इसमें राज्य भर के 500 से अधिक स्कूलों के प्रमुख शामिल हुए।

ASFHM के महासचिव चंदन कुमार मैती ने कहा,“हमने शिक्षा विभाग और बोर्ड से बार-बार संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।”

कानूनी सलाह के अनुसार, अगर स्कूल बर्खास्त शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करते हैं या वेतन भुगतान करते हैं, तो यह अदालत की अवमानना मानी जा सकती है।

ASFHM की मांग है कि योग्य शिक्षकों की पुनः बहाली की जाए। साथ ही पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया हो और सभी रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए।

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