H-1B वीजा पर एलोन के साथ ट्रंप; किया समर्थन, क्या भारतीयों के लिए राहत की खबर?
Donald Trump supports Elon Musk: अमेरिकी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने अप्रवासी वर्क वीज़ा मुद्दे पर एलोन मस्क और विवेक रामास्वामी का समर्थन किया.;
Donald Trump supports H-1B visa: डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों और एलोन मस्क (Elon Musk) जैसे तकनीकी दिग्गजों के बीच तीखी बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि वह एक विशेष वीजा कार्यक्रम का समर्थन करते हैं. जो ज्यादा कुशल लोगों को देश में घुसने की इजाजत देता है. उन्होंने कहा कि मुझे हमेशा (H1-B) वीजा पसंद रहा है. मैं हमेशा वीजा के पक्ष में रहा हूं. इसलिए हमारे पास ये हैं. उनकी यह टिप्पणी भारत की आईटी फर्मों और पेशेवरों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर है. जो ट्रंप की बैन की जाने वाली इमिग्रेशन नीतियों के कारण चिंतित नजर आ रहे थे.
ट्रंप (Donald Trump) का इमिग्रेशन विरोधी रुख उनके 2016 और 2020 के अभियानों की आधारशिला था और गैर-दस्तावेजी आप्रवासियों को निर्वासित करने और वैध इमिग्रेशन को बैन करने के उनके वादे ने उनकी चुनावी सफलता को बढ़ावा दिया.
पारंपरिक आधार बनाम तकनीकी दिग्गज
उनके पिछले प्रशासन के दौरान H1-B वीज़ा कार्यक्रम को अभूतपूर्व जांच का सामना करना पड़ा, जिसमें अस्वीकृति दर 2016 में 6 प्रतिशत से नाटकीय रूप से बढ़कर 2018 में 24 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच गई. इस प्रवृत्ति ने आव्रजन (इमिग्रेशन) प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण कसावट को उजागर किया, जिसमें उच्च आवेदन शुल्क और सख्त मूल्यांकन मानदंड शामिल हैं. इस सप्ताह इस मामले के तूल पकड़ने के बाद नव-निर्वाचित राष्ट्रपति (Donald Trump) ने न्यूयॉर्क पोस्ट से अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में कहा कि मुझे हमेशा से (H-1B visa) वीजा पसंद रहा है, मैं हमेशा से इसके पक्ष में रहा हूं, इसीलिए हमारे पास ट्रंप (Donald Trump) के स्वामित्व वाली सुविधाओं में ये वीजा हैं.
यह बहस ट्रंप (Donald Trump) के समर्थकों के बीच एक मुद्दा बन गई है, जिसमें मस्क (Elon Musk) समेत तकनीकी दिग्गज इस कार्यक्रम की वकालत कर रहे हैं. जबकि अन्य सख्त आव्रजन नियंत्रण के लिए दबाव डाल रहे हैं. टेस्ला के सीईओ मस्क (Elon Musk) ने अपने एक्स प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में विदेश से टॉप इंजीनियरिंग प्रतिभाओं को आकर्षित करने को "अमेरिका की जीत के लिए आवश्यक" बताया. उन्होंने इस मुद्दे पर "युद्ध में जाने" की कसम भी खाई, जिससे जीओपी के भीतर तनाव और बढ़ गया.
विवेक रामास्वामी, जो ट्रंप (Donald Trump) के अधीन लागत-कटौती पैनल के सह-अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं, ने यह भी तर्क दिया कि अमेरिका में उच्च कुशल स्नातकों की कमी है, जिससे H1-B कार्यक्रम अपरिहार्य हो गया है. रामास्वामी, जो खुद भारतीय अप्रवासियों के बेटे हैं, ने इस बहस को और तेज़ कर दिया, उन्होंने उस “अमेरिकी संस्कृति” की आलोचना की, जो औसत दर्जे को पुरस्कृत करती है, और चेतावनी दी कि देश चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों से पीछे रहने का जोखिम उठाता है. सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई उनकी टिप्पणियों ने ट्रंप के कई वफादारों में आक्रोश पैदा कर दिया, जिनमें से कुछ ने उन पर अमेरिकी श्रमिकों को कमज़ोर करने का आरोप लगाया.
