ट्रंप ने भारतवंशी डॉ. भट्टाचार्य को दी अहम जिम्मेदारी, हेल्थ एजेंसी का बनाया प्रमुख

डोनाल्ड ट्रंप ने डॉ. जय भट्टाचार्य को देश की सबसे बड़ी चिकित्सा अनुसंधान एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का नेतृत्व करने के लिए चुना है.

Update: 2024-11-27 06:00 GMT

Dr Jay Bhattacharya: राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप ने कोविड-19 महामारी लॉकडाउन और वैक्सीन अनिवार्य किए जाने के आलोचक स्वास्थ्य अर्थशास्त्री डॉ. जय भट्टाचार्य को देश की सबसे बड़ी चिकित्सा अनुसंधान एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का नेतृत्व करने के लिए चुना है. ट्रंप ने एक बयान में कहा कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में 56 वर्षीय डॉक्टर और प्रोफेसर भट्टाचार्य, स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग का नेतृत्व करने के लिए उनके द्वारा चुने गए रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर के साथ मिलकर काम करेंगे.

ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और लोगों के जीवन को बचाने के लिए काम आने वाले महत्वपूर्ण खोजों में डॉ. जय भट्टाचार्य अहम रोल अदा करेंगे. उन्होंने कहा कि जय और आरएफके जूनियर मिलकर एनआईएच को चिकित्सा अनुसंधान के स्वर्ण मानक पर बहाल करेंगे. क्योंकि वे अमेरिका की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों के अंतर्निहित कारणों और समाधानों की जांच करेंगे, जिसमें हमारी पुरानी बीमारी और रोग का संकट भी शामिल है. इस पद के लिए भट्टाचार्य को चुनने का निर्णय सार्वजनिक स्वास्थ्य पर राजनीति पर COVID महामारी के चल रहे प्रभाव की एक और याद दिलाता है.

बता दें कि भट्टाचार्य ग्रेट बैरिंगटन घोषणा के तीन लेखकों में से एक थे, जो अक्टूबर 2020 का एक खुला पत्र था, जिसमें कहा गया था कि लॉकडाउन से काफी नुकसान पहुंच रहा है. यह दस्तावेज़ COVID-19 वैक्सीन की उपलब्धता से पहले और पहले ट्रंप प्रशासन के दौरान आया था. दस्तावेज़ में कहा गया था कि सुरक्षा को उच्च जोखिम वाले लोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. भट्टाचार्य ने मार्च 2021 में फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा के दौरान कहा था कि मुझे लगता है कि लॉकडाउन सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य गलती थी.

ग्रेट बैरिंगटन घोषणा को पहले ट्रंप प्रशासन में कुछ लोगों ने अपनाया था. भले ही रोग विशेषज्ञों द्वारा इसकी व्यापक रूप से निंदा की गई थी. तत्कालीन NIH निदेशक डॉ. फ्रांसिस कोलिन्स ने इसे खतरनाक और "मुख्यधारा का विज्ञान नहीं" कहा था.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भट्टाचार्य को अपने विचारों के कारण सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा था. भट्टाचार्य ने तर्क दिया था कि वैक्सीनेशन अनिवार्य करने से बिना वैक्सीनेशन वाले लोगों को गतिविधियों और कार्यस्थलों से रोका गया है, जिससे अमेरिकियों का सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में भरोसा कम हुआ है. बता दें कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एचएचएस के अंतर्गत आता है, जिसकी देखरेख के लिए ट्रंप ने कैनेडी को नामित किया है. एनआईएच का $48 बिलियन का बजट देश भर के संस्थानों में शोधकर्ताओं को प्रतिस्पर्धी अनुदान के माध्यम से टीकों, कैंसर और अन्य बीमारियों पर चिकित्सा अनुसंधान को निधि देता है.

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