ट्रम्प के टैरिफ के बीच, जयशंकर का रूसी कंपनियों को भारत के साथ ‘और गहन’ जुड़ाव का न्योता

एस. जयशंकर ने दोनों देशों के बीच समय-परीक्षित रिश्तों पर प्रकाश डाला और वैश्विक अनिश्चितता के बीच गहरे आर्थिक संबंधों का आह्वान किया।;

Update: 2025-08-21 01:05 GMT
मॉस्को में व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर आयोजित भारत-रूस इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन के 26वें सत्र के दौरान एस. जयशंकर (फोटो : X/@DrSJaishankar)।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को रूसी कंपनियों से भारत की कंपनियों के साथ "और गहन" रूप से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली की पहलों ने विदेशी व्यवसायों के लिए नए अवसर खोले हैं।

मॉस्को में आयोजित भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए जयशंकर ने दोनों देशों के बीच समय-परीक्षित रिश्तों पर जोर दिया और वैश्विक अनिश्चितता के बीच गहरे आर्थिक संबंधों की आवश्यकता बताई।

उन्होंने कहा,“‘मेक इन इंडिया’ और इस तरह की अन्य पहलों ने विदेशी व्यवसायों के लिए नई खिड़कियाँ खोली हैं। भारत का आधुनिकीकरण और शहरीकरण अपने आप में नई माँगें पैदा कर रहे हैं, जो उपभोग और जीवनशैली में बदलाव से जुड़ी हैं। इन सभी आयामों को हम रूसी कंपनियों के लिए एक आमंत्रण के रूप में देखते हैं कि वे भारतीय साझेदारों के साथ और गहन जुड़ाव करें। हमारा प्रयास है कि वे इस चुनौती को स्वीकार करें।”

जयशंकर ने यह टिप्पणी करते हुए भारत की तेजी से बढ़ती जीडीपी का भी ज़िक्र किया और भरोसेमंद स्रोतों से बड़े संसाधनों की आवश्यकता पर ध्यान दिलाया।

उन्होंने कहा, “कुछ मामलों में यह आवश्यक उत्पादों जैसे उर्वरक, रसायन और मशीनरी की सुनिश्चित आपूर्ति हो सकती है। भारत का तेजी से विकसित होता बुनियादी ढाँचा उन उद्यमों के लिए अवसर पैदा करता है जिनका अपने देश में स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड है।”

ट्रंप टैरिफ की पृष्ठभूमि

जयशंकर का यह निमंत्रण ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लागू करने की समय-सीमा तय की है। ट्रंप ने पहले भारतीय आयात पर 25% शुल्क लगाया था, जिसे बाद में दोगुना कर दिया गया। उन्होंने इसकी वजह भारत के रूस से तेल व्यापार को बताया। इनमें से आधे टैरिफ पहले ही लागू हो चुके हैं और बाकी 27 अगस्त से प्रभावी होंगे।

‘भारत-रूस रिश्ते सबसे स्थिर’

व्यापारिक संबंधों को और गहरा करने पर जोर देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस रिश्ते वर्षों से सबसे स्थिर रहे हैं, लेकिन इसका आर्थिक सहयोग में उतना असर नहीं दिखा।

उन्होंने कहा, “हमारी व्यापार टोकरी सीमित है और हाल तक हमारा व्यापारिक परिमाण भी सीमित था। हालाँकि हाल के वर्षों में इसमें वृद्धि हुई है, लेकिन व्यापार घाटा भी बढ़ा है। अब व्यापार के विविधीकरण और संतुलन के लिए हमारे स्तर पर और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। आखिरकार यह केवल बड़े व्यापार लक्ष्य हासिल करने के लिए नहीं बल्कि मौजूदा स्तर को बनाए रखने के लिए भी ज़रूरी है।”

जयशंकर ने भारत और रूस दोनों से निवेश, संयुक्त उपक्रम और अन्य सहयोग के रूपों पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वे और रूस के प्रथम उपप्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव एक “स्पष्ट संदेश” देना चाहते हैं कि टिकाऊ रणनीतिक साझेदारी के लिए एक मज़बूत और स्थायी आर्थिक घटक होना चाहिए।

अंत में उन्होंने यह भी कहा कि दोनों सरकारों की चर्चाओं और व्यापार जगत की योजनाओं में बेहतर तालमेल होना चाहिए ताकि भारत और रूस के बीच आर्थिक सहयोग और सुचारू हो सके।

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