रूढ़िवादी परेशान
टेस्ला के सीईओ द्वारा (H-1B visa) श्रमिकों के समर्थन में की गई टिप्पणियों से कई प्रमुख रूढ़िवादी नाराज हो गए. जो इस वर्ष मस्क (Elon Musk) के उनके साथ जुड़ने से बहुत पहले से ही ट्रंप (Donald Trump) का समर्थन कर रहे थे और रिपब्लिकन के अभियान में 250 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश कर रहे थे. इसको लेकर लॉरा लूमर ने कहा कि राष्ट्रपति लॉरा लूमर ने कहा और बिग टेक के बीच अपरिहार्य तलाक की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हमें राष्ट्रपति लॉरा लूमर ने कहा को टेक्नोक्रेट से बचाना होगा.
उन्होंने और अन्य लोगों ने कहा कि लॉरा लूमर ने कहा को अमेरिकी कामगारों को बढ़ावा देना चाहिए और आव्रजन को और सीमित करना चाहिए. ट्रंप के रणनीतिकार स्टीव बैनन, जिन्होंने गेटर प्लेटफ़ॉर्म पर लिखा था कि H1-B कार्यक्रम उन प्रवासियों को लाता है. जो अनिवार्य रूप से "बंधुआ नौकर" हैं. जो अमेरिकी नागरिकों की तुलना में कम काम करते हैं, ने टेस्ला के सीईओ को "बच्चा" कहा. ट्रंप (Donald Trump) के कुछ मूल समर्थकों का कहना है कि उन्हें डर है कि वह मस्क जैसे प्रौद्योगिकी जगत के बड़े दानदाताओं के बहकावे में आ रहे हैं और अपने चुनावी वादों से दूर जा रहे हैं.
एच1-बी वीज़ा और भारतीय पेशेवर
H-1B visa कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को उन्नत शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता वाली विशेष भूमिकाओं में विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है. हालांकि, एक लंबे समय से चली आ रही नीति एक वर्ष में आवंटित वीजा की संख्या को सीमित करती है, जिसमें कम से कम स्नातक की डिग्री वाले विदेशी श्रमिकों के लिए 65,000 वीजा और अमेरिकी संस्थान से मास्टर डिग्री या उससे अधिक डिग्री रखने वाले विदेशी श्रमिकों के लिए 20,000 अतिरिक्त वीजा शामिल हैं. यह सीमा भारतीय पेशेवरों को असमान रूप से प्रभावित करती है. जो वैश्विक तकनीकी प्रतिभा पूल का एक बड़ा हिस्सा हैं.
वर्तमान में, किसी एक देश के आवेदकों को कितने वीज़ा जारी किए जा सकते हैं, इस पर एक सीमा है, जिसने अमेरिका में काम करने के इच्छुक भारतीय पेशेवरों के लिए एक अड़चन पैदा कर दी है. हर साल, भारत जैसे देशों के आवेदकों को केवल सीमित संख्या में H1-B वीज़ा उपलब्ध होते हैं, जिससे तीव्र प्रतिस्पर्धा होती है. वर्तमान में, किसी भी एक देश के श्रमिकों को H1-B वीज़ा की कुल संख्या का 7% से अधिक आवंटित नहीं किया जा सकता है, चाहे मांग कितनी भी हो, जिससे भारत जैसे उच्च मांग वाले देशों के आवेदकों के लिए देरी होती है.
एच1-बी वीज़ा सीमा हटाने का प्रस्ताव
हालांकि, अमेरिकी अधिकारी वर्तमान में H1-B वीजा कैप को हटाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं - एक ऐसा कदम जिससे हजारों भारतीय श्रमिकों को लाभ होगा. यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने हाल ही में श्रीराम कृष्णन को वरिष्ठ नीति सलाहकार नियुक्त किया है. कृष्णन योग्यता के आधार पर आव्रजन कानूनों के मुखर समर्थक रहे हैं - ऐसे बदलावों के पक्षधर हैं, जो अत्यधिक कुशल श्रमिकों को प्राथमिकता देंगे और ग्रीन कार्ड आवेदन प्रक्रिया में तेजी लाएंगे. प्रस्तावित सुधार के तहत H1-B वीज़ा पर प्रति देश सीमा समाप्त कर दी जाएगी. इसके बजाय, वीज़ा राष्ट्रीयता के बजाय योग्यता के आधार पर वितरित किए जाएंगे. यह परिवर्तन एक समान अवसर प्रदान करेगा, भारतीय पेशेवरों के लिए प्रतीक्षा समय को कम करेगा.