बांग्लादेश 12 फरवरी को आम चुनाव और बड़े जनमत-संग्रह के लिए तैयार

हसीना सरकार गिरने के बाद पहला राष्ट्रीय चुनाव; युनुस की अंतरिम सरकार के बीच ‘जुलाई चार्टर’ पर जनमत-संग्रह भी, BNP और जमात मुख्य दावेदार।

Update: 2025-12-11 12:55 GMT

Elections In Bangladesh : बांग्लादेश 12 फरवरी 2026 को दो बड़े लोकतांत्रिक अभ्यासों के लिए तैयार है। देश नए संसद के चुनाव के साथ-साथ महत्वपूर्ण राज्य सुधार जनमत-संग्रह भी कराएगा। यह तारीख इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि बीते वर्ष छात्र-आंदोलन की हिंसा के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़कर भारत भागने के बाद यह पहला राष्ट्रीय चुनाव होगा।


युनुस की अंतरिम सरकार के सामने चुनौतियाँ

हसीना के जाने के बाद देश की बागडोर नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार संभाल रही है। लेकिन वादे किए गए सुधारों में देरी के कारण जन असंतोष बढ़ रहा है और जगह-जगह नए विरोध प्रदर्शन उभर रहे हैं।

‘जुलाई चार्टर’ पर जनमत-संग्रह भी साथ में

मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिरुद्दीन ने राष्ट्रीय प्रसारण में घोषणा की कि चुनाव के साथ ही ‘जुलाई चार्टर’ पर जनमत-संग्रह भी होगा।
इस चार्टर में 

कार्यपालिका की शक्तियों में कमी,

न्यायपालिका व चुनाव आयोग की स्वतंत्रता बढ़ाने,

पुलिस व अन्य एजेंसियों के दुरुपयोग पर रोक जैसे कई बड़े संस्थागत सुधार शामिल हैं।

कौन हैं प्रमुख दावेदार?

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी चुनाव में सबसे आगे मानी जा रही है। उनके साथ चुनावी मैदान में जमात-ए-इस्लामी भी है, जिसे 2013 के बाद पहली बार चुनाव लड़ने की अनुमति मिली है।

2024 के छात्र आंदोलन से उभरी नेशनल सिटिज़न पार्टी सड़कों पर लोकप्रियता के बावजूद चुनावी जमीन पर कमजोर दिखाई दे रही है।

आवामी लीग पर रोक, बढ़ सकता है तनाव

शेख हसीना की आवामी लीग पर चुनाव लड़ने से प्रतिबंध लगा हुआ है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि यह प्रतिबंध नहीं हटाया गया तो देश में उथल-पुथल हो सकती है।

मतदाताओं के सामने बड़ी चुनौतियाँ

इस चुनाव में मतदाताओं के सामने कई अहम मुद्दे हैं जैसे :

लोकतांत्रिक शासन की बहाली,

आंदोलन के बाद लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना,

भारत से बिगड़े रिश्तों को सुधारना (क्योंकि भारत ने हसीना को शरण दी है),

भ्रष्टाचार पर अंकुश,

मीडिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।


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