आखिर कौन है हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह? जिसके मारे जाने की दुनिया में हो रही इतनी चर्चा
लगता है इजरायल ने हिजबुल्लाह के अस्तित्व को समाप्त करने की ठान ली है. यही वजह है कि वह इस आतंकी संगठन का समर्थन करने वाले देश लेबनान पर लगातार हमला कर रहा है.
Israel targeting Hezbollah terrorists: लगता है इजरायल ने हिजबुल्लाह के अस्तित्व को समाप्त करने की ठान ली है. यही वजह है कि वह इस आतंकी संगठन का समर्थन करने वाले देश लेबनान पर लगातार हमला कर रहा है. पिछले दिनों पेजर और वॉकी-टॉकी हमले लेकर इजरायल लगातार लेबनान पर एयर स्ट्राइक कर रहा है. इसी कड़ी में इजरायल ने हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह को मारा गिराया है. इसको इजरायल के लिए एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कौन है हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह.
इजरायल लगातार हिजबुल्लाह आतंकियों को निशाना बनाते हुए उनके ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर रहा है. इस बीच इजरायल ने बड़ा दावा किया है कि हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह मारा गया. इजारयली डिफेंस फोर्स ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि अब हसन नसरल्लाह दुनिया में आतंक नहीं फैला पाएगा. बता दें कि वह 32 साल से संगठन का चीफ था.
इजरायली सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नादाव शोशानी ने नसरल्लाह के मारे जाने की बात कही है. वहीं, इजरायली सेना के प्रवक्ता डेविड अव्राहम ने कहा कि लेबनान की राजधानी बेरूत पर शुक्रवार को हुए एयर स्ट्राइक में हिजबुल्लाह चीफ मारा गया. हसन नसरल्लाह को मारने वाले ऑपरेशन का नाम NEW ORDER था. इसे लेबनानी आतंकवादी समूह के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. हालांकि, हिज़्बुल्लाह ने अभी तक नसरल्लाह की मौत की पुष्टि नहीं की है.
कौन है हसन नसरल्लाह?
हसन नसरल्लाह के नेतृत्व में हिजबुल्लाह ने इजराइल के साथ कई संघर्षों में भाग लिया और सीरियाई गृहयुद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे राष्ट्रपति बशर असद की स्थिति मजबूत हुई. नसरल्लाह ने ईरानी शिया नेताओं और हमास जैसे समूहों के साथ मजबूत गठबंधन विकसित किए, जिससे हिजबुल्लाह इज़राइल के प्रमुख विरोधी के रूप में स्थापित हो गया.
साल 1960 में जन्मे नसरल्लाह बेरूत के एक गरीब शिया परिवार से थे. साल 1982 में हिजबुल्लाह की सह-स्थापना करने से पहले वे अमल आंदोलन में शामिल हुए. नसरल्लाह 1992 में अपने पूर्ववर्ती सैय्यद अब्बास मुसावी की हत्या के बाद हिजबुल्लाह के नेता बन गए. हिजबुल्लाह की स्थापना ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड के सदस्यों द्वारा की गई थी, जो इज़राइली आक्रमण का विरोध करने के लिए लेबनान आए थे. यह ईरान द्वारा समर्थित पहला संगठन बन गया, जिसने इसे इस्लाम के अपने राजनीतिक संस्करण को फैलाने के लिए एक वाहन के रूप में इस्तेमाल किया.
साल 2000 में दक्षिणी लेबनान से इजरायल की वापसी के बाद, नसरल्लाह ने लेबनान और अरब दुनिया भर में प्रतिष्ठित स्थिति हासिल की, उनके संदेश हिजबुल्लाह के रेडियो और सैटेलाइट टीवी स्टेशन के माध्यम से प्रसारित किए गए. यह प्रमुखता 2006 में तब और मजबूत हुई, जब हिजबुल्लाह 34-दिवसीय संघर्ष के दौरान इजरायल के साथ गतिरोध पर पहुंचने में कामयाब रहा. जब 2011 में सीरियाई गृहयुद्ध शुरू हुआ तो हिजबुल्लाह के लड़ाकों ने खुद को बशर अल-असद की सेनाओं के साथ जोड़ लिया. जबकि, अरब दुनिया ने बड़े पैमाने पर असद को खारिज कर दिया था. इसलिए हिजबुल्लाह की लोकप्रियता में गिरावट आई. शुरुआती लोकप्रियता के बावजूद, सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान नसरल्लाह द्वारा असद का समर्थन करने से कई अरब देशों के बीच हिजबुल्लाह की प्रतिष्ठा कम हो गई.
हालांकि, ईरानी नेतृत्व वाली प्रतिरोध धुरी के भीतर उनका रणनीतिक महत्व मजबूत बना रहा. साल 7 अक्टूबर को इजरायल-हमास युद्ध के शुरू होने के बाद से ही हिजबुल्लाह ने इजरायली सैन्य ठिकानों पर हमले शुरू कर दिए हैं और अपने कामों को गाजा के समर्थन के तौर पर पेश किया है. नसरल्लाह ने इजरायल को लगातार धमकियां दी हैं, जिसमें समूह के कमांडरों को निशाना बनाकर किए गए इजरायली हमलों के बावजूद संघर्ष में हिजबुल्लाह की भागीदारी पर जोर दिया गया है. अपने भाषणों में, उन्होंने दावा किया कि हिजबुल्लाह के सीमा पार अभियानों ने इजरायली सेना को गाजा में हमास पर ध्यान केंद्रित करने से हटा दिया है और इस बात पर जोर दिया कि गाजा में युद्ध विराम स्थापित होने तक हिजबुल्लाह इजरायल पर अपने हमले जारी रखेगा.