आतंक के पनाहगाह से तारीफ तक, शहबाज शरीफ-असीम मुनीर को ट्रंप ने बताया महान नेता
पाक पीएम शहबाज शरीफ और सेनाध्यक्ष मुनीर दोनों को डोनाल्ड ट्रंप ने महान नेता बताया। ट्रंप के बदले रुख को अफगान नीति और कश्मीर पर दावों से जोड़कर देखा जा रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से मुलाकात की। बैठक से पहले ट्रंप ने दोनों मेहमानों की तारीफ करते हुए उन्हें महान नेता बताया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, हमारे पास महान नेता आ रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और फील्ड मार्शल। दोनों ही महान इंसान और नेता हैं।
यह मुलाकात हाल ही में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हुए व्यापार समझौते के बाद हुई। इससे पहले दोनों नेता न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान भी संक्षिप्त रूप से मिले थे।
ट्रंप का बदला रुख
यह नज़दीकी खास इसलिए मानी जा रही है क्योंकि अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने पाकिस्तान को आतंकवाद का सुरक्षित पनाहगाह कहकर कठोर आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि पाकिस्तान ने अमेरिका को धोखा दिया। लेकिन अब ट्रंप का रुख बदलता दिख रहा है और वे पाकिस्तान के नेतृत्व की सार्वजनिक रूप से सराहना कर रहे हैं।
पाकिस्तान की सेना और ट्रंप
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर हाल के दिनों में दो बार अमेरिका का दौरा कर चुके हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित भी किया था। माना जा रहा है कि पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की इस संयुक्त पहल से अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों को नई दिशा मिल सकती है।
भारत और ट्रंप के दावे
ट्रंप कई बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम कराने में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उन्होंने मध्यस्थता कर शांति बनाए रखने में मदद की। हालांकि भारत सरकार बार-बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि उसकी सैन्य कार्रवाइयों और रणनीतियों में किसी विदेशी शक्ति का हस्तक्षेप नहीं रहा।
रणनीतिक कारण और अफगानिस्तान
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के प्रति ट्रंप प्रशासन की बढ़ती रुचि की एक बड़ी वजह अफगानिस्तान में अमेरिका के रणनीतिक हित हैं। हाल ही में ट्रंप ने बगराम एयरबेस को फिर से अपने नियंत्रण में लेने की अहमियत पर जोर दिया था। उनका कहना था कि यह ठिकाना चीन के परमाणु स्थलों के बेहद नजदीक है, इसलिए पाकिस्तान की भूमिका अमेरिका की एशियाई और अफगान रणनीति में और भी अहम हो जाती है।