पाकिस्तान का पानी सूखने लगा, बगलिहार बांध के गेट बंद किए जाने का असर
सलाल और बगलिहार डैम के स्लूइस गेट बंद होने से पाकिस्तान के पास चेनाब नदी सूखी अवस्था में पहुंची। खबर है कि पानी रोकने के लिए डैम के जलाशयों के गेट बंद किए गए;
जम्मू के अखनूर क्षेत्र, जोकि पाकिस्तान के नजदीक का इलाका है, में चेनाब नदी का जलस्तर सोमवार को वर्षों में पहली बार कमर से भी नीचे पहुंच गया, जिससे हैरान स्थानीय लोग बड़ी संख्या में नदी के तल पर इकट्ठा हो गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह स्थिति सलाल और बगलिहार जलविद्युत परियोजनाओं के सभी स्लूइस गेट रविवार सुबह बंद किए जाने के कारण उत्पन्न हुई।
हालांकि सरकार की ओर से इस घटनाक्रम पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन बताया गया है कि शुक्रवार और शनिवार को डीसिल्टेशन (गाद हटाने) की प्रक्रिया के बाद जलाशयों को फिर से भरने के लिए गेट बंद किए गए थे।
पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बढ़ा दिया है। इसके तहत, बगलिहार डैम से पाकिस्तान के पंजाब की ओर पानी की आपूर्ति रोक दी गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे “अल्पकालिक दंडात्मक कार्रवाई” बताया।
भारत पहले ही सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित कर चुका है। यह संधि 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल बंटवारे को नियंत्रित करती है। सलाल और बगलिहार जैसे रन-ऑफ-द-रिवर डैम भारत को पानी के प्रवाह की टाइमिंग को नियंत्रित करने की अनुमति देते हैं।
हालांकि पाकिस्तान ने निर्माण के समय इन परियोजनाओं पर आपत्ति जताई थी और विश्व बैंक से हस्तक्षेप की मांग की थी। उस समय भारत ने बगलिहार डैम की ऊंचाई को प्रस्तावित से 1.5 मीटर घटाकर 143 मीटर किया था, जिससे इसकी जल भंडारण क्षमता में लगभग 13.5 प्रतिशत की कमी आई।
जल नियंत्रण की रणनीति
हालांकि इन डैम्स से लंबे समय तक चेनाब नदी के पानी को पाकिस्तान की ओर पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन पानी के रिलीज़ के समय को नियंत्रित किया जा सकता है। वर्तमान में रबी फसल की कटाई के लिए पानी की आवश्यकता कम होती है, लेकिन आगामी धान की बुवाई के मौसम में जल की मांग दोनों ओर बढ़ेगी।
एक अधिकारी के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि, “स्लूइस गेट बंद कर हम यह संदेश देना चाहते हैं कि हम कठोर कदम उठाने में संकोच नहीं करेंगे... चेनाब नदी पंजाब के खेतों को सिंचाई देती है, और पाकिस्तान को यह समझना होगा कि हम हर मोर्चे पर जवाब देने को तैयार हैं।”
स्थानीय प्रशासन की चेतावनी
सोमवार को जैसे ही बगलिहार डैम का जलाशय भरना शुरू हुआ, कुछ गेट खोल दिए गए। सलाल डैम से भी कुछ पानी छोड़ा गया ताकि नीचे की ओर बहाव जारी रहे। इस बीच, बड़ी संख्या में ग्रामीण नदी के सूखे हिस्से में पहुंच गए, जिनमें कुछ लोग पुराने गहने और सिक्के खोजने की कोशिश कर रहे थे।
खतरे को भांपते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने नदी में प्रवेश न करने की चेतावनी जारी की। दोपहर के बाद जल स्तर बढ़ने लगा तो पुलिस ने सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली से लोगों को तुरंत क्षेत्र खाली करने को कहा। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “कैचमेंट एरिया में बारिश हुई है, जिससे जलस्तर अचानक बढ़ सकता है।”
इतिहास के अवशेष उभरे
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय पत्रकार मोहन सिंह जम्वाल ने कहा कि, “अपने जीवन में मैंने कभी चेनाब को इतना सूखा नहीं देखा।” उन्होंने कहा कि 10 सितंबर 1992 की बाढ़ में बह गया करण पुल का अवशेष अब नदी के तल में दिखाई दे रहा है।
यह पुल डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह द्वारा 1933-34 में एक जर्मन कंपनी से बनवाया गया था और उनके पुत्र डॉ. करण सिंह के नाम पर रखा गया था।