आखिरी चरण में बीजेपी के लिए चुनौती कड़ी, विश्लेषकों के अलग अलग दावों से एनडीए और इंडी ब्लाक की टेंशन बढ़ी

1 जून को सातवें चरण का मतदान बाकी है, 57 सीटों पर वोटिंग होनी है. 2019 में एनडीए को इन 57 सीटों में से 29 पर जीत मिली थीं, यानि 28 पर विपक्षी जीते थे. अब आखिरी चरण में बीजेपी के लिए चुनौती कड़ी है. पंजाब और बंगाल की सीटों पर बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा चुनौती

Update: 2024-05-28 02:35 GMT

Loksabha election 2024 update:


लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम चरण में है. 1 जून को इस चुनावी समर का अंत सातवें चरण के मतदान के साथ हो जायेगा. एनडीए और आईएनडीआई ब्लॉक अब बचे हुए चरण को लेकर जहाँ पूरी ताकत लगाये हुए तो वहीँ दोनों की तरफ से अब तक हुई वोटिंग के आधार पर जीत के दावे किये जा रहे हैं. खैर चुनावी नतीजे भी ठीक एक सप्ताह बाद यानी 4 जून को आ जायेंगे. इस बीच अब तक की छह चरण की वोटिंग को लेकर न केवल इन दोनों ही राजनितिक संगठन नतीजों को लेकर अपना अपना दावा पेश कर रहे हैं बल्कि अलग अलग चुनाव विश्लेषक भी अलग अलग राय बना रहे हैं.

आखरी चरण का मुकाबला बेहद रोचक

अब आखिरी चरण का चुनाव बचा है. 57 सीटें शेष हैं, जिनके लिए 1 जून को मतदान किया जायेगा. 486 सीट का मतदान पूरा हो चुका है. बीजेपी के लिए ये सातवाँ चरण किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि अब पंजाब की सभी 13 सीटों के अलावा बंगाल की 9 और ओडिशा की 6 सीट भी शामिल हैं. इन जगहों पर 2019 में बीजेपी का प्रदर्शन निराशा जनक रहा था.

सातवें चरण में इन राज्यों में होनी है वोटिंग

एक जून को लोकसभा चुनाव 2024 का समापन हो जायेगा. अब केवल 57 सीटों पर मतदान होना है. इन्मी यूपी की 13 सीट. पंजाब की 13 सीट, बिहार की आठ, हिमाचल की 4, झारखंड की 3, ओडिशा की 6, बंगाल की 9 और चंडीगढ़ की एक सीट शामिल हैं. 29 सीटों पर एनडीए का दावा मजबूत माना जा रहा है और बची हुई 28 पर आईएनडीए का. इसी वजह से मुकाबला सीधा है.

आगामी नतीजों पर लगाये जा रहे हैं अलग अलग कयास

छह चरण की वोटिंग के बाद चुनावी विश्लेषकों की राय भी ठीक उसी तरह से बंटी हुई है जैसे एनडीए और आईएनडीआईए बंटे हुए हैं. अधिकतर विश्लेषकों की राय ये है कि तीसरी बार भी नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं लेकिन वो सीटों को लेकर अलग अलग दावे कर रहे हैं. राय इस बात पर बंटी है कि क्या एनडीए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 400 पार के नारे का सफर तय कर लेगा या फिर बहुमत के आंकड़े 272 के नजदीक पहुँच पायेगा. चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जाने जाने वाले प्रशांत किशोर मीडिया के सामने ये दावा कर रहे हैं कि बीजेपी इस बार के चुनाव में भी 2019 जितनी सीटें आराम से ले आएगी. उनका मानना है कि बीजेपी की खुद की सीट 303 के आसपाल रहनी चाहिए. वहीं जाने माने सेफोलोगिस्ट व सामाजिक कार्यकर्त्ता से नेता बने योगेन्द्र यादव की राय कुछ अलग है . वो भी मीडिया के सामने ये दावे कर रहे हैं कि बीजेपी अकेले इतनी सीट नहीं ला पायेगी कि वो खुद सरकार बना सके. इनके अलावा संजय कुमार का मानना है कि तीसरी बार भी एनडीए की सरकार बनने जा रही है, हाँ ये जरुर हो सकता है कि इस बार एनडीए का आंकड़ा 272 के आसपास ही रहे.

