यूनुस का विवादित बयान: बांग्लादेश 'महासागर का एकमात्र संरक्षक', चीन को विस्तार का न्योता

Muhammad Yunus का चीन से बांग्लादेश के आर्थिक विस्तार और जल प्रबंधन में सहयोग के लिए समर्थन मांगना एक नई दिशा की ओर इशारा करता है. जबकि, भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं.;

Update: 2025-03-31 18:14 GMT

Muhammad Yunus China Visit: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद युनूस हाल ही में चीन के चार दिवसीय दौरे पर थे. उन्होंने बीजिंग से दक्षिण एशिया में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की अपील की. उन्होंने विशेष रूप से भारत के सात उत्तर-पूर्वी राज्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह क्षेत्र भूमि-बंद (Landlocked) है और इन राज्यों के पास महासागर तक पहुंचने का कोई मार्ग नहीं है. युनूस ने बांग्लादेश को इस क्षेत्र में "महासागर का एकमात्र संरक्षक" बताते हुए चीन से आर्थिक सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया.

बांग्लादेश को एक आर्थिक केंद्र बनाना

युनूस ने एक सोशल मीडिया वीडियो में चीन से आग्रह किया कि वह बांग्लादेश में एक आर्थिक आधार स्थापित करें. उन्होंने कहा कि भारत के सात उत्तर-पूर्वी राज्य, जिन्हें 'सात बहनें' कहा जाता है, भूमि-बंद हैं. इनके पास समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है. बांग्लादेश इस क्षेत्र का एकमात्र महासागर संरक्षक है. इसलिए, यहां चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार हो सकता है. यह एक बड़ी संभावना पैदा कर सकता है.

जल प्रबंधन पर चर्चा

युनूस ने अपनी यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की और बांग्लादेश में जल प्रबंधन के लिए चीन से एक 50 साल का मास्टर प्लान मांगा. खासकर, उन्होंने तीस्ता नदी के जल प्रबंधन को लेकर चीन से सहयोग की बात की, जो भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र से बहकर बांग्लादेश में प्रवेश करती है. युनूस ने कहा कि हम यहां आपसे सीखने आए हैं कि कैसे जल संसाधनों का प्रभावी उपयोग किया जाए.

बांग्लादेश और चीन के बीच बढ़ता समुद्री सहयोग

चीन और बांग्लादेश के बीच समुद्री सहयोग पर भी सकारात्मक चर्चा हुई. दोनों देशों ने मोंगला पोर्ट के आधुनिकीकरण और चटगांव में चीनी औद्योगिक क्षेत्र (CEIZ) के विकास के लिए सहयोग करने का निर्णय लिया. इसके अलावा, चीन ने बांग्लादेश को लगभग 400 मिलियन डॉलर का निवेश देने की योजना बनाई है, जिसमें मोंगला पोर्ट का आधुनिकीकरण और चीनी औद्योगिक क्षेत्र का विकास शामिल है.

आलोचना

युनूस के बयान पर भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. रक्षा विशेषज्ञ ध्रुव कटोच ने युनूस के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि युनूस को भारत का नाम लाने का कोई अधिकार नहीं था. अगर भारत को महासागर तक पहुंचने के लिए किसी कनेक्टिविटी की जरूरत है तो यह भारत का आंतरिक मामला है, जिसे हम खुद संभाल रहे हैं. कटोच ने यह भी कहा कि युनूस का बयान दरअसल चीन को यह संदेश देने के लिए था कि बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के जरिए चीन को नेपाल और भूटान तक पहुंच दिला सकती है. क्या वह भारत के उत्तर-पूर्व को काटने का इशारा कर रहे हैं?

चीन से मदद की संभावना

सेवानिवृत्त रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन अनिल गौर ने युनूस के बयान को बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति से जोड़ा. उन्होंने कहा कि युनूस चीन से मदद लेने के लिए वहां गए हैं. क्योंकि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था संकट में है. यूएसएआईडी, जो पहले बांग्लादेश को फंडिंग करता था, अब यह सहायता बंद कर चुका है. गौर ने यह भी कहा कि बांग्लादेश की स्थिति 1971 के पहले जैसी है, जब उसे स्वतंत्रता से पहले आर्थिक संकट का सामना था. हालांकि, गौर ने यह भी कहा कि भारत को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. क्योंकि भारत पहले ही बांग्लादेश से घुसपैठ की कोशिशों को रोकने के उपाय कर चुका है और बांग्लादेश इस संदर्भ में भारत के लिए कोई गंभीर खतरा नहीं है.

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