कसौटी पर वन इन वन आउट योजना, इंग्लैंड से फ्रांस लौटाया गया भारतीय प्रवासी
ब्रिटेन-फ्रांस की नई वन इन, वन आउट संधि के तहत पहला भारतीय प्रवासी निर्वासित हुआ। अवैध नाव प्रवास, राजनीति और दक्षिणपंथी उभार से जुड़ा बड़ा मुद्दा बन चुका है।
पिछले एक दशक में बड़ी संख्या में भारतीय ब्रिटेन की ओर प्रवास कर रहे हैं। अब वे कानूनी और अवैध, दोनों ही श्रेणियों में सबसे आगे हैं। चाहे छात्र वीज़ा हो, वर्क परमिट या वीज़ा अवधि से अधिक रुकना हर श्रेणी में भारतीय नागरिकों की उपस्थिति सबसे अधिक है। आश्चर्य की बात यह है कि इंग्लिश चैनल पार कर छोटी नावों से ब्रिटेन पहुंचने वाले शरणार्थियों में भी भारतीय शामिल हैं। इतना ही नहीं, हाल ही में ब्रिटेन और फ्रांस के बीच हुए वन इन, वन आउट समझौते के तहत पहले व्यक्ति के रूप में ब्रिटेन से वापस फ्रांस भेजा जाने वाला शख्स भी एक भारतीय था।
खतरनाक रास्ता और अवैध प्रवासी
यह भारतीय व्यक्ति अगस्त की शुरुआत में फ्रांस से छोटी नाव के ज़रिए अवैध रूप से ब्रिटेन पहुंचा था। इंग्लिश चैनल पार कर आने वालों को ब्रिटिश बॉर्डर फोर्स ने दक्षिणी तट पर पकड़ा और हिरासत में ले लिया। इन्हें हीथ्रो एयरपोर्ट के पास स्थित इमिग्रेशन डिटेंशन सेंटर में रखा गया। वह उन 100 लोगों में शामिल था जिन्हें बताया गया था कि उन्हें वापस फ्रांस भेजा जा सकता है।
इंग्लिश चैनल का यह रास्ता बेहद खतरनाक माना जाता है, जहां पिछले वर्षों में सैकड़ों लोग डूबकर मर चुके हैं। यही कारण है कि ब्रिटेन की हर सरकार के लिए यह एक राजनीतिक संकट बना हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इसे रोकने को लेकर वादा किया था, जबकि पूर्व गृह मंत्री प्रीति पटेल और सुेला ब्रेवरमैन (दोनों भारतीय मूल की) ने “रवांडा योजना” बनाई थी। इसमें अवैध प्रवासियों को अफ्रीकी देश रवांडा भेजने की योजना थी। लेकिन यह योजना कभी लागू नहीं हो सकी।
सत्ता परिवर्तन और नई नीति
2024 के चुनावों में 14 साल बाद कंजरवेटिव पार्टी हार गई और लेबर पार्टी को भारी बहुमत मिला। नए प्रधानमंत्री सर कीर स्टार्मर ने पद संभालते ही रवांडा योजना को अमानवीय बताते हुए रद्द कर दिया और कहा कि असली समाधान मानव तस्करी करने वाले गिरोहों पर कड़ा प्रहार करना है।
इसी कड़ी में, 6 अगस्त 2025 को ब्रिटेन और फ्रांस के बीच “वन इन, वन आउट” संधि पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत ब्रिटेन अवैध नाव प्रवासियों को फ्रांस वापस भेज सकता है और बदले में फ्रांस उन्हीं की संख्या में वास्तविक शरणार्थियों को सुरक्षित व वैध चैनलों से ब्रिटेन भेजेगा। यह संधि जुलाई 2026 तक लागू रहेगी।
भारतीय प्रवासी बने पहले उदाहरण
फ्रांसीसी अधिकारियों ने इस योजना की शुरुआत भारतीय प्रवासी से करने का आग्रह किया, क्योंकि भारतीयों के शरणार्थी दावे बहुत कम ही सफल होते हैं। ब्रिटिश अदालत ने भी माना कि इस व्यक्ति के जीवन पर भारत लौटने पर कोई गंभीर खतरा नहीं है। 18 सितंबर को उसे तीन सुरक्षा कर्मियों की निगरानी में एयर फ्रांस की फ्लाइट से पेरिस भेजा गया। फ्रांस सरकार ने उसे शुरुआती दिनों के लिए आवास दिया और भारत वापसी पर टिकट व लगभग ₹2.6 लाख की वित्तीय सहायता देने की पेशकश की। यदि वह इनकार करता है, तो उसे फ्रांस से जबरन निर्वासित किया जाएगा।
भारतीय प्रवासी, आर्थिक मजबूरी
ज्यादातर भारतीय अवैध प्रवासी आर्थिक कारणों से यूके पहुंचते हैं। वे एजेंटों को भारी रकम देते हैं, अक्सर कर्ज लेकर। वहां पहुंचकर वे काले धन वाली अर्थव्यवस्था में काम कर अपनी रकम वसूलने की कोशिश करते हैं। फ्रांस की ओर से दी जा रही वित्तीय मदद उनकी असली लागत को पूरा नहीं कर सकती।
दिलचस्प बात यह रही कि जिस दिन यह भारतीय नागरिक ब्रिटेन से निकाला गया, उसी दिन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इंग्लैंड दौरे पर थे। जब उनसे पूछा गया कि वह प्रधानमंत्री स्टार्मर को क्या सलाह देंगे, तो उन्होंने कहा—“किसी भी तरह रोकना होगा, चाहे सेना का इस्तेमाल ही क्यों न करना पड़े।” लेकिन स्टार्मर ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले रही है और यूरोप के अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ा रही है।
राजनीतिक असर और भविष्य
आज पश्चिमी यूरोप में दक्षिणपंथी राजनीति के उभार के साथ प्रवासी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गए हैं। ब्रिटेन में रिफॉर्म पार्टी खुले तौर पर अवैध ही नहीं बल्कि कानूनी प्रवासियों के भी खिलाफ है। इसके नेता निगेल फ़राज़ ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर 6 लाख प्रवासियों को देश से बाहर करेंगे, जबकि उनकी पार्टी के दानदाताओं में से एक ने यह संख्या 1 करोड़ बताई।
ऐसे में अगर वन इन, वन आउट योजना नाव के रास्ते आने वालों को रोकने में सफल रहती है, तो यह दक्षिणपंथी पार्टियों के अभियान को कमजोर कर सकती है। आने वाला साल ब्रिटेन की राजनीति और भारतीय प्रवासियों दोनों के लिए बेहद अहम साबित होगा।