चुनावी विश्लेषक अपने इन दावों के पीछे अलग अलग तर्क दे रहे हैं. क्या है वो बातें समझते हैं.

यूपी, बिहार, झारखण्ड से मिलेगा 2019 वाला परिणाम

अगर हम 2019 के चुनाव परिणाम की बात करें तो बीजेपी को बम्पर सीट मिली थी. जनता का अपार समर्थन मिला था. चाहे यूपी हो, बिहार हो, हिमाचल हो या फिर झारखण्ड. सभी जगह पर बीजेपी-एनडीए का प्रदर्शन लाजवाब था. लेकिन इस बार की बात करें तो आईएनडीए गठबंधन की वजह से 2024 की चुनौती बीजेपी के लिए बहुत कड़ी है. यही वजह है कि कई चुनावी विश्लेषक भी मजबूती से ये दावा नहीं कर पा रहे हैं कि परिणाम क्या रहेगा. इस बार की बात करें तो यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन से बीजेपी को अच्छी चुनौती मिल रही है. वहीँ बंगाल में आखिरी चरण में जिन 9 सीटों पर मतदान होना है, उन पर 2019 में ममता बनर्जी की टीएमसी जीती थी. ये सभी सीटें कोलकाता के आसपास की शहरी सीटें हैं. बंगाल में बीजेपी को शहर से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में वोट मिलते हैं. इस बार बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच मुकाबला बहुत कड़ा है.

पंजाब में अकेली लड़ रही बीजेपी

इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी पंजाब में भी नया प्रयोग कर रही है. पहली बार है कि बीजेपी पंजाब में बगैर किसी गठबंधन के चुनाव लड़ रही है. यहाँ 13 लोकसभा सीट हैं. बीजेपी की जमीन पंजाब में बेहद कमजोर है. उसका संगठन भी बहुत ज्यादा मजबूत नहीं है. यही वजह भी है कि पंजाब में बीजेपी ने अन्य दलों से आये लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है. 2019 की बात करें तो पंजाब में बीजेपी और अकाली के बीच गठबंधन था. 4 सीटें इनके गठबंधन को मिली थी. जिसमे दोनों को दो दो सीट पर जीत मिली थी. लेकिन किसान आन्दोलन की वजह से अकाली एनडीए से अलग हो गए. जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने इसलिए अकेले रहना सही समझा क्योंकि पंजाब में मुकाबला चौतरफा है. आप, कांग्रेस, अकाली और बसपा लड़ रहे हैं.

यूपी की 13 सीटों पर भी पूरा जोर

आखिरी चरण में यूपी की 13 सीटों पर वोटिंग है. बनारस में भी 1 जून को ही वोटिंग है. बीजेपी ने पूरा जोर लगाया हुआ है तो वहीं कांग्रेस और सपा के गठबंधन ने भी. दोनों तरफ से जीत के दावे किये जा रहे हैं.

2019 में बिहार, हिमाचल, झारखण्ड की सीटों पर एनडीए को मिली थी जीत

बिहार की बात करें तो 2019 में बिहार की इन 8 सीटों पर बीजेपी जीती थी. इस बार बीजेपी को आईएनडीआईए से कड़ी टक्कर मिल रही है. हिमाचल प्रदेश की 4 सीटें एनडीए के पाले में गई थी. झारखंड की 3 सीटों में से 2 पर एनडीए जीती थी. यूपी की 13 में से 11 सीटें एनडीए की झली में आयीं थी. चंडीगढ़ सीट पर BJP को जीती थी. ओडिशा की 6 में से 4 सीटों पर एनडीए हार गयी थी.

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