अमेरिका नहीं, पढ़ाई के लिए भारतीय छात्रों को पहली पसंद है यह देश

भारतीय छात्रों को पढ़ाई के लिए अमेरिका की तुलना में यह देश ज्यादा बेहतर लगता है. इसको लेकर एक रिसर्च में खुलासा हुआ है.

Update: 2024-04-29 11:59 GMT

Indian Students Prefer Canada: वैसे तो हर किसी की तमन्ना अमेरिका में पढ़ाई करके सेटल होने की होती है. लेकिन हाल के वर्षों में यह बात उलट मालूम पड़ रही है. भारतीय छात्रों की बात करें तो उनको पढ़ाई के लिए अमेरिका की तुलना में कनाडा ज्यादा बेहतर लगता है. इसको लेकर राष्ट्रीय अमेरिकी नीति फाउंडेशन (एनएफएपी) की एक रिसर्च सामने आई है. इसके अनुसार, कनाडा में भारतीय छात्रों के बढ़ने का कारण दोनों देशों की सरकारी पॉलिसी है. पिछले दो दशक की बात करें तो कनाडाई विश्वविद्यालयों में 5,800 फीसदी से अधिक भारतीय छात्र अपना नामांकन करा चुके हैं. जबकि, इसी अवधि में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की संख्या में 45 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है.

रिसर्च के अनुसार, कनाडाई विश्वविद्यालयों में हाल के वर्षों में भारतीय छात्रों के दाखिले में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. जबकि, पहले भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका पहली पसंद था. पिछले दो दशक में कनाडाई विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों के नामांकन में 5,800 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई है. वहीं, अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में साल 2000 से 2021 के बीच केवल 45 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली. रिसर्च में यह बात निकल कर सामने आई है कि पढ़ाई खत्म करने के बाद विदेशी छात्र कनाडा में कुछ ही वर्षों में स्थायी निवासी बन सकते हैं. वहीं, अमेरिका में स्थायी निवास के लिए रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड बड़ी बाधा है, जिससे भारत के पढ़े-लिखे तबके को स्थायी निवास के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ सकता है.

एनएफएपी के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन ने एच-1बी का दर्जा हासिल करना कठिन बना दिया था. जिससे विदेशी छात्रों के अमेरिकी विश्यविद्यालयों में कमी देखने को मिली. वहीं, कनाडा में ग्रेजुएट होने के कुछ वर्षों में स्थायी निवासी बनने का अवसर मिल जाता है. साल 2013 के बाद से कनाडा जाने वाले भारतीयों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. साल 2013 और 2023 के बीच यह संख्या 32,828 से बढ़कर 139,715 हो गई. इस बढ़ोतरी में सबसे ज्यादा तादाद भारतीय छात्रों की है. साल 2000 में कनाडा के विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों की संख्या 62,223 थी, जो साल 2021 में 400,521 हो गई.

रिसर्च के अनुसार, साल 2000 में विदेशी छात्रों में भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या 2,181 थी. जो साल 2021 में बढ़कर 128,928 हो गई है. यह बढ़ोतरी साल 2000 से 2021 के दौरान कनाडा के विश्वविद्यालयों में कुल विदेशी छात्रों का 37 फीसदी है. जबकि, इसी अवधि में अमेरिका में कनाडा की तुलना में विदेशी छात्रों की धीमी वृद्धि दर्ज की गई. साल 2000 से 2021 के दौरान अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों की संख्या 5,26,801 से बढ़कर 7,63,760 हो गई है. हालांकि, इस यह कनाडा के विश्यविद्यालयों से 500 फीसदी कम है.

कनाडा में विदेशी छात्रों के तादाद में हुई बढ़ोतरी के पीछे का कारण वहां के सरकार की पॉलिसी है. जनवरी 2015 में कनाडा ने एक्सप्रेस एंट्री कार्यक्रम शुरू किया, जो उन लोगों को जॉब करने में वरीयता देता है, जिन्होंने कनाडा में पढ़ाई की हो या फिर वहां अस्थायी रूप से काम किया है. जून 2017 में कनाडा ने अपनी ग्लोबल स्किल्स रणनीति शुरू की, ताकि शीर्ष विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित किया जा सके और कंपनियों के लिए कनाडा में ऑफिस स्थापित करना आसान बनाकर विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके. ट्रम्प प्रशासन के दौरान कोविड महामारी से पहले कनाडा अमेरिका की तुलना में भारतीय छात्रों के लिए कहीं अधिक आकर्षक था. साल 2016 से 2019 के बीच अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की संख्या में 13 फीसदी गिरावट दर्ज की गई. जबकि, कनाडा के विश्वविद्यालयों में यह 182 प्रतिशत तक बढ़ गई.

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