यूपी में पंचायत चुनाव से पहले ‘डेटा’ और ‘तकनीक’ की लड़ाई

UP में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले सभी दल परिसीमन-वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर सक्रिय हो गए हैं। इसके साथ ही नए जातीय समीकरणों को साधने की तैयारी में जुट चुके हैं।;

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-06-10 15:46 GMT

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के समीकरण विधानसभा चुनाव में दलीय हारजीत का पैमाना रहे हैं. 2026 में यही त्रिस्तरीय चुनाव होने हैं, जिसकी सीटों का परिसीमन और फिर आरक्षण होना है.ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं को परिसीमन पर नज़र रखने के लिए तैयार कर रही हैं और इसके लिए डिजिटली लैस करने का काम शुरू कर दिया है।बीजेपी कार्यकर्ताओं की टीम बनाकर परिसीमन पर नज़र रखने के लिए ज़िम्मेदारी सौंपने को तैयारी में है तो वहीं सपा, कांग्रेस ने भी कार्यकर्ताओं को परिसीमन और आरक्षण पर नज़र रखने के लिए कहा है।अपने मुद्दों को लेकर जनता का दरवाज़ा खटखटाने से पहले परिसीमन के बाद नए सिरे से बने ग्राम पंचायतों के सियासी समीकरण को साधने की तैयारी है।राजनीतिक दल इसके लिए अपने कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।

परिसीमन से जातीय समीकरण बदलने से बदलेंगी सियासी परिस्थिति 

यूपी में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतक दलों का इम्तिहान त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में होगा।जनवरी फ़रवरी में चुनाव होने को उम्मीद है।इससे पहले परिसीमन से ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन होगा जिससे सामाजिक-जातीय परिस्थितियां बदलेंगी और उससे सियासी समीकरण बदलने की उम्मीद है।ये सभी दलों के लिए अहम है क्योंकि कई ग्राम पंचायतों के नगर निकायों में शामिल हो जाने से स्वरूप में बदलाव आया है।वहीं मतदाता सूची का पुनरीक्षण भी अहम है क्योंकि मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा जाएगा और फ़र्ज़ी मतदाताओं का नाम हटाया जाएगा।यही वजह है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी समेत सभी विपक्षी दलों ने भी चुनाव से पहले परिसीमन और मतदाता सूची के ‘आंकड़ों’ और टेक्नोलॉजी के सहारे ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी जुटाने और लोगों तक पहुँचने की तैयारी कर की ली है।

सपा ने जिलों में प्रभारी भेजे,कमेटी बनाकर करेंगे काम 

लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित समाजवादी पार्टी ने पंचायत चुनाव के लिए तैयारी तेज कर दी है।परिसीमन और आरक्षण पर ख़ुद अखिलेश यादव के निर्देश के बाद कार्यकर्ताओं को लगाया जा रहा है।हर जिले में सपा ने अपने कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है।सपा इस बात का आरोप बीजेपी पर लगाती रही है कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बीजेपी ने आंकड़े प्रभावित करने को कोशिश की।दरअसल सपा की चिंता की वजह ये भी है कि पीडीए(PDA) फार्मूले की दृष्टि से सबसे मज़बूत सीटें ग्रामीण क्षेत्रों में ही हैं और सपा अपने प्रत्याशी जिताकर ज़मीन पर विधानसभा चुनाव से पहले तैयारी में बढ़त लेना चाहती है।इसलिए परिसीमन से जो सियासी समीकरण बदलेंगे उस पर सपा की नज़र है।समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फ़ख़रूल हसन चाँद बताते हैं ‘ बीजेपी से ज़्यादा हमारा संगठन ज़मीन कर मज़बूत है।बीजेपी सिर्फ़ प्रचार करती है हम लोग प्रचार नहीं करते सिर्फ़ काम करते हैं।हर विधानसभा में प्रभारी भेजे गए हैं जो कमेटियां बनाकर काम कर रहे हैं।गुटबाजी रोकने और ज़मीनी हकीकत जानने के लिए एक जिले के कार्यकर्ताओं को दूसरे ज़िले में भेजा गया है।बूथ कमेटियों को तीन महीने का समय दिया गया है।’

मतदाता सूची पुनरीक्षण में फ़र्ज़ी वोटरों पर बीजेपी की नज़र 

पिछले कुछ चुनाव में बीजेपी आई टी प्रोफेशनल्स की मदद से हर क्षेत्र में तकनीक का इस्तेमाल करने में कामयाब रही है।पंचायत चुनाव को देखते हुए अखिलेश यादव कह चुके हैं कि बीजेपी डेटा और तकनीक में माहिर है ऐसे में परिसीमन के आंकड़ों को अपने पक्ष में मोड़ने को कोशिश करेगी।इधर हमेशा चुनाव मोड में रहने वाली बीजेपी परिसीमन और मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर तैयारी कर रही है।इसके लिए कार्यकर्ताओं को हिदायत दी गई है।बीजेपी परिसीमन पर नज़र रखने के लिए टीमों का गठन करेगी।बीजेपी को बैठक में कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर बीजेपी के कार्यकर्ता सक्रिय भागीदारी करेंगे।बीजेपी नेतृत्व ने ये संकेत दिया है कि ख़ास तौर पर फ़र्ज़ी मतदाताओं के नाम कटवाने के लिए भी ख़ास नज़र रखेगी।यूपी बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं ‘ सपा कुछ भी कर ले पर काठ की हांडी दोबारा नहीं चढ़ती।हर जगह पीडीए का फार्मूला फेल है।बीजेपी जल्द ही पंचायत चुनाव के लिए कमेटियां बनाकर काम शुरू करेगी।’

पंचायत चुनाव में बेहतर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को आगे कांग्रेस देगी मौक़ा :

वहीं कांग्रेस की अगर बात करें तो राष्ट्रीय स्तर पर पहले से संगठन सृजन अभियान चल रहा है।इसमें कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग भी दी जा रही है।यूपी में पंचायत चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को ये संकेत और संदेश दिया गया है कि पंचायत चुनाव में अच्छा काम करने वाले कार्यकर्ताओं को आगे आने वाले विधानसभा चुनाव में जिम्मेदारी और मौक़ा दिया जाएगा।कार्यकर्ता नए परिसीमन से होने वाले जातीय आंकड़ों पर नज़र रखेंगे।यूपी कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि ‘बीजेपी हमेशा चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश करती है ।संगठन सृजन में पाँच बिंदुओं पर फोकस है।उसका हमको लाभ मिलेगा।कार्यकर्ता वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण में भी काम करेंगे और परिसीमन से बनने वाले नए जातीय समीकरण पर भी नज़र रखेंगे।कोई बात सामने आने पर जनपद स्तरीय कमेटियां जिला निर्वाचन अधिकारी से मिलकर अपना ऑब्जेक्शन देंगे।’ अंशु अवस्थी कहते हैं कि कार्यकर्ता लोगों के बीच जा कर एनडीए के झूठ को बेनकाब भी करेंगे।

ज़ाहिर है पंचायत चुनाव की असल गहमागहमी शुरू होने से पहले हर पार्टी आंकड़ों पर मज़बूत होना चाहती है।परिसीमन के बाद ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत के बदले जातीय समीकरण से किसी को फायदा तो किसी को नुकसान होने की संभावना है।ऐसे में कोई भी पार्टी आंकड़ों पर मज़बूत रहकर ही बेहतर प्रदर्शन कर सकती है

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