डेढ़ करोड़ के इनामी माओवादी कमांडर बसव राजू के मारे जाने की पुष्टि

70 साल का बसव राजू देश के मोस्टवॉन्टेड माओवादी नेताओं में से एक था, जिस पर ₹1.5 करोड़ का इनाम घोषित था। वह रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज वारंगल से ग्रेजुएट था।;

Update: 2025-05-21 10:38 GMT
बसव राजू की पुरानी तस्वीर, ऐसा माना जाता है कि वो 1985 से अंडरग्राउंड हो गया था

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में अबूझमाड़ के जंगलों में एक भीषण मुठभेड़ में शीर्ष माओवादी नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसव राजू के मारे जाने की पुष्टि हो गई है। सुरक्षा बलों ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता हासिल की है।

प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का महासचिव बसव राजू 26 माओवादियों में शामिल था, जो इस मंगलवार को अभियान के दौरान मारे गए। यह हाल के वर्षों के सबसे प्रभावशाली माओवादी विरोधी अभियानों में से एक माना जा रहा है।

खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये इसकी जानकारी दी है।



लगभग 70 वर्षीय बसव राजू भारत के मोस्ट वॉन्टेड माओवादी नेताओं में से एक था, जिस पर ₹1.5 करोड़ का इनाम घोषित था। वह आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले के जियन्नापेटा गांव का निवासी था और उसने वारंगल के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज (REC) से बीटेक की डिग्री ली थी। वह 1970 के दशक में माओवादी आंदोलन से जुड़ा और गंगन्ना, कृष्णा, नरसिम्हा, और प्रकाश जैसे कई नामों से जाना जाता था।

2018 में वह माओवादी पार्टी का महासचिव बना, जब उसने गणपति (मुप्पला लक्ष्मण राव) का स्थान लिया। गणपति, पीपुल्स वार ग्रुप और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) के 2004 में विलय के बाद पार्टी के पहले महासचिव बने थे।

ऐसा माना जाता है कि गणपति एक दशक से अधिक तक पार्टी का नेतृत्व करने के बाद फिलीपींस भाग गया था। बसव राजू को भारत में माओवादियों द्वारा किए गए कुछ सबसे घातक हमलों के पीछे मास्टरमाइंड माना जाता था।

राजू था बड़े हमलों का मास्टरमाइंड

माओवादी कमांडर बसव राजू 2010 में छत्तीसगढ़ के चिंतलनार में 76 सीआरपीएफ जवानों की हत्या और 2013 में झीरम घाटी में हुए हमले का मुख्य साजिशकर्ता था, जिसमें कई कांग्रेस नेताओं की बेरहमी से हत्या की गई थी।

उसकी कोई हालिया तस्वीर उपलब्ध नहीं थी, जिससे उसका पीछा करना बेहद कठिन हो गया था। बताया जा रहा है कि वो 1985 में भूमिगत हो गया था। वो मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सक्रिय था।

बसव राजू 1980 में सीपीआई-एमएल (पीपुल्स वार) के गठन में प्रमुख भूमिका निभाने वालों में था और 1992 में इसके केंद्रीय समिति का सदस्य बना। 2004 में जब माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर और पीपुल्स वार ग्रुप का विलय हुआ और सीपीआई (माओवादी) बनी, तो उसे केंद्रीय सैन्य आयोग का सचिव बनाया गया, जहां उसने सशस्त्र अभियानों और रणनीति की जिम्मेदारी संभाली।

उसकी मौत को माओवादी आंदोलन के लिए एक बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है, जो हाल के वर्षों में लगातार कमजोर हुआ है।

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