माफी मांगो और 4.3 अरब डॉलर का मुआवजा दो, पाकिस्तान से बांग्लादेश की मांग

बांग्लादेश ने पाकिस्तान से कहा है कि वो 1971 की लड़ाई के लिये ना सिर्फ सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे। बल्कि युद्ध की वजह से आर्थिक नुकसान का भुगतान भी करे।;

Update: 2025-04-18 02:15 GMT
1971 की लड़ाई के लिए बांग्लादेश ने पाकिस्तान से ना सिर्फ माफी बल्कि हर्जाने की भी मांग की है।

Bangladesh Pakistan News: बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच लगभग 15 वर्षों बाद गुरुवार को आयोजित हुई विदेश सचिव स्तर की वार्ता में बांग्लादेश ने 1971 के युद्ध से जुड़े "ऐतिहासिक रूप से अनसुलझे मुद्दों" को उठाया और पाकिस्तान से सार्वजनिक माफ़ी की मांग की।बांग्लादेश के विदेश सचिव जसीम उद्दीन और उनकी पाकिस्तानी समकक्ष आमना बलोच के बीच यह बातचीत राजधानी ढाका के राज्य अतिथि भवन 'पद्मा' में हुई। यह बैठक पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार की 27-28 अप्रैल को प्रस्तावित ढाका यात्रा से कुछ दिन पहले हुई है।

माफी मांगें पाकिस्तान

जसीम उद्दीन ने वार्ता के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा,"हमने पाकिस्तान के साथ ऐतिहासिक रूप से अनसुलझे मुद्दों को उठाया है। इसमें 1971 में तत्कालीन पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए नरसंहार पर सार्वजनिक माफी, फंसे हुए पाकिस्तानियों की वापसी, संयुक्त संपत्तियों का न्यायपूर्ण बंटवारा, और 1970 के चक्रवात पीड़ितों के लिए विदेशों से भेजी गई सहायता राशि का हस्तांतरण शामिल है।"

बांग्लादेश ने पाकिस्तान से 1971 में विभाजन के समय की साझा संपत्तियों में से अपनी हिस्सेदारी के तौर पर 4.3 अरब अमेरिकी डॉलर की मांग की। इसके अतिरिक्त, ढाका ने 1970 के चक्रवात पीड़ितों के लिए विदेश से आई 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि की मांग भी दोहराई, जो अब तक पाकिस्तान ने नहीं दी है।

जब पूछा गया कि पाकिस्तान की ओर से क्या प्रतिक्रिया रही, तो जसीम उद्दीन ने कहा,"उन्होंने सकारात्मक सोच के साथ भविष्य में इन अनसुलझे मुद्दों पर संवाद जारी रखने की इच्छा जताई है।"उन्होंने कहा कि यह समय इन ऐतिहासिक मुद्दों के समाधान का सही वक्त है, ताकि दोनों देशों के बीच एक "मजबूत और टिकाऊ संबंधों की नींव" रखी जा सके, जो आपसी हितों के लिए लाभकारी हो।

बैठक के बाद पाकिस्तानी विदेश सचिव आमना बलोच ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से भी अलग-अलग मुलाकात की।इस बातचीत को दोनों देशों के बीच हाल ही में उत्पन्न सहजता और संवाद की बहाली के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो पिछले वर्ष शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद संभव हुआ है। माना जा रहा है कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार 1971 की आज़ादी की लड़ाई में शेख मुजीबुर रहमान की भूमिका को कम महत्व दे रही है, जबकि उस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 90,000 से अधिक सैनिकों को बंदी बनाया था।

जब विदेशी सहायता राशि की मांग में दशकों में हुई मुद्रास्फीति को शामिल करने पर सवाल किया गया, तो जसीम उद्दीन ने स्पष्ट किया कि"वर्तमान वार्ता में यह मुद्दा केवल सतही तौर पर प्रस्तुत किया गया है, और विस्तृत चर्चा आगामी बैठकों में की जाएगी। जसीम उद्दीन ने यह भी स्पष्ट किया कि बांग्लादेश किसी एक देश की ओर झुकाव नहीं दिखा रहा है।

"हम पाकिस्तान के साथ आपसी सम्मान और पारस्परिक लाभ के आधार पर संबंध बनाना चाहते हैं। यह किसी विशेष देश की ओर झुकने का मामला नहीं है।"यह वार्ता इस बात का संकेत है कि अतीत के गंभीर मुद्दों पर भी दो देशों के बीच सकारात्मक संवाद की गुंजाइश हमेशा बनी रह सकती है बशर्ते राजनीतिक इच्छाशक्ति हो।

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