यूनुस सरकार पर संकट, हटाने की तैयारी! हादी के संगठन ने दी चेतावनी
इंकलाब मंच ने विरोध-प्रदर्शन फिर से शुरू करने की चेतावनी दी है। यह चेतावनी रविवार को 24 घंटे के अल्टीमेटम के बाद दी गई थी, लेकिन पुलिस की तरफ से अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई।
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में काम कर रही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अस्थिरता और हिंसा के खतरे से जूझ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब खबर है कि सरकार को स्थापित करने में मदद करने वाला 'इंकलाब मंच' इसे हटाने के लिए आंदोलन शुरू कर सकता है। हालांकि, इस पर अभी अंतिम निर्णय बाकी है।
विरोध-प्रदर्शन
संगठन का कहना है कि उस्मान हादी की हत्या के बाद हत्यारे को पकड़ने के प्रयास जारी हैं। इंकलाब मंच ने विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू करने की चेतावनी दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह चेतावनी रविवार को 24 घंटे के अल्टीमेटम के बाद दी गई थी, लेकिन पुलिस की तरफ से अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। इंकलाब मंच के पदाधिकारी अब्दुल्ला अल जाबर ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर गृह सलाहकार या संबंधित अधिकारियों की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सोमवार को दोपहर 3 बजे से ढाका में विरोध प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। इसके दौरान तय किया जाएगा कि यूनुस प्रशासन का समर्थन करना है या इसे हटाने के लिए आंदोलन शुरू करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि हाल ही में मंत्रालय की ब्रीफिंग में गृह सलाहकार और उनके विशेष सचिव की गैरमौजूदगी से इस घटना को कम दिखाने की कोशिश की गई।
युवा नेता पर हमला
बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी शहर 'खुलना' में सोमवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने 2024 के छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन के दूसरे नेता मोतालेब सिकदर के सिर में गोली मार दी। यह हमला प्रमुख युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के कुछ ही दिनों बाद हुआ। एनसीपी (नेशनल सिटिजन पार्टी) की संयुक्त प्रधान समन्वयक महमूदा मितु ने फेसबुक पोस्ट में बताया कि सिकदर को गंभीर हालत में खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया। मितु ने बताया कि हादी की सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
हादी की मौत और चुनावी संकट
शरीफ उस्मान हादी 12 फरवरी को होने वाले आम चुनावों में उम्मीदवार थे। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने हादी की मौत पर राष्ट्रव्यापी शोक मनाया और कहा कि उनके हत्यारों को पकड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। हालांकि, हादी पर हमला और उनकी मौत के बाद ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में हिंसा फिर से भड़क उठी है, जिससे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की सुरक्षा और स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।