ट्रंप के मनमानी पर फेडरल कोर्ट ने लगाई रोक, भारी टैरिफ लगाने के फैसले को पलटा

न्यूयॉर्क स्थित अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय के तीन न्यायाधीशों के पैनल ने यह निर्णय कई मुकदमों के बाद सुनाया, जिनमें तर्क दिया गया था कि ट्रंप ने अपनी संवैधानिक सीमाओं से आगे जाकर देश की व्यापार नीति को अपनी मर्जी पर छोड़ दिया है।;

Update: 2025-05-29 02:36 GMT
ट्रंप ने बार-बार कहा है कि टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने से कंपनियां फैक्ट्री की नौकरियां अमेरिका वापस लाएंगी और सरकार की आमदनी इतनी बढ़ेगी कि बजट घाटा कम हो सकेगा। | फ़ाइल फोटो

अमेरिका की एक फेडरल कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इमरजेंसी कानून का इस्तेमाल करके विदेशों से आने वाले सामान पर भारी टैक्स लगाने से रोक दिया है। यह फैसला ट्रंप की उस आर्थिक नीति को बड़ा झटका है, जिससे दुनियाभर के बाजारों में हलचल मची थी और कई देशों से अमेरिका के व्यापार संबंध बिगड़ गए थे।

न्यूयॉर्क की अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत के तीन जजों ने यह फैसला सुनाया। कई लोगों और कंपनियों ने कोर्ट में मुकदमा दायर किया था कि ट्रंप अपनी सीमाओं से बाहर जाकर फैसले ले रहे हैं और देश की व्यापार नीति सिर्फ उनकी मर्जी पर चल रही है।

ट्रंप ने कहा था कि भारी टैक्स लगाने से कंपनियां फिर से अमेरिका में फैक्ट्रियाँ खोलेंगी और सरकार की आमदनी बढ़ेगी। उन्होंने दूसरे देशों को धमकी दी थी कि अगर वे अमेरिका के अनुकूल समझौते नहीं करेंगे, तो वह खुद टैक्स की दरें तय कर देंगे।

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि व्यापार घाटा (यानि अमेरिका का ज्यादा आयात और कम निर्यात होना) एक राष्ट्रीय आपातकाल है, जिससे अमेरिकी उद्योग और मजदूरों को नुकसान हो रहा है।

लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद अब ट्रंप अकेले अपने दम पर टैक्स नहीं लगा सकते। इसके लिए उन्हें संसद (कांग्रेस) की मंजूरी चाहिए होगी। यह भी साफ नहीं है कि अब ट्रंप अपनी बाकी टैक्स नीतियों को रोकेंगे या नहीं।

हालांकि 1974 के ट्रेड एक्ट के एक सेक्शन के तहत ट्रंप कुछ समय के लिए (150 दिन तक) कुछ देशों पर सीमित टैक्स लगा सकते हैं, जिनसे अमेरिका को बड़ा व्यापार घाटा होता है।

कोर्ट ने कहा कि ट्रंप जो टैक्स आदेश ला रहे हैं, वो IEEPA कानून (1977 का अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक कानून) की सीमाओं से बाहर हैं। यह कानून राष्ट्रपति को कुछ सीमित शक्तियाँ देता है, लेकिन ट्रंप ने उसका दुरुपयोग किया।

यह फैसला ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की कुछ सबसे विवादित नीतियों की कानूनी नींव को कमजोर करता है। ट्रंप सरकार ने इस फैसले के खिलाफ तुरंत अपील कर दी है, और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है।

इस केस की सुनवाई तीन जजों ने की थी — जिनमें से एक को ट्रंप ने नियुक्त किया था, एक को रोनाल्ड रीगन ने और एक को ओबामा ने।

इस मुकदमे को कई छोटे व्यवसायों और कुछ राज्यों (जैसे ओरेगन) ने मिलकर दायर किया था। एक वाइन आयात करने वाली कंपनी ने कहा कि ट्रंप के टैक्स से उनका व्यापार बर्बाद हो रहा है।

ओरेगन के अटॉर्नी जनरल ने कहा, “यह फैसला दिखाता है कि हमारे देश में कानून का राज है, और राष्ट्रपति मनमर्जी से व्यापार नहीं चला सकते।”

सीनेटर रॉन वायडन ने कहा कि ट्रंप के टैक्सों से रोजमर्रा की चीजों जैसे किराने और गाड़ियों की कीमतें बढ़ीं, ज़रूरी सामानों की कमी हुई और छोटे-बड़े सभी व्यापारों की सप्लाई चेन बिगड़ गई।

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