दुनिया का एक देश ही कहीं और शिफ्ट होने वाला है, ऑस्ट्रेलिया में बसेगी तुवालु की आबादी

प्रशांत महासागर का द्वीप राष्ट्र तुवालु समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण डूबने के कगार पर है, जिसके चलते एक ऐतिहासिक योजनाबद्ध पलायन शुरू हो रहा है।;

Update: 2025-08-10 11:12 GMT
जलवायु परिवर्तन की वजह से जलमग्न होने की कगार पर पहुंचा तुवालु पहला देश है जिसका अगले 25 वर्षों में अधिकांश भूभाग पानी के नीचे आने का अनुमान है

तुवालु, प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा द्वीप देश, दुनिया के पहले ऐसे योजनाबद्ध पलायन की तैयारी कर रहा है, जिसमें पूरे देश के लोगों को स्थानांतरित किया जाएगा। वायर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, यह पलायन समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण हो रहा है।

कई अध्ययनों में अनुमान लगाया गया है कि अगले 25 वर्षों में तुवालु का अधिकांश भूभाग पानी के नीचे आ सकता है, जिससे वहां के लोगों के लिए जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा।

तुवालु में नौ प्रवाल द्वीप और एटोल (coral atolls) हैं, और इसकी आबादी सिर्फ 11,000 से थोड़ी अधिक है। इसकी औसत ऊँचाई समुद्र तल से केवल 2 मीटर है, जिसके कारण यह बाढ़, तूफानी लहरों और जलवायु परिवर्तन से होने वाली समुद्र की वृद्धि के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। यह द्वीप देश दुनिया के सबसे जलवायु-खतरे वाले इलाकों में से एक है। वैज्ञानिकों को आशंका है कि अगले 80 वर्षों में यह रहने योग्य नहीं रहेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, द्वीप समूह के नौ में से दो प्रवाल एटोल लगभग पूरी तरह से डूब चुके हैं।

नासा की सी लेवल चेंज टीम के अनुसार, 2023 में तुवालु में समुद्र का स्तर पिछले 30 वर्षों की तुलना में 15 सेंटीमीटर अधिक था। इस दर से, 2050 तक देश का अधिकांश भूभाग और बुनियादी ढांचा डूब सकता है।

तुवालु नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में स्थायी निवास

इस संकट से निपटने के लिए, तुवालु और ऑस्ट्रेलिया ने 2023 में फालेपिली यूनियन संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत एक जलवायु पलायन कार्यक्रम बनाया गया। इस समझौते के तहत हर साल 280 तुवालु नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में स्थायी निवास मिलेगा, जिसमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास और रोजगार के पूरे अधिकार होंगे।

पहले चरण के आवेदन 16 जून से 18 जुलाई 2025 तक चले। तुवालु में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग ने “बेहद अधिक रुचि” दर्ज की, जिसमें 8,750 पंजीकरण आए, जिनमें परिवार के सदस्य भी शामिल थे। पहले 280 प्रवासियों का चयन 25 जुलाई को लॉटरी द्वारा किया गया।

ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा कि यह पलायन कार्यक्रम तुवालु निवासियों को “जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के बीच गरिमा के साथ बसने” की सुविधा देगा। वहीं, तुवालु के प्रधानमंत्री फेलेटी टेओ ने वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करते हुए समुद्र स्तर में वृद्धि का सामना कर रहे देशों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक नई अंतरराष्ट्रीय संधि की मांग की।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस कार्यक्रम और ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड के अन्य प्रवासन मार्गों को मिलाकर हर साल तुवालु की 4% तक आबादी पलायन कर सकती है। न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय, सिडनी के काल्डोर सेंटर फॉर इंटरनेशनल रिफ्यूजी लॉ की फेलो जेन मैकएडम के अनुसार, “एक दशक के भीतर लगभग 40% आबादी पलायन कर सकती है—हालांकि कुछ लोग वापस लौट सकते हैं या आना-जाना जारी रख सकते हैं।”

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