भारत के साथ तनाव के बीच चीन ने दोहराया पाकिस्तान के लिए अपना समर्थन
चीन ने अपने पुराने मित्र पाकिस्तान का हाथ फिर से थाम लिया है और भरोसा दिलाया है कि "हर संकट में हम तुम्हारे साथ हैं.;
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला सिर्फ जिंदगियाँ नहीं लील गया, बल्कि दक्षिण एशिया के दो पड़ोसी मुल्कों के बीच एक और गहरी दरार पैदा कर गया। जहां एक ओर भारत अपने नागरिकों के दर्द में आक्रोशित है, वहीं पाकिस्तान पर उंगलियाँ उठ रही हैं। ऐसे संवेदनशील दौर में, चीन ने अपने पुराने मित्र पाकिस्तान का हाथ फिर से थाम लिया है और भरोसा दिलाया है कि "हर संकट में हम तुम्हारे साथ हैं।"
चीन के राजदूत जियांग ज़ैडॉन्ग ने सोमवार को इस्लामाबाद में राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी से मुलाकात की। यह सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं थी यह एक संदेश था, एक वादा था। उन्होंने कहा, "चीन हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा। हम मिलकर दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता की राह पर आगे बढ़ेंगे।"
इस मुलाकात में उन भावनाओं की झलक थी जो दशकों से दोनों देशों को जोड़ती आई हैं एक ऐसा रिश्ता जिसे चीनी राजदूत ने “लोहे जैसी दोस्ती” बताया, जिसने हर कठिन समय में एक-दूसरे का साथ निभाया है।
2 मई को प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से भी मुलाकात में यही भावना झलकी थी। जब दुनिया उंगलियां उठा रही है, चीन ने पाकिस्तान की चिंताओं को समझा, उसकी सुरक्षा की ज़रूरतों को जायज़ ठहराया और पहलगाम हमले की “निष्पक्ष और पारदर्शी जांच” की अपील की है।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान राष्ट्रपति ज़रदारी ने चिंता जताई उनके शब्दों में एक नेता की पीड़ा थी, जो अपने देश को वैश्विक अलगाव की ओर जाते देख रहा है। उन्होंने भारत की तरफ से व्यापारिक प्रतिबंधों, सीमा पार सहयोग की निलंबना और अन्य कठोर कदमों को “क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा” बताया है।
भारत का कठोर उत्तर
भारत ने इस हमले के बाद किसी तरह की नरमी नहीं दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा, "आतंक और उसके समर्थकों को बख्शा नहीं जाएगा।" भारत ने न सिर्फ राजनयिक संबंध घटाए, बल्कि सिंधु जल संधि जैसे ऐतिहासिक समझौते को भी निलंबित कर दिया —यह कोई साधारण प्रतिक्रिया नहीं थी, यह एक पीड़ा से उपजा निर्णय था।
विक्टर गाओ की सीधी चेतावनी
इस तनावपूर्ण माहौल में चीन के वरिष्ठ रणनीतिकार विक्टर गाओ ने पाकिस्तान के समर्थन की घोषणा की है। उन्होंने कहा, "चीन और पाकिस्तान के रिश्ते सिर्फ कूटनीतिक नहीं हैं, ये भाईचारे की बुनियाद पर खड़े हैं। कोई भी देश अगर पाकिस्तान की संप्रभुता को चुनौती देगा, तो चीन सबसे पहले उसके साथ खड़ा मिलेगा।"
उनके शब्दों में सिर्फ राजनीतिक रणनीति नहीं, बल्कि उस गहरे विश्वास की प्रतिध्वनि थी जो चीन और पाकिस्तान के रिश्ते को दशकों से मजबूती देता आया है।
दुनिया की दो राहें
जहाँ एक तरफ चीन पाकिस्तान को ढांढस बंधा रहा है, वहीं रूस और अमेरिका ने भारत को खुलकर उसका समर्थन किया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी विदेश विभाग दोनों ने इस हमले की कड़ी निंदा की और भारत के साथ खड़े होने की बात कही।
बीजिंग की दोहरी चाल
चीन की रणनीति दिलचस्प है एक ओर वह संयम की अपील कर रहा है, तो दूसरी ओर साफ संकेत दे रहा है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो वह पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा, चाहे हालात जैसे भी हों।