अब खुफिया जानकारी भी नहीं देगा US, सैन्य सहायता रोकने के बाद यूक्रेन को एक और झटका!

US VS Ukraine: सैन्य सहायता पर रोक लगाने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने अब यूक्रेन के साथ खुफिया जानकारी शेयर करने पर भी रोक लगा दी है.;

Update: 2025-03-05 17:23 GMT

America banned intelligence aid to Ukraine: अमेरिका ने हाल ही में यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगा दी थी. अब इसी कड़ी में एक और बड़ा फैसला लेते हुए खुफिया सहायता पर भी बैन लगा दिया है. ऐसा माना जा रहा कि व्हाइट हाऊस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की के बीच हुई बहस के बाद यह कदम उठाया गया है. हालांकि, ज़ेलेंस्की ने शांति प्रक्रिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए अमेरिकी समर्थन के लिए आभार जताया है. खासकर यूक्रेन की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली जैवेलिन मिसाइलों के लिए.

सैन्य और खुफिया सहायता पर रोक

सैन्य सहायता पर रोक लगाने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने अब यूक्रेन के साथ खुफिया जानकारी शेयर करने पर भी रोक लगा दी है. यह कदम उस समय उठाया गया, जब ट्रंप और ज़ेलेन्स्की के बीच व्हाइट हाउस में शांति वार्ता के दौरान सार्वजनिक रूप से मतभेद उभरे थे. CIA निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का यह सवाल था कि क्या राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की शांति प्रक्रिया के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. हालांकि ,उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह रोक अस्थायी है और भविष्य में संयुक्त राज्य अमेरिका फिर से यूक्रेन के साथ मिलकर काम करेगा.

ज़ेलेंस्की की प्रतिबद्धता

यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने मंगलवार को अपनी शांति की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया और कहा कि यूक्रेन खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है. इसके अलावा, उन्होंने इस बात का अफसोस भी व्यक्त किया कि ट्रंप के साथ उनकी बैठक वैसी नहीं रही जैसा वे उम्मीद कर रहे थे. लेकिन उन्होंने फिर भी अमेरिकी समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया. ज़ेलेंस्की ने कहा कि हम अमेरिका के योगदान को अत्यधिक महत्व देते हैं, खासकर उस समय जब राष्ट्रपति ट्रंप ने हमें जैवेलिन मिसाइलें दीं. हम इसके लिए हमेशा आभारी रहेंगे.

ट्रंप का आभार

ट्रंप ने ज़ेलेंस्की द्वारा शांति वार्ता के लिए भेजे गए पत्र की सराहना की और कहा कि मैं उनका धन्यवाद करता हूं, उन्होंने यह पत्र भेजा. मुझे यह पत्र थोड़ी देर पहले ही मिला. हालांकि, दोनों नेताओं के बीच मतभेद रहे हैं. वे शांति प्रक्रिया की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं. दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावना अब भी बनी हुई है और उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में यह सहयोग मजबूत होगा.

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