अमेरिका-चीन में नई बिजनेस डील: रेयर मिनरल्स की होगी खरीदारी, चीनी छात्रों को मिलेगा वीजा

Donald Trump Trade Policy: अमेरिका-चीन व्यापार समझौता भले ही आर्थिक और रणनीतिक फायदे ला सकता है. लेकिन इसमें जबरन मज़दूरी और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे मुद्दों की अनदेखी करना वैश्विक समुदाय के लिए चिंता का विषय है.;

Update: 2025-06-11 14:30 GMT

US China Trade Agreement: अमेरिका और चीन के बीच एक नया व्यापार समझौता हुआ है, जिसके तहत अमेरिका अब चीन से रेयर अर्थ मिनरल्स (दुर्लभ खनिज) और मैग्नेट्स खरीदेगा. यह ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को किया. इस डील के तहत अमेरिका बदले में चीनी छात्रों को यूनिवर्सिटीज़ में दाख़िला देगा. इसके साथ ही अमेरिका ने चीन से आने वाले सामानों पर टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाकर 55% कर दिया है.

रणनीतिक वजह

इस व्यापार समझौते को खनिजों और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है. अमेरिका को तकनीकी और रक्षा उद्योगों के लिए कई दुर्लभ खनिजों की जरूरत है, जो चीन से ही सबसे ज्यादा निर्यात होते हैं. हालांकि, यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है, जब चीन के शिनजियांग प्रांत में जबरन मज़दूरी को लेकर मानवाधिकार संगठनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं.

जबरन खनन मजदूरी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘ग्लोबल राइट्स कंप्लायंस’ नामक एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के हवाले से दावा किया गया है कि शिनजियांग में खनिजों की खुदाई और प्रोसेसिंग में उइगर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों से जबरन मजदूरी करवाई जा रही है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस आपूर्ति श्रृंखला से कोका-कोला, नेस्कैफे, वॉलमार्ट, एवन जैसी बड़ी कंपनियां भी जुड़ी हुई हैं. शिनजियांग में कम से कम 77 कंपनियां टाइटेनियम, लिथियम, बेरिलियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज क्षेत्रों में काम कर रही हैं, जिनमें जबरन मजदूरी का खतरा है.

चीन ने रिपोर्ट को बताया 'झूठ'

चीन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि “शिनजियांग में जबरन मजदूरी” का आरोप पश्चिमी देशों की साजिश है और उनका देश आंतरिक मामलों में किसी का दखल बर्दाश्त नहीं करेगा. वहीं, अमेरिका ने पहले ही ‘उइगर फोर्स्ड लेबर प्रिवेंशन ऐक्ट’ के तहत शिनजियांग से आने वाले कई उत्पादों पर कड़ी पाबंदियां लगाई हुई हैं. हाल ही में इसमें एल्यूमिनियम और सीफूड जैसी नई कैटेगरीज को भी जोड़ा गया है.

वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता अमेरिका को रणनीतिक खनिजों की आपूर्ति में मदद जरूर करेगा. लेकिन इसके साथ जुड़े मानवाधिकार के गंभीर मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यह डील ऐसे समय पर हुई है, जब ट्रेड वॉर (व्यापार युद्ध) को लेकर अमेरिका और चीन के बीच हालात पहले से ही तनावपूर्ण बने हुए हैं.

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