क्या है वाट्सएप का एन्क्रिप्शन फीचर, कैसे रखता है प्राइवेसी का ध्यान

वाट्सएप अपने यूजर्स को फ्री में एन्क्रिप्शन की सुविधा मुहैया कराता है, जिसका मतलब है कि इस प्लेटफॉर्म को यूज करने वालों के मैसेज,वीडियो और कॉलिंग सुरक्षित हैं.

Update: 2024-05-21 00:53 GMT

WhatsApp Encryption Feature: देश में काफी तादाद में लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वॉट्सएप का इस्तेमाल करते हैं. इसके जरिए मैसेज, फोटो, वीडियो आदि को एक-दूसरे तक भेजे जाते हैं. यहां तक कि वाट्एएप ऑडियो और वीडियो कॉलिंग की सुविधा भी देता है. वाट्सएप एक और शानदार फीचर की सुविधा देता है, जिसका नाम एन्क्रिप्शन है, जिसका मतलब है कि वाट्सएप यूज करने वालों के मैसेज और कॉलिंग सुविधा बिल्कुल सुरक्षित है. 

सुरक्षा करता है प्रदान

वॉट्सऐप के अनुसार, जब लोग एक-दूसरे को संदेश भेजते हैं तो सभी मैसेज को लॉक के जरिए सुरक्षित किया जाता है. केवल वॉट्सऐप पर मैसेज भेजने वाला और पाने वाला लोग ही इसे देख और पढ़ सकते हैं. यह फीचर फोन पर वाट्सऐप इंस्टॉल करते ही बाय डिफॉल्ट हो जाता है. इसके लिए यूजर्स को अलग से कोई सेटिंग नहीं करनी पड़ती है. ऐसे में End-to-End Encryption फीचर के जरिए वॉट्सऐप पर भेजे गए सभी तरह मैसेज, फोटो, वीडियो, वॉयस मैसेज, डॉक्यूमेंट्स, कॉल आदि सेफ रहते हैं और सेंडर और रिसीवर के अलावा कोई भी इनको देख नहीं सकता है.

वाट्सएप खुद भी नहीं देख सकता मैसेज

वाट्सएप यह भी दावा करता है कि उसके मैसेंजर पर होने वाली चैट encrypted यानी कि इतनी सुरक्षित है कि खुद वॉट्सएप भी इन चैट को देख नहीं सकता है. इसी वजह से वॉट्सएप का कहना है कि वह अपने सेफ्टी फीचर के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं. 

हाईकोर्ट में चुनौती

बता दें कि वॉट्सऐप की पैरेंट कंपनी मेटा है. यह फेसबुक और इंस्टाग्राम के स्वामित्व वाली कंपनी भी है और इसके मालिक मार्क जुकरबर्ग हैं. दरअसल, केंद्र सरकार ने 25 फरवरी 2021 को 'इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी' नियमों का ऐलान किया था. इसमें कहा गया है कि अब सोशल मीडिया मैसेजिंग कंपनियों को नए नियमों को मानना होगा और ऐसे प्रावधान करने होंगे, जिनके जरिए यूजर्स प्रतिबंधित कंटेट को न बना पाए और न ही अपलोड कर पाए. इसलिए मेटा ने इन नियमों को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

कंपनी दिया ये तर्क

वॉट्सऐप की तरफ से पेश वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि लोग प्राइवेसी के लिए इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में अगर एन्क्रिप्शन तोड़ने के दबाव डाला जाता है तो हम भारत छोड़कर चले जाएंगे. क्योंकि सालों तक लाखों-करोड़ों मैसेज को संभाल कर रखना होगा, इसलिए इन नियमों को मानने के लिए कंपनी को काफी मैन पावर की जरूरत होगी. दुनिया में कहीं भी इस तरह का रूल नहीं है. वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री के जरिए सांप्रदायिक हिंसा जैसे हालात पैदा होने का डर रहता है. इसलिए जरूरी है कि सोशल मीडिया कंपनी इन आईटी नियमों को मानें.

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