अफगानिस्तान-पाकिस्तान शांति वार्ता ‘कोई ठोस समाधान’ के बिना समाप्त
दोनों देशों के बीच हालिया सीमा हिंसा में दर्जनों लोगों की मौत के बाद स्थायी शांति स्थापित करने के उद्देश्य से हुई बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अत्ताउल्ला तरार ने बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच दीर्घकालिक संघर्षविराम (truce) स्थापित करने के उद्देश्य से इस्तांबुल में हुई वार्ताएँ “किसी ठोस या व्यावहारिक समाधान” के बिना समाप्त हो गईं। यह इस महीने हुई घातक झड़पों के बाद क्षेत्रीय शांति प्रक्रिया के लिए एक बड़ा झटका है।
इन वार्ताओं का उद्देश्य दोनों पड़ोसी देशों के बीच स्थायी शांति स्थापित करना था, क्योंकि सीमा पर हुई झड़पों में दर्जनों लोगों की जान गई थी — जो 2021 में काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद की सबसे भीषण हिंसा मानी जा रही है।
यह बातचीत 25 अक्टूबर को शुरू हुई थी, लेकिन यह स्थायी शांति समझौते में तब्दील नहीं हो सकी, जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया।
अत्ताउल्ला तरार ने बुधवार सुबह एक बयान में कहा ,“अफगान पक्ष बार-बार मुख्य मुद्दे से भटकता रहा और उस बिंदु से बचता रहा, जिस पर यह वार्ता आरंभ की गई थी।”
उन्होंने कहा कि, “जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय, अफगान तालिबान ने आरोप-प्रत्यारोप, ध्यान भटकाने और बहानों का सहारा लिया। परिणामस्वरूप यह संवाद किसी व्यावहारिक समाधान तक नहीं पहुंच सका।”
दोनों देशों ने 19 अक्टूबर को दोहा में एक संघर्षविराम समझौते पर सहमति जताई थी, लेकिन तुर्की और कतर की मध्यस्थता में इस्तांबुल में हुई दूसरी दौर की बातचीत में कोई समान आधार नहीं बन पाया और वार्ता विफल रही। दोनों पक्षों ने असफलता के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया।
रॉयटर्स को एक पाकिस्तानी सुरक्षा सूत्र ने बताया कि तालिबान इस बात पर सहमत नहीं हुआ कि वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पर अंकुश लगाएगा — यह वही आतंकी संगठन है जिसके बारे में इस्लामाबाद का कहना है कि वह अफगानिस्तान की ज़मीन से पूरी छूट के साथ संचालित होता है।
रिपोर्ट में उद्धृत एक तालिबान स्रोत ने बताया कि बातचीत “काफ़ी तनावपूर्ण माहौल” में समाप्त हुई। अफगान पक्ष ने कहा कि उनके पास उस आतंकी समूह पर नियंत्रण नहीं है, जिसने हाल के हफ्तों में पाकिस्तानी सैनिकों पर हमले किए हैं।
झड़पें और आगे की स्थिति
अक्टूबर में झड़पें तब शुरू हुईं जब पाकिस्तान ने काबुल समेत कई ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिनका निशाना टीटीपी प्रमुख था। इसके जवाब में तालिबान ने पाकिस्तान की 2,600 किमी लंबी सीमा पर स्थित कई सैन्य चौकियों पर हमले किए।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शनिवार को कहा था कि उन्हें विश्वास है कि अफगानिस्तान शांति चाहता है, लेकिन यदि इस्तांबुल में कोई समझौता नहीं हुआ तो “यह खुले युद्ध” की स्थिति बन सकती है।
हालांकि पाकिस्तान और तालिबान के बीच संघर्षविराम प्रभावी है, लेकिन सप्ताहांत में हुई झड़पों में 5 पाकिस्तानी सैनिक और 25 पाकिस्तानी तालिबान लड़ाके मारे गए, सेना ने रविवार को यह जानकारी दी।