टैरिफ झटके के बाद, ट्रंप की बड़ी H-1B वीज़ा बदलाव की योजना, भारतीयों पर क्या होगा असर?

वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने मौजूदा सिस्टम को 'धोखाधड़ी' बताया, कहा नए नियमों में अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता मिलेगी;

Update: 2025-08-27 12:34 GMT
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक (बाएँ) ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की योजना एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम में बड़े बदलाव करने की है। (फोटो: X/@howardlutnick और AP/PTI)

टैरिफ की नाकामी के बीच, जिसने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को असमंजस में डाल दिया है, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने एक ऐसी योजना का संकेत दिया है, जिससे अमेरिका का H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड कार्यक्रम बड़े पैमाने पर बदल सकता है और अंतरराष्ट्रीय कामगार प्रभावित हो सकते हैं।

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने मंगलवार, 26 अगस्त को अमेरिका के मौजूदा H1B वीज़ा सिस्टम को बेहद ख़राब और धोखाधड़ी करार दिया, जो विदेशी कामगारों को अमेरिका में नौकरी पाने का मौका देता है। रिपब्लिकन नेता ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों की प्राथमिकता अपने देश की कार्यशक्ति को नियुक्त करना होनी चाहिए।

'H1B वीज़ा सिस्टम एक धोखाधड़ी है'

लुटनिक ने X पर लिखा, “मौजूदा H1B वीज़ा सिस्टम एक धोखाधड़ी है, जो विदेशी कामगारों को अमेरिकी नौकरियों में जगह देता है। सभी महान अमेरिकी व्यवसायों की प्राथमिकता अमेरिकी कामगारों को नियुक्त करना होनी चाहिए। अब समय है अमेरिकी को नौकरी देने का।”

इस पोस्ट के साथ उनका फ़ॉक्स न्यूज़ को दिया गया विशेष इंटरव्यू भी जोड़ा गया था।


H1B और ग्रीन कार्ड कार्यक्रम में बदलाव

अपने इंटरव्यू में वाणिज्य सचिव ने बताया कि वे H1B और ग्रीन कार्ड कार्यक्रम में होने वाले बदलावों का हिस्सा हैं। उन्होंने यह बदलाव अमेरिकी नागरिकों और ग्रीन कार्ड धारकों की आमदनी में असमानता के आधार पर जायज़ ठहराया।

लुटनिक ने कहा, “मैं H1B कार्यक्रम में बदलाव कर रहा हूं क्योंकि यह बेहद ख़राब है। हम ग्रीन कार्ड भी बदलने जा रहे हैं। एक औसत अमेरिकी सालाना 75,000 डॉलर कमाता है, जबकि औसत ग्रीन कार्ड धारक 66,000 डॉलर। यानी हम सबसे निचले हिस्से (bottom quartile) को ला रहे हैं। हम ऐसा क्यों करें? यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप इसे बदलने वाले हैं। यही गोल्ड कार्ड आ रहा है। हम सबसे बेहतरीन लोगों को देश में लाना शुरू करेंगे।”

ट्रंप का गोल्ड कार्ड विचार

ट्रंप प्रशासन “गोल्ड कार्ड” नामक एक नई योजना पर विचार कर रहा है, जो विदेशी निवेशकों के लिए वीज़ा कार्यक्रम की जगह ले सकती है। इसे 5 मिलियन डॉलर (करीब ₹42 करोड़ रुपये) देकर खरीदा जा सकेगा और यह अमेरिकी नागरिकता पाने का रास्ता बनेगा।

ट्रंप ने खुद मीडिया से कहा था कि वे EB-5 इमिग्रेंट वीज़ा प्रोग्राम को खत्म कर देंगे। मौजूदा EB-5 प्रोग्राम विदेशी निवेशकों को अमेरिका में बड़ी रकम लगाकर नौकरियां बनाने या बचाने की शर्त पर स्थायी निवासी बनने का अवसर देता है।

ट्रंप ने 12 जून को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया, “WAITING LIST IS NOW OPEN”।

भारतीय कामगारों और छात्रों पर असर

H1B वीज़ा कार्यक्रम में होने वाले इन बदलावों से अमेरिका में रहने वाले भारतीय कामगारों और छात्रों पर सीधा असर पड़ सकता है, क्योंकि H1B वीज़ा आवंटन में भारतीयों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी रही है।

ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही विदेशी कामगारों और छात्रों पर नियमों को कड़ा किया गया।

कुछ महीने पहले, सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज़ (CIS) ओम्बड्समैन कार्यालय को बंद कर दिया गया था, जो प्रवासियों को वीज़ा से जुड़ी तकनीकी दिक़्क़तों से निपटने में मदद करता था।

इमिग्रेशन वकीलों ने कहा कि इस फैसले का असर H-1B वीज़ा धारकों, F-1 स्टूडेंट वीज़ा वाले विदेशी छात्रों और ग्रीन कार्ड आवेदकों पर पड़ेगा, जिससे भारतीय डायस्पोरा के कई सदस्य प्रभावित होंगे।

Tags:    

Similar News